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उम्मीदों के विपरीत भारतीय टीम का निराशाजनक प्रदर्शन

भारत की टीम जब 1992 का वर्ल्ड कप खेलने ऑस्ट्रेलिया औऱ न्यूजीलैंड पहुंची तो भारतीय टीम से सभी को शानदार प्रदर्शन की उम्मीद थी ।

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Mohammad Azharuddin
Mohammad Azharuddin ()
Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
Feb 02, 2015 • 04:24 AM

भारत की टीम जब 1992 का वर्ल्ड कप खेलने ऑस्ट्रेलिया औऱ न्यूजीलैंड पहुंची तो भारतीय टीम से सभी को शानदार प्रदर्शन की उम्मीद थी । वर्ल्ड कप शुरू होने से पहले ये कयास लगाए जा रहे थे कि भारत वर्ल्ड कप जीतने का प्रबल दावेदार है पर नियती को कुछ और ही मंजूर था।इंग्लैंड के साथ वर्ल्ड कप के पहले ही मैच में भारत की हार ने भारतीय क्रिकेट प्रेमियों को एक बड़ा झटका दे दिया था। इंग्लैंड से मिली हार से भारत के लिए वर्ल्ड कप जीतने की उम्मीद पर धूल जमने की शुरूआत हो गई थी।

Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma
February 02, 2015 • 04:24 AM

 1983 में शानदार प्रदर्शन से वर्ल्ड चैंपियन बनने वाली और 1987 के वर्ल्ड कप में सेमीफाइनल तक का सफर तय करने वाली भारतीय टीम 92 “वर्ल्ड कप के लीग मुकाबलें में ही फिसड्डी साबित हो गई थी। 1975 और 1979 के बाद भारत के लिए ये तीसरा मौका था जब भारत वर्ल्ड कप के दूसरे राउंड तक ही सिमट कर रह गई थी। 

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22 फरवरी 1992 को इंग्लैंड के खिलाफ खेलते हुए भारत की टीम ने 1992 वर्ल्ड कप में अपना अभियान शुरू किया था। इस बेहद ही रोमांच वाले मैच में इंग्लैंड ने भारत को 9 रन से शिकस्त दी। इतने कम रनों के फासले से हार जाने के कारण भारतीय टीम के खिलाड़ीयों का मनोबल टूट सा गया था। इसका ही परिणाम था कि वर्ल्ड कप 1992 में अपने खेले गए कुल 8 मैचों में भारत केवल 2 मैच ही जीत पाई थी।  भारत ने जो दो मैच जीते थे उनमें एक मैच बेहद ही कमजोर मानी जा रही टीम जिम्बाब्वें के खिलाफ जीता था। ‘92 के वर्ल्ड कप में भारत को केवल एक ही बात तसल्ली दे रही थी कि पाकिस्तान के खिलाफ हुए मैच में भारत ने अपनी इज्जत बचा ली थी। 

1992 वर्ल्ड कप में एक तरफ जहां न्यूजीलैंड , पाकिस्तान , साउथ अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज रनों का अंबार लगा रहे थे तो वहीं भारत के 2- 3 बल्लेबाजों को छोड़कर बाकि के खिलाड़ी रन बनानें के लिए संघर्ष करते हुए दिखाई दे रहे थे। हालांकि भारत के कप्तान मोहम्मद अजहरूद्दीन ने अपनी तरफ से पुरजोर कोशिश की थी । अजहर ने कुल 8 मैचों में 332 रन बनाएं थे जिसमें 4 अर्धशतक शामिल थे। सचिन तेंदुलकर जो अपने क्रिकेट करियर का पहला वर्ल्ड कप खेल रहे थे उन्होंने भी अपनी बल्लेबाजी से टीम भारत के प्रदर्शन को सुधारने के लिए एक छोर से शानदार बल्लेबाजी की थी। तेंदुलकर ने कुल 283 रन बनाएं थे तो वहीं भारत के ऑल टाइम फेवरेट आलराउंडर कपिल देव जो अपने करियर का अंतिम वर्ल्ड कप खेल रहे थे उन्होंने भी टीम भारत को जीत के रास्ते पर लाने के लिए अपने प्रदर्शन में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। कपिल देव ने ऑलराउंड खेल दिखाते हुए अपने बल्लेबाजी से कुल 161 रन बनाएं थो तो वहीं गेंदबाजी करते हुए 9 विकेट हासिल किए थे। इन खिलाड़ियों के एड़ी-चोटी का जोर लगाने के बावजूद भारत की टीम का वर्ल्ड कप जीतने का सपना धरा का धरा ही रह गया था। 

भारत के लिए 1992 वर्ल्ड कप बेहद ही निराशाजनक रहा था। भारत ने अपने लीग मैचों में विरोधी टीमों से काफी कम अंतर से मैच हार रहे थे. चाहे वो साउथ अफ्रीका के खिलाफ मैच जिसमें 5 गेंद शेष रहते मिली हुई हार हो या फिर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ केवल 1 रन से मिली हार हो । जीतने लायक मैच को गंवाने के कारण ही टीम भारत पर इसका उलटा असर पड़ा जिससे टीम भारत के खिलाड़ियों का आत्मविश्वास बिल्कुल ही नीचे गिर गया था। 

भारत के वर्ल्ड कप 1992 में निराशाजनकर परफॉर्मेंस का कारण ये भी था कि वर्ल्ड कप शुरू होने के पहले भारत की टीम ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टैस्ट मैचों की सीरीज भी खेली थी जिससे खिलाड़ी पूरी तरह से थक गए थे। इसका प्रभाव वर्ल्ड कप के मैचों में देखने को मिला था।  

विशाल भगत/CRICKETNMORE

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