5 क्रिकेट लेजेंड्स जो कप्तानी में हुए फेल, शायद ही भूल पाएंगे कप्तानी का दर्द
आज हम आपको उन पांच महान खिलाड़ियों के बारे में बताने जा रहे हैं जिन्होंने एक खिलाड़ी के रूप में तो बहुत शौहरत कमाई लेकिन कप्तान फिसड्डी निकले।
क्रिकेट इतिहास में कई ऐसे महान खिलाड़ी हुए हैं जिन्होंने एक खिलाड़ी के रूप में अपनी अमिट छाप छोड़ी है लेकिन इन्हीं महान खिलाड़ियों को जब अपने देश की कप्तानी करने का मौका मिला तो वो फेल साबित हुए। आज हम आपको ऐसे ही पांच कप्तानों के बारे में बताने जा रहे हैं जो एक कप्तान के रूप में फिसड्डी साबित हुए और ये मलाल उन्हें हमेशा रहेगा। आइए देखते हैं कि वो पांच महान खिलाड़ी कौन से हैं।
1. एंड्रयू फ्लिंटॉफ
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इक्कीसवीं सदी के शुरुआती वर्षों में, एंड्रयू फ्लिंटॉफ ने दुनिया के सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर का खिताब अपने नाम किया। अगर उनका करियर चोटों से प्रभावित ना होता तो वो अब तक के सर्वश्रेष्ठ 3 ऑलराउंडरों में से एक के रूप में अपना करियर समाप्त कर सकते थे। फ्लिंटॉफ जब खेलते थे तो वो इंग्लिश टीम के लिए एक टीम में दो खिलाड़ियों का काम करते थे लेकिन, हल्के शब्दों में कहें तो वो एक खिलाड़ी तो लाजवाब थे लेकिन एक खराब कप्तान थे।
इंग्लैंड के कप्तान के रूप में 11 टेस्ट मैचों में, उन्हें 7 में हार का सामना करना पड़ा जबकि 2 टेस्ट मैच ड्रॉ और सिर्फ 2 में जीत मिली। उन्होंने इस निराशाजनक रिकॉर्ड के साथ अपनी कप्तानी का सफर खत्म किया।
2. हीथ स्ट्रीक
स्ट्रीक अपने समय में एक शानदार तेज़ गेंदबाज़ थे और जरूरत पड़ने पर बहुत उपयोगी हिटर भी थे। टेस्ट में 28 और वनडे में 29 की गेंदबाजी औसत के साथ, उन्होंने खुद को इतिहास में जिम्बाब्वे के सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज के रूप में स्थापित किया। स्ट्रीक ने 2000 से 2004 तक 68 वनडे अंतरराष्ट्रीय मैचों में जिम्बाब्वे की कप्तानी की लेकिन इस दौरान उनकी कप्तानी में जिम्बाब्वे को 47 मैचोंं में हार और सिर्फ 18 में जीत मिली।
आपको बता दें कि ये आंकड़े जितना बता रहे हैं जिम्बाब्वे उस समय उतनी खराब टीम नहीं थी;लेकिन कहीं न कहीं जिम्बाब्वे को स्ट्रीक की कप्तानी नहीं भाई और उस समय उनको लगातार हार का सामना करना पड़ा।
3. ब्रायन लारा
ब्रायन लारा, एक ऐसा नाम जिसके बारे में आज भी बच्चा-बच्चा बात करता है। इस महान खिलाड़ी ने अपने समय के युवा खिलाड़ियों को खेलने की प्रेरण दी और उन्हें दिखाया कि क्रिकेट कैसे खेली जाती है। अगर सचिन तेंदुलकर ना होते तो शायद आप ब्रायन लारा को अपने समय का सबसे महान टेस्ट बल्लेबाज कह सकते थे। एक खिलाड़ी के रूप में लारा का कोई सानी नहीं था लेकिन जब उन्होंने वेस्टइंडीज की कप्तानी संभाली तो ये टीम संभल ना सकी।
उन्होंने 47 टेस्ट मैचों में कप्तानी की, इस दौरान केवल 21.27 प्रतिशत की जीत दर थी जिसमें लारा की टीम को केवल 10 मैचों में जीत मिली और 26 में हार का सामना करना पड़ा। विडंबना ये है कि उन्होंने टेस्ट मैचों में एक बल्लेबाज के रूप में तो सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, लेकिन जब उन्हें कप्तानी करने का मौका मिला तो वो इस मोर्चे पर फेल साबित हुए।
4. क्रिस गेल
क्रिस गेल के लिए कप्तान के रूप में लारा की जगह लेना कभी आसान नहीं होने वाला था। लेकिन उनकी आक्रामक बल्लेबाजी शैली ने ये मैसेज दिया कि वेस्टइंडीज उनके नेतृत्व में और भी ज्यादा आक्रामक रुख अपनाएगा। गेल की कप्तानी में वेस्टइंडीज ने क्रिकेट तो आक्रामक ही खेला लेकिन वो नतीजों में तब्दील नहीं हुआ और गेल भी कप्तान के रूप में फ्लॉप साबित हुए।
लारा की तुलना में गेल का वनडे कप्तानी का ट्रैक रिकॉर्ड कहीं अधिक खराब था। गेल की कप्तानी में वेस्टइंडीज को 53 मैचों में केवल 17 जीत मिली 30 में हार का सामना करना पड़ा। आप इन आंकड़ों से अंदाजा लगा सकते हैं कि गेल कितने फ्लॉप साबित हुए।
5. सचिन तेंदुलकर
क्रिकेट का भगवान कहे जाने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने भी कभी टीम इंडिया की कप्तान की थी लेकिन कप्तानी उनको रास नहीं आई। लिटिल मास्टर दो कार्यकालों के दौरान भारतीय कप्तान बने। इसकी शुरुआत 1996 में हुई लेकिन इस दौरान उन्होंने बहुत कम समय के लिए कप्तानी की लेकिन इसके बाद उनका दूसरा कार्यकाल काफी खराब था, जिसके कारण उन्हें कप्तान के रूप में अपना पद छोड़ना पड़ा।
उन्होंने 25 टेस्ट मैचों में भारत की कप्तानी की जिसमें उन्हें केवल 4 में जीत मिली और 73 वनडे मैचों में सिर्फ 23 में ही जीत हासिल हुई। ये आंकड़े ही ये बताने के लिए काफी थे कि सचिन भले ही कितने ही महान खिलाड़ी क्यों ना रहे हों लेकिन एक कप्तान के रूप में वो भी फेल ही साबित हुए थे।