‘बड़े लोग मुझे बल्लेबाजी या गेंदबाजी नहीं करने देते थे’, मुकेश चौधरी गांव की गलियों से निकलकर ऐसे पहुंचे CSK टीम में

Updated: Fri, Apr 22 2022 15:38 IST
‘बड़े लोग मुझे बल्लेबाजी या गेंदबाजी नहीं करने देते थे’, मुकेश चौधरी गांव की गलियों से निकलकर ऐसे पह (Image Source: Twitter)

कुछ दिन पहले आईपीएल 2022 में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के खिलाफ मुकेश चौधरी (Mukesh Choudhary) ने चार ओवरों में 40 रन देकर एक विकेट लिया था। उस मैच में उन्होंने कई कैच भी छोड़े थे। तब चौधरी एक ऐसे व्यक्ति की तरह लग रहे थे, जिसे आत्मविश्वास और प्रेरणा की सख्त जरूरत थी। इसके बाद, चौधरी ने पंजाब किंग्स के खिलाफ बिना विकेट लिए 52 रन दिए थे, लेकिन औसत प्रदर्शन के बावजूद चेन्नई ने उन पर भरोसा जताया, जिसके बाद, चौधरी के चमकने का मौका तब आया जब उन्होंने डीवाई पाटिल स्टेडियम में मुंबई इंडियंस के खिलाफ तीन शुरुआती विकेट झटक लिए।

आईपीएल 2022 के पहले पांच मैचों में चार विकेट सहित मुंबई के खिलाफ तीन ओवरों में 3/19 विकेट लेने तक, चौधरी के लिए यह एक आश्चर्यजनक बदलाव की कहानी रही है। चौधरी ने रोहित शर्मा, ईशान किशन और देवाल्ड ब्रेविस को पवेलियन का रास्ता दिखाया था।

हालांकि, ऐसा प्रदर्शन करने में उन्हें समय लगा लेकिन अब उन्होंने टीम प्रबंधन द्वारा उन पर दिखाए गए विश्वास को आगे बढ़ाया है और चेन्नई की करीबी जीत में अहम भूमिका निभाई। क्रिकेट चौधरी का पसंदीदा खेल था, जब वह राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के परदोदास गांव में बड़े हो रहे थे।

चौधरी ने कहा सीएसके टीवी को बताया, "जब मैं छोटा था, तो बड़े लोग मुझे बल्लेबाजी या गेंदबाजी नहीं करने देते थे, लेकिन मैं पूरे दिन फिल्डिंग करता था। मेरे घर में स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। मेरे गांव में कोई क्लब या कुछ भी नहीं था, इसलिए यह सब टेनिस गेंद से शुरू हुआ। चौथी कक्षा में मेरे पिता ने मुझे एक बोर्डिंग स्कूल में डाल दिया, क्योंकि मेरे गांव में पढ़ने की ज्यादा सुविधा नहीं थी। मैंने फिर बास्केटबॉल, वॉलीबॉल, हॉकी जैसे अन्य खेलों की भी कोशिश की। लेकिन क्रिकेट हमेशा मेरा पसंदीदा था।"

जैसे-जैसे चौधरी एक युवा लड़के से किशोर बनते गए, पुणे में बोर्डिंग स्कूल में शिफ्ट होने से शिक्षा में अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीदों के बीच उनकी क्रिकेटिंग महत्वाकांक्षा बढ़ने लगी। फिर 9वीं कक्षा में मैं पुणे के एक बोर्डिंग स्कूल में आया। यहां मुझे कुछ मैच खेलने का मौका मिला। फिर जूनियर कॉलेज में मैंने और मैच खेले और फिर मैं धीरे-धीरे आगे बढ़ता गया, लेकिन मेरी पढ़ाई इससे प्रभावित हो गई।"
उन्होंने आगे कहा, "मैंने अपने माता-पिता को नहीं बताया, लेकिन मैंने क्रिकेट पर ध्यान देना शुरू कर दिया। जब मेरा नाम अखबारों में आया, तो मैं उन्हें बताया। तब मेरे पिता ने कहा ठीक है, लेकिन पढ़ाई जारी रखो, क्योंकि बहुत सारे लोग क्रिकेट खेलते हैं। दो साल बाद मैंने रणजी ट्रॉफी (महाराष्ट्र के लिए) खेली, तब उन्होंने ठीक महसूस किया और मेरा समर्थन किया। जब तक मैं राज्य के लिए नहीं चुना गया, केवल मेरे भाई को पता था कि मैं गंभीरता से क्रिकेट खेल रहा हूं। मेरे माता-पिता को नहीं पता था।"

मुंबई के खिलाफ चौधरी के शानदार प्रदर्शन ने निश्चित रूप से उनके पिता को गौरवान्वित किया होगा।

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चौधरी ने कहा, "मेरी यात्रा कठिन रही है लेकिन मेरे परिवार ने मेरा साथ दिया। जब मैं पुणे में अकेला था, तो मेरी बहन ने मेरा बहुत साथ दिया। उसके बिना मैं कुछ भी अच्छा नहीं कर पाता था। यहां तक कि जब मुझे चुना गया, तो उन्होंने मुझे अगले चरणों के बारे में सोचने और अच्छा करने के लिए कहा था।"
 

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