तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में 9 से 14 दिसंबर तक स्कवैश विश्व कप का आयोजन होना है। स्कवैश वैश्विक स्तर पर एक लोकप्रिय खेल हैं और भारत में भी इसकी लोकप्रियता धीरे-धीरे बढ़ रही है। लगातार दूसरी बार चेन्नई में स्कवैश विश्व कप का आयोजन देश में इस खेल की बढ़ती लोकप्रियता का ही प्रमाण है।
स्कवैश मूल रूप से इंग्लैंड का खेल है। भारत इंग्लैंड का उपनिवेश रहा है। इस वजह से स्कवैश की जड़े भारत में भी गहरी हैं। स्कवैश की भारत में शुरुआत 19वीं शताब्दी के अंत में हुई थी। 1882 में बॉम्बे जिमखाना क्लब में पहला कोर्ट बनाया गया था, जब एक रैकेट्स कोर्ट को स्कवैश में परिवर्तित किया गया। ब्रिटिश सेना ने प्रथम विश्व युद्ध से पहले इस खेल को भारत में लोकप्रिय बनाया। ब्रिटिश अधिकारियों ने कई कोर्ट बनवाए। स्वतंत्रता के बाद, 1947 में स्कवैश रैकेट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की स्थापना हुई, जो देश में इस खेल का संचालन करती है।
1970-80 के दशक से देश में स्कवैश को पेशेवर तरीके से खेला जाने लगा। 1993 में इंडियन स्क्वैश प्रोफेशनल्स ने पहला पेशेवर टूर्नामेंट आयोजित किया। बंद कोर्ट में खेला जाने वाला स्कवैश हाल के वर्षों में तेजी से देश में एक मुख्य खेल के रूप में विकसित हुआ है। भारतीय खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में बड़ी सफलता प्राप्त करते हुए इस खेल को लोकप्रिय बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। सरकार ने भी आर्थिक तौर पर संसाधनों की सहायता कर खिलाड़ियों के आत्मविश्वास को बढ़ाया है।