Asia Cup 1986 में सिर्फ भारत का बॉयकॉट नहीं और भी कुछ ऐसा हुआ जो ऐतिहासिक और अजीबोगरीब था
Asia Cup 1986: एशिया कप 2025 में अभी तक क्रिकेट नहीं खेले हैं पर राजनीति खूब खेल चुके हैं। एक बार फिर से ये देखने को मिला कि क्रिकेट से बाहर के फेक्टर भी क्रिकेट को प्रभावित कर सकते हैं। यहां तक कि ये भी चर्चा थी कि भारत तो एशिया कप 2025 की मेजबानी और इसमें खेलने से भी इंकार कर देगा। अगर ऐसा होता, तो विश्वास कीजिए ऐसा पहली बार नहीं होता कि भारत एशिया कप में नहीं खेलता। अब तक जो 16 एशिया कप खेले हैं, उन सभी 16 में सिर्फ श्रीलंका ने ही हिस्सा लिया है। 1986 में भारत और 1990-91 में पाकिस्तान ने गैर-क्रिकेट मसले पर एशिया कप का बॉयकॉट किया था।
एशिया कप 2025 में अगर ऐसा होता तो वजह लिखते: पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव। इस साल जून में महिला इमर्जिंग टीम एशिया कप का रद्द होना इस बात का सबूत है कि इन तनाव को कितनी गंभीरता से लिया जा रहा है। इस तरह एशिया कप में क्रिकेट के अलावा राजनीति भी खूब देखी गई है। ज्यादातर आयोजन में ही हिस्सा लेने वाली एशियाई टीमों के बीच कोई न कोई विवाद देखने को मिला है। बहरहाल भारत के 1986 में एशिया कप के बॉयकॉट के फैसले जैसा किस्सा और कोई नहीं है। आम तौर पर इस एशिया कप की बात करते हुए भारत के बॉयकॉट की ही बात होती है पर सच ये है कि उस एशिया कप और भी कुछ ऐसा हुआ था जो अनोखा था। सबसे पहले एशिया कप 1986 की बात करते हैं:
मेजबान कौन थे: श्रीलंका
स्पांसर कौन थे: जॉन प्लेयर गोल्ड लीफ
भारत-श्रीलंका क्रिकेट तनाव किस बात पर शुरू हुआ: असल में 1985 में यानि कि एशिया कप से एक साल पहले, भारत के 3 टेस्ट और 3 वनडे के श्रीलंका टूर के दौरान ग्राउंड पर जो हुआ उससे दोनों टीमों के बीच बड़ा तनाव था। खराब अंपायरिंग पर बड़ा शोर हुआ और पूरी क्रिकेट की दुनिया में इसकी चर्चा हुई। इस तनाव ने एशिया कप के बॉयकॉट के फैसले में बड़ी अहम भूमिका निभाई। भारत का नाराज होना सही था, ये फरवरी 1986 में पाकिस्तान के श्रीलंका टूर के दौरान हुए बवाल से भी साबित हो गया। इमरान खान की पाकिस्तानी टीम तो श्रीलंकाई अंपायरों से इतनी नाराज थी कि वे तो टूर बीच में रद्द कर लौटने के लिए तैयार थे। सिर्फ पाकिस्तान के प्रेसिडेंट ज़िया-उल-हक के व्यक्तिगत हस्तक्षेप के बाद वे आगे खेलते रहे। इन दो सीरीज में अंपायरिंग पर हुए इस शोर का इतना फायदा जरूर हुआ कि एशिया कप के लिए न्यूट्रल अंपायर ड्यूटी के लिए बुला लिए।
भारत के एशिया कप बॉयकॉट की ऑफिशियल वजह: भारत तो पिछले एशिया कप का चैंपियन था- तब भी एशिया कप में न खेलने का फैसला किया। असल में श्रीलंका सरकार और लिबरेशन टाइगर्स ऑफ़ तमिल ईलम (LTTE) के बीच चल रहे सिविल वॉर के कारण भारत ने एशिया कप का बॉयकॉट किया। लगातार हिंसा बढ़ रही थी और खासकर अनुराधापुरा नरसंहार में लगभग 146 नागरिक के मारे जाने पर तो हालात और बिगड़ गए। इस तांडव के बाद तो बॉयकॉट बस औपचारिकता रह गया था। यहां ये बताना जरूरी है कि भारत की तरफ से पूरी कोशिश थी कि दोनों पक्ष के बीच शांति रहे पर इसमें कामयाबी नहीं मिली। भारत सरकार की तब पूरी चिंता खिलाड़ियों की सुरक्षा थी।
इसीलिए भारत सरकार ने टीम न भेजने की सलाह दी थी। इस तरह ये अकेला ऐसा मौका है जब भारत इस टूर्नामेंट में नहीं खेला।
क्या इस बॉयकॉट के कारण एशिया कप रद्द हुआ: नहीं। भारत के बॉयकॉट के बावजूद, इस साल एशिया कप श्रीलंका में खेले। इसी तरह 1990-91 में, पाकिस्तान ने भी भारत में खेले एशिया कप का बॉयकॉट किया था। तब भी एशिया कप नहीं रुका और इसे खेले थे।
हिस्सा लेने वाली टीमें: श्रीलंका, पाकिस्तान और बांग्लादेश।
उस साल चैंपियन कौन रहा : मेजबान श्रीलंका ने कप जीता। कोलंबो के सिंहली स्पोर्ट्स क्लब ग्राउंड में फाइनल में श्रीलंका ने पाकिस्तान को हराया।
स्टोरी तो कुछ और भी है। दरअसल, भारत के बॉयकॉट के फैसले के वक्त टूर्नामेंट में सिर्फ़ श्रीलंका और पाकिस्तान ही बचे थे। अब दो टीम के साथ क्या खेलते, इसलिए बांग्लादेश को भी इसमें खेलने बुला लिया। इस तरह उन्होंने एशिया कप के ज़रिए ही इंटरनेशनल क्रिकेट में खेलना शुरू किया। हालांकि श्रीलंका की जीत के वक्त वहां देश में नागरिक अशांति फैली हुई थी पर इस जीत ने जश्न का माहौल बना दिया। इसी जोश को देख, खुशी में श्रीलंका के प्रेसिडेंट जेआर जयवर्धने ने देश में छुट्टी घोषित कर दी।
अंपायरिंग में एक इतिहास रचा गया: पहली बार किसी आईसीसी टेस्ट सदस्य देश में न्यूट्रल अंपायरों ने मैच में ड्यूटी दी। इंग्लैंड के डिकी बर्ड और डेविड शेफर्ड, पाकिस्तान के महबूब शाह, और दो लोकल अंपायर, एचसी फेल्सिंगर और पीडब्ल्यू विदानागामगे के 5 अंपायर का पैनल था ड्यूटी पर।
एशिया कप का अनोखा प्रोग्राम: ये है वह स्टोरी जिसने इस एशिया कप को अद्भुत और बेमिसाल बना दिया। असल में भारत के बॉयकॉट और उससे जुड़े विवाद के बाद भले ही बांग्ला देश को खेलने बुला लिया पर ये साफ़ था कि एशिया कप की चमक और चर्चा पर बड़ा असर पड़ा है। इसकी भरपाई के लिए, मेजबान श्रीलंका ने एक अजीब और जल्दबाजी वाला फैसला लिया। उन्होंने एशिया कप के साथ-साथ एक ट्रायंगुलर टूर्नामेंट भी खेल लिया।
न्यूजीलैंड की टीम, ऑस्ट्रल-एशिया कप (Austral-Asia Cup) में खेलने शारजाह जा रही थी। उन्हें राजी कर लिया कि वे रास्ते में श्रीलंका रुकें और यहां एक ट्रायंगुलर में खेलें जिससे उनके लिए शारजाह के टूर्नामेंट से पहले की प्रेक्टिस हो जाएंगे। न्यूजीलैंड टीम मान गई और वे कुल 3 मैच का, जिसमें से उन्हें 2 मैच खेलने थे, ट्रायंगुलर खेलने श्रीलंका आ गए। बाक़ी दो टीम मेज़बान श्रीलंका और पाकिस्तान थे।
इस तरह से जन्म हुआ 1986 के जॉन प्लेयर ट्रायंगुलर का। मजे की बात ये कि यह टूर्नामेंट 5 से 7 अप्रैल 1986 के बीच खेले जबकि एशिया कप के मैच 30 मार्च से 6 अप्रैल के बीच खेले। अगर आप एशिया कप और इस ट्रायंगुलर टूर्नामेंट के शेड्यूल पर एक साथ नजर डालें तो एक बड़ी अजीब बात दिखाई देगी: 6 अप्रैल को श्रीलंका बनाम पाकिस्तान मैच हुआ कोलंबो (एसएससी) में एशिया कप में और उसी दिन इन्हीं दोनों टीम के बीच यहीं इस ट्रायंगुलर टूर्नामेंट में भी मैच हुआ। तो क्या एक ही दिन में इन दोनों टीम ने दो वनडे खेले? नहीं। असल में सिर्फ एक ही वनडे खेला गया और इस वनडे के नतीजे और खेल को, दोनों टूर्नामेंट में गिन लिया। एक मैच, दो टूर्नामेंट का हिस्सा बन गया।
इसे इस तरह भी लिख सकते हैं कि एशिया कप के एक मैच को किसी और टूर्नामेंट का विजेता तय करने के लिए गणना में शामिल कर लिया। ये इंटरनेशनल क्रिकेट में अपनी तरह की एक अनोखी और अद्भुत मिसाल है। आपको बता दें, इसी गफलत की वजह से कई बड़े एन्युअल ने तो एशिया कप और इस ट्रायंगुलर को अलग-अलग नहीं, एक पैकेज के तौर पर रिपोर्ट किया (और दोनों का स्पांसर एक ही होने से ये काम आसान हो गया) और इसे जॉन प्लेयर गोल्ड लीफ ट्रॉफी (एशिया कप) लिख दिया। कुल 4 मैच एशिया कप में और कुल 3 मैच ट्रायंगुलर में पर वास्तव में 6 मैच ही खेले गए। अजीब लेकिन सच!
प्रोग्राम की इस भाग-दौड़ की वजह से पाकिस्तान ने लगातार दो दिन वनडे मैच खेले। 6 अप्रैल को श्रीलंका के साथ एशिया कप फाइनल खेलने के बाद, 7 अप्रैल को ट्रायंगुलर टूर्नामेंट के निर्णायक मैच में न्यूज़ीलैंड के साथ खेले। ट्रायंगुलर के रिकॉर्ड को देखें तो तीनों टीम ने एक-एक मैच जीता और रन रेट के आधार पर पाकिस्तान ने ट्रॉफी जीती।
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चरनपाल सिंह सोबती