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13 साल के इंडियन प्लेयर ने ठोकी 58 बॉल में सेंचुरी, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ U-19 क्रिकेट में रच दिया इतिहास

13 साल के क्रिकेटर वैभव सूर्यवंशी ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अंडर 19 टेस्ट में सबसे तेज़ शतक जड़कर इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करवा लिया है।

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13 साल के इंडियन प्लेयर ने ठोकी 58 बॉल में सेंचुरी, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ U-19 क्रिकेट में रच दिया इत
13 साल के इंडियन प्लेयर ने ठोकी 58 बॉल में सेंचुरी, ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ U-19 क्रिकेट में रच दिया इत (Image Source: Google)
Shubham Yadav
By Shubham Yadav
Oct 01, 2024 • 11:17 AM

चेन्नई में भारत और ऑस्ट्रेलिया की अंडर-19 टीमों के बीच चल रहे यूथ टेस्ट मैच में 13 साल के वैभव सूर्यवंशी ने इतिहास रच दिया। वैभव ने मंगलवार को भारत के लिए अंडर-19 टेस्ट में सबसे तेज शतक बनाकर सारी लाइमलाइट लूट ली। भारत के लिए पहली पारी में बल्लेबाजी करते हुए, 13 वर्षीय वैभव सूर्यवंशी ने 104 रन पर रन आउट होने से पहले सिर्फ 58 गेंदों पर अपना शतक पूरा किया। उनकी पारी में 14 चौके और चार छक्के शामिल थे।

Shubham Yadav
By Shubham Yadav
October 01, 2024 • 11:17 AM

कुल मिलाकर, ये अंडर-19 टेस्ट में दूसरा सबसे तेज शतक है और भारत के लिए ये सबसे तेज़ अंडर-19 शतक है। वैभव से पहले इंग्लैंड के मोईन अली के नाम पर ये रिकॉर्ड दर्ज है। मोईन ने 2005 में 56 गेंदों पर शतक बनाने का रिकॉर्ड बनाया था। पहले मैच में ऑस्ट्रेलिया को पहली पारी में 293 रनों पर रोकने के बाद वैभव ने शतक लगाकर भारत को मज़बूत स्थिति में पहुंचा दिया है।

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वैभव ने पिछले साल तब सुर्खियाँ बटोरी थीं, जब वो रणजी ट्रॉफी के इतिहास में सबसे कम उम्र के डेब्यू करने वाले खिलाड़ी बने थे। उन्होंने बिहार के लिए 12 साल की उम्र में खेलते हुए सचिन तेंदुलकर और युवराज सिंह का रिकॉर्ड तोड़ा था। उन्होंने अब तक दो प्रथम श्रेणी मैच भी खेले हैं। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए वैभव के पिता संजीव सूर्यवंशी ने बताया कि कैसे खेल के प्रति उनके जुनून ने उनके बेटे को भारत के घरेलू सर्किट में तेजी से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।

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संजीव ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा था, "मैं खुद क्रिकेट का दीवाना था। लेकिन बिहार में क्रिकेट तो दूर, किसी भी खेल के लिए कोई गुंजाइश नहीं थी। मैं 19 साल की उम्र में मुंबई चला गया और कई काम किए, जैसे कोलाबा के एक नाइट क्लब में बाउंसर के रूप में काम करना, सुलभ शौचालय में काम करना या बंदरगाह पर काम करना। मैं अपने छुट्टी के दिन ओवल मैदान में बिताता था। वहां क्रिकेट खेलने वाले छोटे बच्चे पैड और हेलमेट से ढके होते थे। उनमें से कुछ इतने अच्छे होते थे कि कोई उन्हें घंटों देख सकता था। मैंने तभी तय कर लिया था कि बेटा हो या बेटी, मैं अपने बच्चों को क्रिकेटर बनाऊंगा।"

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