बदकिस्मती का दूसरा नाम जयदेव उनादकट, 12 साल का 'वनवास' होने वाला है और लंबा
भारत के तेज गेंदबाज जयदेव उनादकट को 12 साल बाद टेस्ट टीम में मौका दिया गया। इस खबर से ना सिर्फ उनादकट बल्कि उनके फैंस भी काफी खुश हुए क्योंकि उन्हें उम्मीद थी कि कम से कम उन्हें 12 साल बाद टीम इंडिया में खेलते दिखेंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जयदेव उनादकट की किस्मत ने उन्हें धोखा दे दिया और वो बुधवार से यहां बांग्लादेश के खिलाफ शुरू होने वाले पहले टेस्ट के लिए उपलब्ध ही नहीं थे।
दरअसल, हुआ ये कि उनादकट वीजा संबंधी दिक्कतों के कारण भारत में ही फंसे रहे और पहले टेस्ट से पहले चटोग्राम नहीं पहुंच सके। बीसीसीआई सूत्रों के मुताबिक 31 साल के उनादकट के वीजा के कागजात तैयार नहीं हुए थे। सूत्र ने कहा, 'उनादकट पहले टेस्ट के शुरू होने से पहले यहां समय पर नहीं पहुंच पाए। यहां तक कि अगर उनके वीजा संबंधी मसले सुलझ भी जाते हैं, तो भी वो टेस्ट शुरू होने के बाद ही पहुंचेंगे।'
पहला टेस्ट मिस करने के बाद उनादकट को दूसरे टेस्ट तक इंतज़ार करना होगा और इस बात की भी कोई गारंटी नहीं है कि उनादकट को दूसरे टेस्ट मैच में भी मौका दिया जाएगा या नहीं क्योंकि भारतीय टीम बांग्लादेशी पिच पर सिर्फ दो पेसर्स के साथ उतरी है और पहले टेस्ट में वो दो पेसर्स उमेश यादव और मोहम्मद सिराज हैं। ऐसे में दूसरे टेस्ट मैच में उनादकट को मौका मिलना मुश्किल नजर आता है।
ऐसे में ये 12 साल का वनवास फिलहाल खत्म होकर भी खत्म होता नहीं दिख रहा है और हो सकता है कि जयदेव को बिना एक भी मैच खिलाए बाहर कर दिया जाए। भारतीय टीम के विकेटकीपर बल्लेबाज़ दिनेश कार्तिक भी ऐसा अंदाजा लगा चुके हैं। ऐसे में हो ना हो इस दुनिया में जयदेव उनादकट होना बहुत मुश्किल है।
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आपको बता दें कि बांग्लादेश के खिलाफ होने वाले ये दो टेस्ट मैच विश्व टेस्ट चैम्पियनशिप के लिहाज से काफी अहम हैं। अगर भारत बांग्लादेश को 2-0 से क्लीन स्वीप नहीं करता है तो भारत के फाइनल में पहुंचने की संभावनाओं पर प्रभाव पड़ेगा। फिलहाल टीम इंडिया WTC तालिका में ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका के बाद चौथे स्थान पर है। जून में फाइनल के लिए क्वालीफाई करने का एकमात्र तरीका बांग्लादेश के खिलाफ दोनों टेस्ट जीतना है और फिर किसी भी अगर और मगर को खत्म करने के लिए पैट कमिंस की कप्तानी वाली ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ घर में चारों टेस्ट जीतना है।