बीसीसीआई को लेकर लिया गया अहम फैसला, अब होगा ऐसा

Updated: Tue, Nov 30 -0001 00:00 IST

नई दिल्ली, 18 अप्रैल| भारतीय कानून आयोग ने कहा है कि भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) को अन्य राष्ट्रीय खेल संगठनों की तरह ही सूचना अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत शामिल किया जाना चाहिए। कानून आयोग का कहना है कि उसे बीसीसीआई को इस प्रकार की छूट दिए जाने का कोई कारण नजर नहीं आता। आईपीएल 2018 स्कोरकार्ड

कानून आयोग ने अपनी बुधवार को जारी रिपोर्ट 'लीगल फ्रेमवर्क : बीसीसीआई वाइस-ए-वाइस आरटीआई एक्ट' में यह जाहिर किया है कि बीसीसीआई को हमेशा एक निजी संगठन की तरह समझा गया है और वह वास्तव में एक राष्ट्रीय खेल संघ के रूप में काम करता है।  लोकसभा में एक बयान के अनुसार, केंद्र सरकार पहले से ही बीसीसीआई को राष्ट्रीय खेल संघ के रूप में देख रही है। 

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आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "ऐसे में जब राष्ट्रीय खेल संघ में शामिल सभी अन्य संगठन आरटीआई अधिनियम के तहत आते हैं, तो बीसीसीआई को इस प्रकार की छूट देना सही नहीं।"

रिपोर्ट में कहा गया कि अगर बीसीसीआई को निजी संगठन के रूप में देखा जाता रहा है, लेकिन इसे इतने वर्षो तक सरकार द्वारा वित्त पोषित किया जाता रहा है। उसे ऐसे में कर में छूट और जमीन के मामले में सरकार से बड़ी छूट मिलती है। ऐसे में मौजूदा कानूनी ढांचे के तहत एक सार्वजनिक प्राधिकरण के रूप में इसे आरटीआई अधिनियम के दायरे में शामिल किया जा सकता है। 

इस रिपोर्ट में भारतीय क्रिकेट खिलाड़ियों की जर्सी पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। इसमें कहा गया है कि खिलाड़ियों की जर्सी का चयन बीसीसीआई करती है, लेकिन उनकी जर्सी पर तिरंगे का रंग और हेलमेट पर अशोक चक्र बना होता है। 

सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में इस बात को दोहराया था कि बीसीसीआई एक स्वीकृत राष्ट्रीय संगठन है, जिसके पास देश में क्रिकेट की प्रतियोगिताओं को व्यवस्थित करने के लिए लगभग एकाधिकार अधिकार है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि बीसीसीआई से जुड़ा हर संगठन, जो इसके नियमों को पूरा करता है। उन सभी संगठनों को आरटीआई के दायरे में लाने की जरूरत है। 

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