1975 के वर्ल्ड कप में इंडिया का सफर
1975 में जब पहली बार प्रूडेंशियल वर्ल्ड कप खेला गया तो इसमें 8 देशों ने हिस्सा लिया। इन 8 टीमों को दो ग्रुप ए और बी में बांटा गया। इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, और ईस्ट अफ्रीका के साथ इंडिया को ग्रुप ए
1975 में जब पहली बार प्रूडेंशियल वर्ल्ड कप खेला गया तो इसमें 8 देशों ने हिस्सा लिया। इन 8 टीमों को दो ग्रुप ए और बी में बांटा गया। इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, और ईस्ट अफ्रीका के साथ इंडिया को ग्रुप ए में रखा गया और ग्रुप बी में वेस्टइंडीज ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान, और श्रीलंका को रखा गया। इंडिया की शुरूआत तो अच्छी नहीं रही लेकिन उसने आखिरी दम तक उम्मीद जगाए रखी। आइए एक नजर डालते हैं 1975 में हुए पहले प्रूडेंशियल वर्ल्ड कप में इंडियन टीम के सफर पर ।
क्रिकेट वर्ल्ड कप की शुरूआत 1975 में हुई और इसका पहला मैच 7 जून 1975 को इंडिया और इंग्लैंड के बीच खेला गया। क्रिकेट का घर कहे जाने वाले लॉर्ड्स के मैदान में खेला गया यह मैच, वर्ल्ड कप का पहला मैच होने से ज्यादा इंडिया के लिटिल मास्टर सुनील गावसकर की बेहद धीमी पारी के लिए जाना जाता है।
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इंग्लैंड ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया और पहली गेंद मदन लाल ने फेंकी। इंग्लैंड के बल्लेबाजों ने इंडियन गेंदबाजी को जमकर धोया और 60 ओवरों में 4 विकेट के नुकसान पर 334 रन का विशाल स्कोर खड़ा कर दिया। डेनिस एमिस ने बेहतरीन पारी खेली और 137 रन बनाए और वह वर्ल्ड कप में सेंचुरी मारने वाले पहले खिलाड़ी भी बने। उनके अलावा किथ फ्लैचर ने शानदार 68 रन बनाए। इंडिया के लिए सैय्यद अबिद अली ने 12 ओवरों में 58 रन देकर दो विकेट लिए थे।
सुनील गावसकर एकनाथ सोलकर के साथ ओपनिंग करने उतरे। 60 ओवर के इस मैच में वह शुरू से अंत तक खेलते रहे लेकिन टीम को मैच नहीं जीता सके। सुनील गावसकर ने 174 गेंदों में नाबाद 36 रन की बेहद धीमी पारी खेली। लिटिल मास्टर सुनील गावस्कर की इस धीमी पारी के लिए काफी आलोचना हुई।
इस मैच में गुंडप्पा विश्वनाथ ने इंडिया की तरफ से सबसे ज्यादा 37 रन बनाए थे।
इस मैच में इंडियन टीम 60 ओवरों में 3 विकेट के नुकसान पर केवल 132 रन ही बना पाई थी और इंग्लैंड के हाथों 202 रन के बड़े अंतर से मैच हार गई थी।
वर्ल्ड कप के पहले ही मैच में 202 रनों की करारी हार झेलने के बाद 11 जून 1975 को हेंडिग्ले में इंडिया का सामना ईस्ट अफ्रीका के साथ हुआ।
ईस्ट अफ्रीका ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। पहले मैच में फेल रहे गेंदबाजों औऱ ने शानदार वापसी करी और ईस्ट अफ्रीका की पूरी टीम को 120 रन पर ही आउट कर दिया। इस मैच में मदन लाल ने 3, सैय्यद अबिद अली और मोहिंदर अमरनाथ ने 2-2 और बिशन सिंह बेदी ने 1 विकेट लिया था।
जीत के 121 रनों के लक्ष्य की पीछा करने के लिए सुनील गावस्कर और फारूख इंजीनियर की जोड़ी मैदान पर उतरी। सुनील गावस्कर की बेहद धीमी पारी लोगों के दिलों दिमाग पर छाई हुई थी लेकिन गावस्कर ने शानदार वापसी करते हुए 86 गेंदों में 9 चौकों की मदद से नाबाद 65 रन की पारी खेली। इस पारी की बदौलत उन्होंने काफी हद तक पिछले मैच की पारी की भरपाई करने की कोशिश करी । फारूख इंजीनियर ने भी शानदार हाफ सेंचुरी लगाई और 93 गेदों में 7 चौकों की मदद से नाबाद 54 रन की पारी खेली। दोनों ओपनरों की शानदार बल्लेबाजी की बदौलत इंडिया ने ईस्ट अफ्रीका को 10 विकेट से हरा दिया। वन डे क्रिकेट के इतिहास में यह पहला मौका था जब किसी टीम ने 10 विकेट से जीत हासिल की थी।
इस मैच में फारूख इंजीनियर को मैन ऑफ द मैच चुना गया था।
वर्ल्ड कप में एक जीत और एक हार के साथ टीम इंडिया आगे बढ़ी। इंडिया के सेमीफाइनल में प्रवेश करने की उम्मीदें अभी भी जिंदा थी लेकिन इसके लिए उसे न्यूजीलैंड को हराना जरूरी था। न्यूजीलैंड भी इससे पहले एक मैच जीती थी और एक हारी थी।
सेमीफाइनल के लिए 14 जून 1975 को इंडिया को मुकाबला न्यूजीलैंड के साथ हुआ। इस मैच में इंडिया ने टॉस जीता और पहले बल्लेबाजी करने का फैसला किया। पहले बल्लेबाजी करते हुए इंडिया के सारे खिलाड़ियों ने मिलकर 230 रन का सम्मानजनक स्कोर खड़ा किया।
पिछले मैच में अपने दम पर इंडिया को जीत दिलाने वाली सुनील गावसकर और फारूख इंजीनियर की जोड़ी इस मैच में फ्लॉप साबित हुई। गावस्कर 12 और फारूख इंजीनियर 24 रनों का योगदान दिया। सैय्यद अबिद अली ने इस मैच में सबसे ज्यादा 70 रन बनाए थे। उनके अलावा अंशुमन गायकवाड़ ने 51 गेंदों में 37 रन बनाए थे। अंत में टीम के कप्तान श्रीनिवास वेकंटराघवन ने नाबाद 26 रनों की महत्वपूर्ण पारी खेली और टीम का स्कोर 230 तक पहुंचा।
जीत के लिए 231 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी न्यूजीलैंड की टीम की शुरूआत ज्यादा अच्छी नहीं रही औऱ 70 रन तक पहुंचते-पहुंचते उसके तीन खिलाड़ी वापस पवेलियन लौट गए थे। लेकिन जॉन मॉरिसन के साथ ओपनिंग करने उतरे ग्लैन टर्नर ने शुरूआत से अंत तक एक छोर संभाले रखा औऱ टीम को जीत दिलाकर ही दम लिया। टर्नर ने 177 गेंदों में 13 चौकों की मदद से नाबाद 114 रन की पारी खेली और 7 बॉल बाकी रहते न्यूजीलैंड ने यह मैच 4 विकेट से जीतकर वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में प्रवेश कर लिया था। इस हार के साथ ही टीम इंडिया का 1975 के वर्ल्ड का सफर खत्म हो गया था। टर्नर के बाद ब्रायन हेस्टिंग्स (34) ने सबसे ज्यादा रन बनाकर जीत में योगदान में दिया था।
इंडिया के गेंदबाजों ने अच्छी गेंदबाजी लेकिन वह टीम को हार से बचानें में असफल साबित हुए। इस मैच में सैय्यद अबिद अली ने 2 , मदन लाल, बिशन सिंह बेदी औऱ मोहिंदर अमरनाथ ने 1-1 विकेट लिया था। बेहतरीन शतकीय पारी के लिए ग्लैन टर्नर को मैन ऑफ द मैच चुना गया।