भारत का वो बल्लेबाज जिसने 14 साल की उम्र में शतक जड़ा,ऋषभ पंत के एक्सीडेंट ने उसकी मौत की याद दिला दी

Updated: Sat, Jan 07 2023 11:55 IST
Dhruv Pandove youngest Indian to score century in first class cricket was died in a road accident in (Image Source: Google)

सबसे कम उम्र में, फर्स्ट क्लास क्रिकेट में, 100 के रिकॉर्ड (मैच के पहले दिन की उम्र) में टॉप पर मोहम्मद अकरम (12 साल 217 दिन) का नाम है और उसके बाद क्रम से रिजवान सत्तार, अरिफुल हक, आसिफ मुसज़ई और ध्रुव पांडव (Dhruv Pandove,14 साल 293 दिन) के नाम हैं। कौन ध्रुव पांडव? उसके बाद इनके क्रिकेट करियर का क्या हुआ?

सब भूल गए और इसमें किसी की कोई गलती नहीं। बीता समय सब भुला देता है और यही ध्रुव पांडव  के साथ हुआ। अब उन्हें याद करने की वजह- एक और युवा क्रिकेटर जिसका नाम ऋषभ पंत है। इन दिनों ऋषभ पंत का नाम लेते ही सिर्फ उनके एक्सीडेंट का जिक्र होता है और हर कोई यही कहेगा कि वे भाग्यशाली रहे कि इतने बड़े हादसे के बावजूद हमारे साथ हैं।  अफ़सोस ऑस्ट्रेलिया के ऑलराउंडर एंड्रयू साइमंड्स, इंग्लैंड के बेन हेलिओक और टॉम मेनार्ड तथा वेस्ट इंडीज के रूनाको मोर्टन और लॉरी विलियम्स जैसे उनकी तरह खुशकिस्मत नहीं थे और रोड एक्सीडेंट में जान गंवाई। इसी लिस्ट में ध्रुव पांडव का नाम भी जोड़ा जा सकता है।
  
एक बेहतरीन टेलेंट जिसकी सड़क दुर्घटना में जान गई 1992 में। तब लगभग 18 साल के थे। खब्बू बल्लेबाज, महज 13 साल की उम्र में फर्स्ट क्लास क्रिकेट में आए और तब उन्हें भारत की भविष्य की उम्मीद कहते थे और कई जगह तो उन्हें सचिन तेंदुलकर के बराबर की टेलेंट कहते थे। लगभग 30 साल पहले- 31 जनवरी 1992 को अंबाला के पास उनकी रोड एक्सीडेंट में मौत हुई थी।

आप मोहाली के आईएस बिंद्रा पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन स्टेडियम जाएं तो स्टेडियम के कॉन्फ्रेंस रूम के दरवाजे पर जिस नौजवान की फोटो लगी है- वह ध्रुव पांडव हैं। उनका एक और परिचय- पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन और बीसीसीआई में कई साल, अलग-अलग पोस्ट पर रहे एमपी पांडव (खुद फर्स्ट क्लास क्रिकेटर- 75 मैच) के बेटे थे। सच तो ये है कि वे खुद ध्रुव के पहले कोच थे और उन्हीं की ट्रेनिंग में ध्रुव, जूनियर से सीनियर क्रिकेट का सफर बड़ी कामयाबी से तय कर रहे थे और तभी एक्सीडेंट हुआ। लगभग 13 साल की उम्र में फर्स्ट क्लास डेब्यू, 14 साल की उम्र में फर्स्ट क्लास 100 और सिर्फ 17 साल की उम्र में रणजी ट्रॉफी में 1000 रन- ये आज तक रिकॉर्ड है।

ध्रुव ने पंजाब अंडर 15 और अंडर 17 में स्कोर किए और सुर्खियों में आए। नवंबर 1987 में 13 साल की उम्र में फर्स्ट क्लास क्रिकेट में आए और हिमाचल प्रदेश के विरुद्ध 94 से शुरुआत की। 1987-88 विजय मर्चेंट ट्रॉफी में नार्थ जोन अंडर 15 के कप्तान थे। खूब रन बना रहे थे। अक्टूबर 1988 में, सिर्फ तीसरे फर्स्ट क्लास मैच में, श्रीनगर में जम्मू एंड कश्मीर के विरुद्ध 137 - यही सबसे कम उम्र में फर्स्ट क्लास 100 का भारतीय रिकॉर्ड है। उसके बाद इंडिया अंडर 19 टीम- 1988/89 में पाकिस्तान में टेस्ट सीरीज़ में जीत, बांग्लादेश टूर और अगले साल अंडर 19 एशिया कप जीता।

दिसंबर 1991 में, पंजाब के लिए सर्विसेज के विरुद्ध रणजी ट्रॉफी में 170 बनाए- उनका टॉप फर्स्ट क्लास स्कोर और इसी दौरान रणजी ट्रॉफी में 1000 रन पूरे किए- सबसे कम उम्र में ये रिकॉर्ड (17 साल 341 दिन) बनाया और यही उनका आखिरी रणजी मैच था।

जनवरी 1992 में, संबलपुर में देवधर ट्रॉफी क्वार्टर फाइनल में, अनिल कुंबले, वेंकटेश प्रसाद, आशीष कपूर और अरशद अयूब के साउथ जोन के अटैक पर ध्रुव ने 73 रन बनाए- टीम के टॉप स्कोरर और मैन ऑफ द मैच पर नार्थ जोन मैच हार गया। इस मैच के बाद नार्थ जोन टीम संबलपुर से दिल्ली आई फ्लाइट से और उसके बाद पंजाब-हरियाणा के ज्यादातर क्रिकेटर ने ट्रेन ली। ध्रुव भी इनमें थे। अंबाला कैंट स्टेशन पर उतरे। वह 31 जनवरी 1992 की रात थी और वहां से पटियाला के लिए एक कैब ली। अंबाला से पटियाला के इसी सफर में कैब का एक्सीडेंट हुआ- ध्रुव और कैब ड्राइवर की मौत हो गई जबकि उन्हें लेने आए दोस्त बिट्टू बुरी तरह से घायल हुए। उनकी टेलेंट की वजह से, ये कितनी बड़ी बात थी इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीबीसी न्यूज में ये खबर थी। पर्थ में ऑस्ट्रेलिया-भारत टेस्ट के ऑस्ट्रेलियाई कमेंटेटरों ने इसका जिक्र किया और टेस्ट शुरू होने से पहले भारतीय टीम ने दो मिनट का मौन रखा। 

1992 में पटियाला के बारादरी ग्राउंड का नाम बदलकर ध्रुव पांडव स्टेडियम कर दिया। इस ग्राउंड के रख-रखाव की जिम्मेदारी उनके परिवार ने ली। पांडव परिवार ने 1994 में ध्रुव पांडव ट्रस्ट शुरू की- क्रिकेट को बढ़ावा देना, युवा टेलेंट की मदद और ब्लड डोनेशन कैंप से जुड़े हैं वे। पंजाब क्रिकेट एसोसिएशन ने 2011 में ध्रुव पांडव ट्रॉफी के नाम से एक क्रिकेट टूर्नामेंट शुरू किया जो अभी तक चल रहा है हालांकि अब यह पंजाब का ही टूर्नामेंट रह गया है।  

सचिन तेंदुलकर, को आज भी वे दिन याद हैं जब वे और ध्रुव एक साथ और एक दूसरे के विरुद्ध खेले- इंदौर में एक कैंप में भी दोनों साथ-साथ थे। तेंदुलकर बताते हैं कि क्रिकेट के लिए जुनून ऐसा था कि रात में डिनर के बाद भी कॉरिडोर में क्रिकेट खेलते थे दोनों।  

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एक बात और- जब वे अंबाला स्टेशन पर उतरे थे तो ट्रेन में साथ सफर करने वालों में चेतन शर्मा भी थे। काफी धुंध थी और चेतन शर्मा ने कहा भी था कि ऐसे में उसी वक्त आगे न जाएं और स्टेशन पर ही सुबह तक का इंतजार कर लें। जल्दी घर लौटने की चाह थी क्योंकि आगे की क्रिकेट के लिए भी निकलना था। ऋषभ पंत भी आगे के क्रिकेट कैलेंडर को ध्यान में रखकर घर के लिए निकल पड़े थे। किसी को भी मालूम थोड़े ही होता है कि आगे क्या होने वाला है?
 

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