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तब विराट कोहली को भी अंडर 19 वर्ल्ड कप टीम का कप्तान बनाना सेलेक्शन कमेटी का मास्टर स्ट्रोक था

भारत की अंडर 19 टीम के पिछले दिनों वर्ल्ड कप जीतने में एस शरथ की सेलेक्शन कमेटी के सबसे बड़े मास्टर स्ट्रोक के तौर पर यश ढुल को कप्तान बनाना गिना जा रहा है। अक्टूबर 2021 में हरियाणा ने निशांत

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Virat Kohli
Virat Kohli (Image Source: Google)
Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
Feb 14, 2022 • 08:55 AM

भारत की अंडर 19 टीम के पिछले दिनों वर्ल्ड कप जीतने में एस शरथ की सेलेक्शन कमेटी के सबसे बड़े मास्टर स्ट्रोक के तौर पर यश ढुल को कप्तान बनाना गिना जा रहा है।

Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti
February 14, 2022 • 08:55 AM

अक्टूबर 2021 में हरियाणा ने निशांत सिंधु की कप्तानी में वीनू मांकड़ ट्रॉफी को जीता। निशांत सिंधु, उम्र 18 साल पर गज़ब का टेलेंट- गज़ब की की कप्तानी की। बैटऔर गेंद दोनों से चमके। विश्वास कीजिए कप्तान के लिए पहली पसंद वे थे। तब लगा कि दो भूमिका निभाने वाले पर और बोझ क्यों डालें? जब यश कोविंड के कारण नहीं खेले तो यही निशांत काम आए।

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कप्तान के लिए अगला नाम रशीद का था पर बना दिया यश ढुल को। रशीद- सबसे अच्छे बल्लेबाज लेकिन यश कम्युनिकेशन और खेल भांपने में अच्छे। ऐसा कप्तान चाहिए था जो टीम की देखभाल कर सके। यही हुआ और यश को कप्तान बनाना मास्टर स्ट्रोक था।

भारत ने इससे पहले चार बार अंडर 19 वर्ल्ड कप जीता। यश जैसी एक मिसाल और भी है- तब भी सेलेक्टर्स ने फेवरिट को नहीं, अपनी पसंद वाले को कप्तान बनाया था और उनके इस फैसले ने भारत को आज तक के सबसे सफल कप्तान में से एक तक पहुंचाया। क्या याद है आपको?

14 जनवरी 2008 को सेलेक्शन कमेटी की मीटिंग हुई अंडर 19 वर्ल्ड कप की टीम चुनने के लिए। तब संजीव शर्मा कमेटी के चीफ थे और अन्य सदस्य थे वी चमुंडेश्वर नाथ, काजल दास, राकेश पारिख और कैलाश गट्टानी। भारत की अंडर 19 टीम इससे लगभग एक साल पहले से जो क्रिकेट खेल रही थी, उस हिसाब से उत्तर प्रदेश के तनमय श्रीवास्तव को कप्तान बनना चाहिए था। वे कप्तान रहे थे इस ज्यादातर दौर में और टॉप बल्लेबाज़ भी। सेलेक्शन कमेटी ने कप्तान बना दिया विराट कोहली को।

उन दिनों भी एनसीए थी और तब भी कोच वहीं से लाए थे- डायरेक्टर ऑफ़ ऑपरेशंस डेविड बून को कोच बनाया पर वे अंडर 19 क्रिकेटरों के लिए राहुल द्रविड़ जैसे मेंटोर/कोच नहीं थे। इसलिए ये शुद्ध इस कमेटी का फैसला था। मीडिया में एक लॉबी ने ये आरोप भी लगाया कि संजीव शर्मा दिल्ली के हैं, इसलिए उनका झुकाव दिल्ली के विराट कोहली की तरफ था। और भी मजेदार बात ये कि तनमय को तो उनका डिप्टी भी नहीं बनाया- उपकप्तान थे रवींद्र जडेजा। हां, तनमय टीम में थे।

किस एक ख़ास बात ने सेलेक्टर्स का वोट विराट कोहली को दिलाया? ये था विराट कोहली का फर्स्ट क्लास क्रिकेट का अनुभव- तब तक विराट 5 फर्स्ट क्लास मैच में 53 की औसत से 373 रन बना चुके थे और टॉप स्कोर 159 था। वर्ल्ड कप में विराट कोहली 6 मैच में 235 रन (औसत 47) बनाकर रन चार्ट में नंबर 3 थे- तनमय श्रीवास्तव ने 262 रन बनाए और टूर्नामेंट के टॉप स्कोरर थे। उस वर्ल्ड कप में विराट कोहली ने जिस जोश से कप्तानी की- उसका टीम की जीत में ख़ास योगदान था और वहीं से पता लग गया था कि ये 'केप्टेन्सी मेटीरियल' है।

संयोग देखिए- इस बार यश ढुल टॉप स्कोरर नहीं थे। विराट ने वेस्ट इंडीज के विरुद्ध 74 गेंद में जो 100 रन बनाए- वे कई जानकारों की नज़र में 'इनिंग्स ऑफ़ द टूर्नामेंट' थी। इस बार यश ने ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध जो 110 बनाए- वे भी उतने ही कीमती थे और कई जानकारों ने इन्हें 'इनिंग्स ऑफ़ द टूर्नामेंट' गिना।

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ये मानने वालों की कमी नहीं कि तब कप्तान न बनाए जाने से तनमय का दिल ऐसा टूटा कि उनका क्रिकेट मिजाज ही बदल गया- जिसे भविष्य का टॉप स्टार गिनते थे वह कभी सही टेलेंट के साथ खेल ही नहीं पाया। जिस तरह इस बार फाइनल में, कप्तान न बने निशांत ने जीत वाले 50* बनाए, तब कप्तान न बने तनमय ने जीत वाले 43* बनाए थे।

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