अंपायरिंग के इम्तिहान में कई बार बड़े अजीब सवाल पूछे जाते हैं। ऐसा ही एक सवाल : फील्डर के एक हाथ में केला और तब भी कैच लपक लिया- अंपायर का फैसला क्या होगा? ऐसा सवाल पढ़ कर मन में ये ख्याल आता है कि जो कभी होना नहीं, वैसा सवाल क्यों पूछा जाता है? क्या आप विश्वास करेंगे कि ये सवाल तो एक टेस्ट मैच से लिया है। इसमें दो बातें मजेदार हैं- फील्डर के हाथ में केला आया कैसे और फील्डर के हाथ में केला होने के बावजूद गेंद कैसे फेंक दी?
इस किस्से को इस समय याद करने की वजह? ये फील्डर थे न्यूजीलैंड के क्रिकेटर ब्रूस मुरे, ओपनर बल्लेबाज, 1968 और 1971 के बीच 13 टेस्ट में 598 रन बनाए और 1969 में पाकिस्तान में टेस्ट सीरीज़ जीतने वाली पहली न्यूजीलैंड टीम में थे। उनके दो बड़े मजेदार परिचय और भी हैं :
* 1968 में वेलिंग्टन में भारत के विरुद्ध टेस्ट में एक विकेट लिया- सबसे ख़ास बात ये कि कोई रन नहीं दिया। इसके बाद किसी टेस्ट में गेंदबाजी नहीं की।
* उनकी बेटी जो मुरे और उनके दामाद रॉबी केर दोनों वेलिंगटन के लिए खेले, जबकि इनकी दोनों बेटियां अमेलिया केर और जेस केर न्यूजीलैंड की महिला क्रिकेटर हैं। मुरे के 11 पोते-पोतियां हैं जिन्हें 'पोपा इलेवन' कहते हैं।
अब आते हैं उनके तीसरे और सबसे मजेदार परिचय पर- वह फील्डर जिसने टेस्ट में एक हाथ में केला होने के बावजूद कैच लपका। इस स्टोरी को जानने के लिए न्यूजीलैंड के 1969-70 के पाकिस्तान टूर पर जाना होगा। ये न्यूजीलैंड के लिए ऐतिहासिक टूर था- पाकिस्तान में पहली टेस्ट और सीरीज जीत। इसी टूर में, 90 का स्कोर लाहौर में बनाया- उनका सबसे बड़ा टेस्ट स्कोर।