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फ्रेंचाइजी लीग भारतीय महिला क्रिकेट के लिए 'बूस्टर डोज'!

Royal Challengers Bangalore: भारत में क्रिकेट केवल खेल नहीं, फैंस के लिए जुनून है। इन्हें फर्क नहीं पड़ता कि क्रिकेट के कौन से फॉर्मेट का मैच खेला जा रहा है, फैंस तो बस हर मैच को देखना चाहते हैं। ऐसा

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New Delhi: WPL final cricket match between Delhi Capitals and Royal Challengers Bangalore
New Delhi: WPL final cricket match between Delhi Capitals and Royal Challengers Bangalore (Image Source: IANS)
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By IANS News
Aug 19, 2024 • 09:38 AM

Royal Challengers Bangalore: भारत में क्रिकेट केवल खेल नहीं, फैंस के लिए जुनून है। इन्हें फर्क नहीं पड़ता कि क्रिकेट के कौन से फॉर्मेट का मैच खेला जा रहा है, फैंस तो बस हर मैच को देखना चाहते हैं। ऐसा जुनून दुनिया के किसी कोने में देखने को नहीं मिलता। लेकिन क्या यह दीवानगी क्रिकेट के लिए है, या उसे खेलने वाले खिलाड़ियों के लिए? क्योंकि महिला क्रिकेट और पुरुष क्रिकेट में जमीन आसमान का फर्क है और यह फर्क नियमों का नहीं, बल्कि जेंडर का है।

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August 19, 2024 • 09:38 AM

खेल का कोई जेंडर नहीं होता, चाहे बल्ला पुरुष क्रिकेटर के हाथ में हो या महिला क्रिकेटर के, नियम सबके लिए एक जैसे हैं, तो फैंस इनमें फर्क क्यों करते हैं? अगर, ये सवाल सुनकर आप भी सोचने पर मजबूर हो गए, तो यकीन मानिए ये सवाल जायज है।

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पूरी दुनिया में महिला और पुरुष क्रिकेट के बीच फर्क को किस तरह देखा जाता है, उसका सटीक अंदाजा लगाना थोड़ा मुश्किल है। भारत में महिला और पुरुष क्रिकेट के बीच भेदभाव होता रहा है। हालांकि अब काफी हद तक ये चीजें बदल रही हैं लेकिन सफर अभी लंबा है।

मिताली राज, झूलन गोस्वामी, हरमनप्रीत कौर और स्मृति मंधाना ये वो महिला खिलाड़ी हैं जिन्होंने भारतीय महिला क्रिकेट की तस्वीर बदल दी।

मॉर्डन क्रिक्रेट में बहुत कुछ बदल चुका है। पुरुष और महिला दोनों के लिए ‘बैट्समैन’ की बजाय जेंडर न्यूट्रल ‘बैटर’ शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा, महिला और पुरुष क्रिकेटरों को समान वेतन की पहल में अब बीसीसीआई भी शामिल है। इन तमाम कोशिशों से धीरे-धीर वैश्विक स्तर पर चीजें बदल भी रही हैं।

एक समय ऐसा था जब नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर भारतीय महिला क्रिकेटरों के पास क्रिकेट किट खरीदने के भी पैसे नहीं थे। प्राइवेट प्लेन तो दूर की बात है, बड़ी मुश्किल से उन्हें सामान्य टिकट मिलता था और वो एक आम नागरिक की तरह ट्रेवल करती थीं। ये सारी चीजें आपने मिताली राज की लाइफ पर बनी फिल्म में देखी होंगी। यही कारण है कि क्रिकेट में करियर बनाने का युवा लड़कियों का इरादा इन चुनौतियों को देखकर डगमगा जाता था।

देखा जाए तो 4-5 साल पहले तक भारतीय महिला क्रिकेट की हालत बहुत खराब थी। लेकिन खिलाड़ियों की काबिलियत और बड़े टूर्नामेंट में टीम के दमदार प्रदर्शन ने लोगों की सोच बदली। धीरे-धीरे भारत में भी लोगों का ध्यान महिला क्रिकेट की ओर बढ़ने लगा।

साल 2023 में महिला प्रीमियर लीग ने भारतीय महिला क्रिकेट के लिए बूस्टर डोज का काम किया। इस टी20 लीग से न केवल आर्थिक रूप से कमजोर खिलाड़ियों को मदद मिली बल्कि युवा महिला क्रिकेटरों को अपने सपने को पूरा करने का मंच भी मिला। इस बात को एक महिला क्रिकेटर से बेहतर और कौन समझ सकता है।

दो साल से महिला प्रीमियर लीग में मुंबई इंडियंस की मेंटॉर और गेंदबाजी कोच झूलन गोस्वामी ने हाल ही में ईएसपीएनक्रिकइंफो से कहा था कि फ्रेंचाइजी लीग महिला क्रिकेट का भविष्य है।

बेशक आईपीएल की तर्ज पर बनी डब्ल्यूपीएल की फैन फॉलोइंग और बजट कम है लेकिन डब्ल्यूपीएल सीजन 2 में क्रिकेट फैंस का जो सपोर्ट मिला, उसने कई रिकॉर्ड बनाए। ऐसे में सीजन 3 को लेकर उम्मीदें और बढ़ गई हैं।

दो साल से महिला प्रीमियर लीग में मुंबई इंडियंस की मेंटॉर और गेंदबाजी कोच झूलन गोस्वामी ने हाल ही में ईएसपीएनक्रिकइंफो से कहा था कि फ्रेंचाइजी लीग महिला क्रिकेट का भविष्य है।

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Article Source: IANS

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