दुनिया का सबसे ऊंचा क्रिकेट स्टेडियम कौन सा- इस चर्चा में दावेदार नाम हैरान कर देंगे  

Updated: Fri, Aug 02 2024 10:21 IST
Image Source: Twitter

इन दिनों सोशल मीडिया पर ये पोस्ट खूब वायरल हो रहा है कि दुनिया का सबसे ऊंचा प्राकृतिक क्रिकेट स्टेडियम, पाकिस्तान के गिलगित बाल्टिस्तान (Gilgit Baltistan) के जिला नगर ( District Nagar) में पिसान घाटी (Pissan Valley) में है। ऊंचाई- समुद्र तल से 8,500 फुट। हैरानी की बात ये कि स्टेडियम पुराना है पर चर्चा में तब आया जब जनवरी 2021 में एक स्थानीय जर्नलिस्ट ने सोशल मीडिया पर इस स्टेडियम की एक खूबसूरत पिक्चर पोस्ट की। अब सरकारी तंत्र इस स्टेडियम को चर्चा दिला रहा है। स्टेडियम वाकई खूबसूरत है- ऊंचे बर्फीले पहाड़ों के बीच और सबसे ख़ास बात ये कि पहुंच में है यानि कि शहर के करीब और इसीलिए स्थानीय टीमें यहां क्रिकेट खेलती भी हैं। 

बर्फ से ढकी राकापोशी (Rakaposhi) और दिरान (Diran) चोटियों का नजारा और नीचे एक हरा-भरा कालीन जैसे टर्फ वाला यह स्टेडियम। अब तो ये टूरिस्ट आकर्षण बन गया है और लोग स्टेडियम देखने आ रहे हैं- ख़ास तौर पर गर्मियों में जब यहां पारा कभी 20 डिग्री सेल्सियस को पार नहीं करता। सर्दियों में तो खैर बर्फ और ठंड खेलने नहीं देती। इस स्टेडियम की चर्चा में ही ये सवाल उठा कि क्या ये वैसे भी, दुनिया का सबसे ऊंचा क्रिकेट स्टेडियम है? इसे सबसे ऊंचे प्राकृतिक स्टेडियम के तौर पर मशहूर किया जा रहा है- कुदरत की देन है ये ग्राउंड।   

 

अब तक क्रिकेट में आम तौर पर धर्मशाला स्टेडियम को ही सबसे ऊंचा माना जाता रहा है। भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य में है ये खूबसूरत स्टेडियम और अब तो यहां टेस्ट और वनडे वर्ल्ड कप के मैच भी खेले जा चुके हैं। दुनिया भर में इसकी खूबसूरती की चर्चा होती है। हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के ऑफिशियल बड़े गर्व से भारत के पूर्व टेस्ट विकेटकीपर सैयद किरमानी की स्टोरी सुनाते हैं। वे पहली बार इस स्टेडियम में आए तो संयोग से गेट से एक ख़ास फोन में व्यस्त हो गए लेकिन जैसे ही फोन से ध्यान हटाकर सामने का नजारा देखा तो बोल पड़े- 'क्या मैं जन्नत में आ गया हूं?' 

आपने नोट किया होगा कि जब भी इस स्टेडियम की बात होती है तो चर्चा इसके खूबसूरत नजारे की होती है- पहाड़ों में होने के बावजूद इसकी ऊंचाई की नहीं। कहीं भी ये दावा नहीं किया जाता कि ये सबसे ऊंचा क्रिकेट स्टेडियम है। इसकी ऊंचाई समुद्र से 4780 फुट लिखी है। ये कह सकते हैं कि इंटरनेशनल क्रिकेट आयोजित करने वाला ये सबसे ऊंचा स्टेडियम है। 

मजे की बात ये कि क्रिकेट की पुरानी किताबें सबसे ऊंचे क्रिकेट स्टेडियम के सवाल पर जिस स्टेडियम को सबसे ऊंचा बताती हैं, वह भी भारत में है पर इन दिनों उसका कहीं जिक्र नहीं होता। इसलिए एक स्टेडियम, जिसके साथ एक इतिहास जुड़ा है- गुमनामी के अंधेरे में है। वहां तक तो जाने का पूरा रास्ता है- तब भी ये टूरिज्म के नक्शे पर लोकप्रिय नहीं। ये तो धर्मशाला के स्टेडियम से बहुत पुराना है। 

ये है चैल क्रिकेट ग्राउंड (Chail Cricket Ground) जो  हिमाचल प्रदेश के चैल (Chail) में है। 1891 में, एक राजनीतिक विवाद में जब ब्रिटिश सरकार के कमांडर-इन-चीफ लॉर्ड किचनर ने पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह की समर कैपिटल शिमला में एंट्री बंद करा दी तो महाराजा ने गुस्से में अपनी समर कैपिटल के तौर पर 'एक और शिमला' बसाने की कसम खाई। उन्हें अपने ही स्टेट में शिमला के पास (शिमला से 43 किलोमीटर दूर) एक छोटा सा गांव चैल मिला- वैसा ही खूबसूरत, बर्फ से ढके हिमालय के शानदार नज़ारे वाला और साथ में हरे-भरे जंगल। तब इसे 'स्वर्ग का एक हिस्सा (Slice Of Heaven)' कहते थे। 

उन्होंने अपनी ज़रूरत के हिसाब से 1893 में यहां शहर बसाया- एक शानदार महल बना और चूंकि क्रिकेट के शौकीन थे इसलिए एक ग्राउंड भी बनवाया। चारों ओर चीड़ और देवदार के पेड़ हैं। ये ग्राउंड समुद्र तल से 2444 मीटर (8018 फुट) की ऊंचाई पर है- कहीं-कहीं ये ऊंचाई 2250 मीटर लिखी है पर ये स्पष्ट नहीं होता कि ये चैल शहर की ऊंचाई है या ग्राउंड की? ग्राउंड वास्तव में शहर से भी काफी ऊंचाई पर है- पहाड़ की चोटी पर। इसकी सबसे बड़ी खासियत थी एक बेहतर पिच और ऑउटफील्ड। उस समय, उनकी टीम यहां मैच भी खेलती थी। 

ब्रिटिश इतिहासकारों ने इस ग्राउंड के बारे में बहुत कुछ लिखा है पर आखिर में पटियाला राजघराने ने यहां की सम्पति भारत सरकार को दे दी और ग्राउंड साथ में ही बने चैल मिलिट्री स्कूल को। गड़बड़ ये हुई कि स्कूल ने इसे क्रिकेट स्टेडियम से स्पोर्ट्स ग्राउंड में बदल दिया और आज ये ग्राउंड अपनी साधारण जरूरतों के लिए भी तरस रहा है। आज कोई भी इसे देखकर ये विश्वास ही नहीं करेगा कि कभी यहां देश के टॉप क्रिकेटर खेलते थे और ट्रेनिंग कैंप लगे। यहां तक कि हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने भी इस ग्राउंड पर अपना ध्यान लगाने से बेहतर समझा धर्मशाला में नया स्टेडियम बनाना। मिलिट्री स्कूल के अधिकार के कारण, हर समय उनकी इजाजत, इस के विकास में सबसे बड़ी रुकावट बन गई।

हिमाचल प्रदेश में तो इससे भी ऊंचा क्रिकेट ग्राउंड बनाने की कोशिश की गई- ऐसी जगह जहां जाने की आज तक सड़क नहीं है। तब भी इरादा किया कि देश के टॉप क्रिकेटर यहां खेलने जाया करेंगे हेलीकॉप्टर से। स्टेडियम के पास सिस्सू (Sissu) हेलीपैड है। ये सोच शुरू हुई 2013 में और दुनिया का सबसे ऊंचा क्रिकेट स्टेडियम लाहौल स्पीति (Lahaul Spiti) के सिस्सू में समुद्र तल से 10235 फुट की ऊंचाई पर बनाने का प्रोग्राम बना- यहां सर्दियों में खेलना तो दूर, बर्फ की वजह से पहुंच भी नहीं सकते। प्रोग्राम बना कि साथ में हिमाचल प्रदेश सरकार के ग्रीन हिमाचल विजन (Green Himachal Vision) के तहत लाहौल-स्पीति के डिस्ट्रिक्ट हेडक्वार्टर केलांग ( Keylong) से मनाली तक नेशनल हाईवे पर ग्रीन कॉरिडोर भी बनाया जाएगा। उस से स्टेडियम के आस पास विकास हो जाएगा। बाकी की मदद सरकार के रोहतांग पास के नीचे अटल टनल (Atal Tunnel) बनाने के इरादे ने पूरी कर दी- ये प्रस्तावित स्टेडियम, टनल से ज्यादा दूर नहीं। 

Also Read: पेरिस ओलंपिक 2024

प्रकृति को ये सब विकास मंजूर नहीं। वहां कोई भी निर्माण आसान नहीं- ख़ास तौर पर हर साल बर्फ से ढके लाहौल-स्पीति में गांव के पास चंद्रा (Chandra) नदी का रास्ता बदलने वाले शशिन और थांग गोम्पा ग्लेशियर (Shashin and Thang Gompa Glaciers) से बर्फ गिरने और बर्फीले तूफान का खतरा है और अक्सर तबाही होती है। इसीलिए इतने सालों की कोशिश के बावजूद ये स्टेडियम सिर्फ फाइलों में ही बन पाया है। इसके लिए सिस्सू में लगभग 39 बीघा जमीन भी पहचान ली है खूबसूरत झील के बिलकुल करीब पर 16000 फुट ऊंचे लाहौल घाटी के पहाड़ों से बर्फ गिरने (Avalanche) से जो ख़तरा रहेगा और तबाही होगी उसका कोई तोड़ नहीं मिला।
 

TAGS

सबसे ज्यादा पढ़ी गई खबरें