Tilak Varma’s Journey: पाकिस्तान के विरुद्ध एशिया कप फाइनल के बाद तिलक वर्मा (Tilak Varma) पर चर्चा और उनकी सही पहचान जानने की बेताबी, बेमिसाल है। उनकी क्रिकेट स्टोरी सिर्फ़ रन और रिकॉर्ड की नहीं है; उस जुझारूपन की है जिसमें एक युवा क्रिकेटर की वह ताकत नजर आती है जिसकी जड़ें परिवार, विश्वास और गजब के डिसिप्लिन में हैं। एशिया कप में पाकिस्तान के विरुद्ध बनाए 53 गेंद में 69 रन से भारतीय क्रिकेट को एक हीरो मिला। उनके सफ़र पर एक नज़र:
1. बचपन की बात ये है कि पिता, नंबूरी नागराजू (एक इलेक्ट्रीशियन) के पास इतने साधन नहीं थे कि उन्हें किसी प्राइवेट कोचिंग के लिए भेजते। एक अच्छा बैट खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे। तब भी पिता ने किसी तरह से सपना पूरा किया और 5999 रुपये (जो उस समय उस परिवार के लिए एक बहुत बड़ी रकम थी) वाला क्रिकेट बैट (SS) खरीद दिया। ये बड़ी जल्दी टूट गया। जब बीसीसीआई ने अंडर-16 के 2016-17 सीज़न में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले खिलाड़ी के तौर पर तिलक को नमन अवार्ड्स में सम्मानित किया तो इससे स्पांसरशिप का रास्ता खुला और संयोग से सरीन स्पोर्ट्स इंडस्ट्रीज (SS) ने ही तब नए बैट की सप्लाई शुरू की।
2. मुश्किल के शुरुआती दौर में, उनके पहले कोच सलाम बयाश ने फीस और क्रिकेट सामान की हर जरूरत का ख्याल रखा। एकेडमी में क्रिकेट ट्रेनिंग दिलाई, जरूरत में अपने परिवार के साथ भी रखा।