दुनिया का इकलौता खिलाड़ी जो फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेला और FIFA फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप का फाइनल भी, जानें कौन है वो?
भले ही भारत में सबसे ज्यादा चर्चा क्रिकेट की होती है पर सच्चाई ये है कि ओलंपिक के बाद, दुनिया का सबसे बड़ा खेल मेला फीफा फ़ुटबॉल वर्ल्ड कप है। 2022 का वर्ल्ड कप कतर में चल रहा है और अपने शबाब पर है। ऐसे में ये कैसे हो सकता है कि फ़ुटबाल वर्ल्ड कप की बात न करें? तो बताइए वह अकेला खिलाड़ी कौन सा है जो फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेला और फीफा फ़ुटबाल वर्ल्ड कप का फाइनल मैच भी? ये केबीसी में किसी 7.5 करोड़ रुपये के सवाल से कम नहीं।
ये आश्चर्यजनक 'डबल' जिस खिलाड़ी के नाम है- वास्तव में उन्होंने उस वर्ल्ड कप फाइनल में जो कमाल किया, वह न तो उससे पहले के और न ही उसके बाद के किसी वर्ल्ड कप फाइनल में देखा गया (2022 से पहले तक)।
इस खिलाड़ी का नाम है ज्योफ हर्स्ट (Geoff Hurst)- 1966 में वेंबले के ऐतिहासिक स्टेडियम में खेले वर्ल्ड कप फाइनल में हैट्रिक स्कोर की थी। फाइनल जैसा बड़ा मैच और उसमें हैट्रिक! हर्स्ट जितने मशहूर फुटबॉलर हुए- उतने क्रिकेटर नहीं। इसमें कोई हैरानी की बात नहीं क्योंकि जिस मुकाम पर फ़ुटबाल खेले, उसमें क्रिकेट के लिए समय ही कहां था? फिर भी 1962 में एसेक्स के लिए एक काउंटी चैम्पियनशिप मैच खेला था। इतना ही नहीं, वे और एक और मशहूर फुटबॉलर बॉबी मूर, एक साथ एसेक्स स्कूल क्रिकेट टीम के लिए खेले थे।
इन्हें क्वीन ने 1977 में एमबीई और 1988 में नाइटहुड से सम्मानित किया और सर ज्योफ हर्स्ट कहलाए। जन्म 8 दिसंबर, 1941 और उनके लिए 1966 वर्ल्ड कप फुटबॉल इसलिए ख़ास था क्योंकि इंग्लैंड की टीम फाइनल में पहुंची- पहली बार फीफा वर्ल्ड कप फाइनल खेल रहे थे। सामने थी वेस्ट जर्मनी टीम। 12वें मिनट में मेहमान टीम 1-0 से आगे हो गई। 7 मिनट बाद बॉबी मूर ने जर्मन पेनल्टी बॉक्स के पास जो फ्री-किक लगाया उसे ज्योफ हर्स्ट ने हेडर से नेट्स में डाल दिया। स्कोर बराबर। इसके बाद कांटे का मुकाबला हुआ और ऐसा लग रहा था कि अब एक्स्ट्रा टाइम में ही कोई फैसला होगा।
तभी हर्स्ट के पास पर मार्टिन पीटर्स ने गोल दाग दिया। 89वें मिनट में फ्री-किक से वेस्ट जर्मनी ने बराबरी कर ली। तो खेलना ही पड़ा एक्स्ट्रा टाइम में। इसके 11 वें मिनट में, हर्स्ट ने जो शॉट लगाया उससे बॉल क्रॉसबार को हिट कर उछली पर सीधे गोल में। क्या ये गोल था? रेफरी गॉटफ्रीड डायनेस्टी (स्विट्जरलैंड से) और लाइनमैन तौफीक बहरामोव (अज़रबैजान से- तब सोवियत रूस में) आपस में बात करने लगे पर मजे की बात ये कि दोनों एक दूसरे की भाषा नहीं जानते थे। इसलिए इशारे होने लगे और इंग्लैंड को गोल दे दिया। इसे वर्ल्ड कप फाइनल के सबसे विवादास्पद क्षण में से एक गिनते हैं।
अब वेस्ट जर्मनी ने बराबरी की तलाश में अपने डिफेंडर भी इंग्लैंड के गोल पोस्ट के करीब भेज दिए। तभी मूर का एक लंबा पास हर्स्ट की तरफ और हर्स्ट ने ऐसा पावरफुल शॉट लगाया कि देखने वालों को लगा कि बॉल स्टैंड में पहुंचाने का इरादा है पर बॉल तो सीधे गई गोल में और इंग्लैंड ने फाइनल 4-2 से जीत लिया। जेफ्री चार्ल्स हर्स्ट की हैट्रिक और पूरी दुनिया में उनके नाम की धूम थी। और भी मजेदार बात ये है कि वर्ल्ड कप शुरू होने के समय- जीतना तो दूर, वे तो इंग्लैंड की स्कीम में भी नहीं थे। फाइनल खेलना भी पक्का नहीं था।
वे खेले तो क्रिकेट और फ़ुटबाल दोनों पर लंबे समय तक क्रिकेट उनका पहला प्यार था। एसेक्स स्कूल क्रिकेट टीम में जगह बनाई। यहां से एसेक्स सेकेंड इलेवन में और ऑरसेट में केंट सेकेंड इलेवन के विरुद्ध पहले मैच में 20 रन बनाए। दो हफ्ते बाद अपना एकमात्र फर्स्ट क्लास मैच खेला- 1962 में लिवरपूल में लेंकशायर के विरुद्ध। वे थे तो विकेटकीपर पर इस मैच में विकेटकीपर के तौर पर नहीं खेले। नंबर 10 बल्लेबाज- बल्लेबाजी के लिए पिच पर गए पर इससे पहले कि कुछ कर पाते, कप्तान ट्रेवर बेली ने पारी को समाप्त घोषित कर दिया। एसेक्स 296-8, पर लेंकशायर को लेग स्पिनर बिल ग्रीन स्मिथ (7-49) ने 149 रन ही आउट कर दिया।
हर्स्ट ने दूसरी पारी में नंबर 8 पर बल्लेबाजी की- 0 पर बोल्ड। इस तरह, अपने एकमात्र फर्स्ट क्लास मैच में दोनों पारी में उनके नाम के आगे 0 लिखा था। हर्स्ट ने इसके बाद कोई भी मैच फर्स्ट इलेवन के लिए नहीं खेला हालांकि 1964 तक सेकेंड इलेवन के लिए खेलना जारी रखा- 4 स्कोर 50 वाले (इनमें से 3 केंट सेकेंड इलेवन के विरुद्ध) और कुल 23 सेकेंड इलेवन मैच- 20.43 औसत पर 797 रन, 15 कैच और 5 स्टंपिंग।
वेस्ट हैम के लिए 500 मैच में 242 गोल और वे 1964 में एफए कप और अगले साल यूरोपीय कप विनर्स कप जीते। 1966 वर्ल्ड कप से चार साल पहले का रिकॉर्ड ये था कि वे फुटबॉल कम और क्रिकेट ज्यादा खेले थे। तब वे सिर्फ डेनिस कॉम्पटन और विली वाटसन की लिस्ट में शामिल होना चाहते थे- ये दोनों इंग्लैंड के लिए इंटरनेशनल स्तर पर फुटबॉल और क्रिकेट दोनों खेले थे।
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फ़ुटबाल करियर(1966-1972 तक)- 49 मैचों में 24 गोल इंग्लैंड के लिए। 1966 की शुरुआत में, इंग्लैंड के मैनेजर अल्फ रैमसे ने ज्योफ को पहली बार, इंग्लैंड लाइन-अप में शामिल किया और अपनी जिद्द पर ही उस टीम में भी शामिल किया जो जुलाई में वर्ल्ड कप में खेलने वाली थी। और देखिए- प्लेइंग इलेवन में तो क्वार्टर फाइनल में ही आ पाए थे जब चोटिल जिमी ग्रीव्स की जगह ली। इस अचानक मिले मौके का पूरा फायदा उठाया और उसके बाद जो हुआ, वह इतिहास है।