Tahira Hameed: ऐसा मान रहे हैं कि कोलंबो में बारिश के कारण पाकिस्तान, चार बार की चैंपियन इंग्लैंड के विरुद्ध एक यादगार जीत से चूक गया। सच तो ये है कि पाकिस्तान टीम का वर्ल्ड कप में हिस्सा लेना ही अपने आप में उससे कहीं ज़्यादा यादगार और ऐतिहासिक है। पाकिस्तान में समाज के कड़े दायरे और धार्मिक भावनाओं के बंधन को ध्यान में रखते हुए सोचिए, लड़कियों ने क्रिकेट खेला और शुरुआत में, पीसीबी से किसी भी सपोर्ट के बिना, इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने के लिए एक टीम बनाई।
ये कोई छोटी बात नहीं है। पाकिस्तानी महिला क्रिकेटरों की मौजूदा पीढ़ी को शायद ये याद भी नहीं होगा कि इस समय वे वर्ल्ड कप में खेल रही हैं तो इसके पीछे किसकी मेहनत ने शुरुआत की? उन्हें उस प्रेरणा देने वाली शख्सियत का शुक्रिया अदा करना चाहिए। सच ये है आज उस प्रेरणा को कोई याद नहीं करता और ये स्टोरी इतिहास के पन्नों में खो गई है।
8 नवंबर, 2020 को कराची में ताहिरा हमीद का निधन हुआ। वे तब 85 साल की थीं। पाकिस्तान की महान महिला खिलाड़ियों में से एक थीं। 70 के दशक के बीच में उन्होंने ही पाकिस्तान में महिला क्रिकेट के बारे में सोचा और उसे एक ढांचा दे, शुरुआत की। वह खिलाड़ी थीं, लेकिन हैरानी की बात ये कि कभी क्रिकेट नहीं खेला। इसके बावजूद अपना समय और एनर्जी पाकिस्तान में महिला क्रिकेट के लिए खर्च किए। क्रिकेट असल में उनके खून में था। वे एक खेल परिवार से थीं: