3005 दिन के बाद करुण नायर की नजर टेस्ट XI में वापसी पर, दिनेश कार्तिक के अनचाहे रिकॉर्ड की कर लेंगे बराबरी
Karun Nair Team India: खबर यही है कि अगर कुछ ख़ास न हुआ तो करुण नायर इंग्लैंड के विरुद्ध हेडिंग्ले टेस्ट के लिए भारत की प्लेइंग XI में वापसी करेंगे और वे इस चुनौती के लिए पूरी तरह तैयार हैं। इसमें कोई शक नहीं कि उनकी टेस्ट इलेवन में वापसी उनके पक्के इरादे और कड़ी मेहनत का नतीजा है, लेकिन भारतीय क्रिकेट में और भी कई ऐसी स्टोरी हैं जिनमें वापसी तो हुई पर उसका नतीजा बहुत मजेदार नहीं रहा।
टेस्ट टीम में वापसी के रिकॉर्ड में, टॉप पर 17 साल से भी ज्यादा साल के बाद की दो मिसाल हैं। इंग्लैंड के जॉर्ज गन ने 2 मार्च 1912 से 10 जनवरी 1930 के बीच यानि कि 6524 दिन कोई टेस्ट नहीं खेला पर वापसी के बाद अपने रिकॉर्ड में सिर्फ 4 टेस्ट ही और जोड़ पाए।
पाकिस्तान के यूनिस अहमद ने 17 साल से ज्यादा के अपने पूरे टेस्ट करियर में सिर्फ 4 टेस्ट खेले। मजेदार बात ये कि इनमें से दो टेस्ट 1969 में खेले और बचे दो, टेस्ट क्रिकेट में वापसी करते हुए 1987 में। वह कुल 6319 दिन तक टेस्ट प्लेइंग XI से बाहर रहे। करुण नायर इनमें से किसी के भी रिकॉर्ड की बराबरी तो नहीं कर रहे लेकिन वे उन क्रिकेटरों के क्लब में जरूर शामिल हो रहे हैं जो 3000 या इससे भी ज़्यादा दिन टेस्ट क्रिकेट से दूर रहे।
भारत के लिए करुण नायर का आखिरी टेस्ट ऑस्ट्रेलिया के विरुद्ध धर्मशाला में था। ये टेस्ट 28 मार्च 2017 को खत्म हुआ और अगर उम्मीद के मुताबिक़ वे हेडिंग्ले में खेलते हैं, तो 3005 दिन तक टेस्ट क्रिकेट से दूर रहने का रिकॉर्ड बना लेंगे।
* भारत के लिए, अब तक सिर्फ तीन खिलाड़ी ने 3000 दिन से ज़्यादा टेस्ट टीम से बाहर रहने के बाद टेस्ट प्लेइंग इलेवन में वापसी की है :
- जयदेव उनादकट 21 दिसंबर 2010 से 21 दिसंबर 2022 के बीच यानि कि 4384 दिन तक टेस्ट क्रिकेट से बाहर रहे।
- दिनेश कार्तिक 22 जनवरी 2010 से 13 जून 2018 के बीच यानि कि 3065 दिन तक टेस्ट क्रिकेट से बाहर रहे।
- पार्थिव पटेल 12 अगस्त 2008 से 25 नवंबर 2016 के बीच यानि कि 3028 दिन तक टेस्ट क्रिकेट से बाहर रहे।
संयोग से, इनमें से किसी ने भी वापसी के बाद कोई बहुत बड़ा या कामयाब टेस्ट करियर नहीं बनाया। जयदेव उनादकट वापसी के बाद सिर्फ 3 टेस्ट और खेले और इनमें कुल 3 विकेट ले पाए (इनमें से भी आख़िरी दो टेस्ट में तो एक भी विकेट नहीं मिला)। इसी तरह से, दिनेश कार्तिक भी अपनी वापसी में नाकामयाब ही रहे। अपने रिकॉर्ड में सिर्फ 3 और टेस्ट जोड़े तथा इनमें खेली 5 पारी में सिर्फ 25 रन बनाए और उनमें से भी दो में तो अपना खाता भी नहीं खोला था।
इन दोनों के मुकाबले पार्थिव पटेल की वापसी कुछ अलग रही और एक दिलचस्प किस्सा है। अपने पिछले टेस्ट के 8 साल से भी ज्यादा और अपने आखिरी इंटरनेशनल मैच के चार साल बाद, विकेटकीपर पार्थिव नवंबर 2016 में इंग्लैंड के विरुद्ध मोहाली में टेस्ट इलेवन में वापस लौटे। मजेदार बात ये कि वे 17 साल और 153 दिन की उम्र में, जब 2002 में अपना पहला टेस्ट खेले थे तो टेस्ट क्रिकेट के सबसे कम उम्र के विकेटकीपर का रिकॉर्ड बनाया था। अब मोहाली में वापसी वाले टेस्ट में, वे टीम के दूसरे सबसे बुजुर्ग क्रिकेटर थे। वैसे तो उन्हें नियमित विकेटकीपर रिद्धिमान साहा के चोटिल होने पर टेस्ट खेलने बुलाया था पर जब टेस्ट की पूर्व संध्या पर लोकेश राहुल को चोट लग गई तो उन्हें ओपनर वाला रोल भी मिल गया।
पार्थिव ने इस मौके का पूरा फायदा उठाया। टेस्ट में 5 विकेट के गिरने में हिस्सेदार थे और पहली पारी में इंग्लिश गेंदबाजों को बड़े आत्मविश्वास के साथ खेलते हुए 42 रन बनाए। दूसरी पारी में तो उन्होंने एक तेज 50 बनाया। भारत ने टेस्ट जीत लिया। भारत को जीत के लिए सिर्फ 103 रन चाहिए थे और पार्थिव ने सिर्फ 54 गेंद पर 67* रन बना खूब वाह-वाह लूटी। तब भी, वापसी करने के बाद पार्थिव ने मोहाली समेत सिर्फ 5 टेस्ट ही खेले।
करुण नायर से पहले भारत की तरफ से सिर्फ वीरेंद्र सहवाग ने टेस्ट में 300 का स्कोर बनाया था। तब भी वे अपने लिए कोई ख़ास बड़ा टेस्ट करियर नहीं बना पाए। इसीलिए जब इस साल उन्हें इंग्लैंड टूर की टीम में लिया तो ये उनके लिए बहुत बड़ी कामयाबी है। वे 2018 में इंग्लैंड गई टीम में भी थे पर उस टूर की कड़वी यादें हैं उनके पास। सीरीज के सभी 5 टेस्ट के दौरान वे बेंच पर ही बैठे रह गए।
भारत ने सीरीज का तीसरा टेस्ट जब जीता, तब भी उस समय तक सीरीज में 1-2 से पीछे थे। ऐसे में बीसीसीआई ने बल्लेबाजी को और मजबूत करने के लिए पृथ्वी शॉ और हनुमा विहारी को टीम में शामिल होने भेज दिया। यहां तक कि जब हार्दिक पांड्या को ओवल के पांचवें टेस्ट की टीम से बाहर किया तो कप्तान विराट कोहली ने विहारी पर भरोसा किया और करुण सिर्फ टेस्ट देखने वाले पर्यटक ही बन कर रह गए।
अब हेडिंग्ले टेस्ट से पहले की एक ख़ास बात करुण नायर की 8 साल से भी ज्यादा के बाद टेस्ट इलेवन में वापसी है। एक बड़ी चुनौती उनका इंतजार कर रही है। वैसे वे वापसी की आर्ट खूब जानते हैं। उन्हें तो कर्नाटक की रणजी टीम से भी बाहर कर दिया था पर उन्होंने वापसी की। 2023 में तो वे आईपीएल ऑक्शन में अनसोल्ड थे और यहां तक कि जब उसके बाद काउंटी क्रिकेट खेलने का कॉन्ट्रैक्ट हासिल करने की कोशिश की तो वह भी न मिला। आईपीएल 2024 में फिर से अनसोल्ड थे। तब भी वापसी की और 2024 में इंग्लिश काउंटी सीज़न में नॉर्थम्पटनशायर के लिए खेले और आईपीएल 2025 के लिए,दिल्ली कैपिटल्स ने खरीद लिया।
आईपीएल 2025 सीजन से पहले बस यही चर्चा थी कि वे दिल्ली टीम की किसी स्कीम में नहीं हैं और टीम में गिनती पूरी करने वाले खिलाड़ी हैं। तब भी वापसी की। मौका मिला तो 2022 में राजस्थान रॉयल्स के लिए खेलने के बाद अपना पहला आईपीएल मैच खेले और 1077 दिन के बाद आईपीएल में वापसी करते हुए हुए 40 गेंद में शानदार 89 रन बनाए और अपनी क्लास दिखा दी।
अब वे एक बार फिर से वापसी कर रहे हैं और शायद ये उनके क्रिकेट करियर की सबसे बड़ी और ख़ास वापसी है। 33 साल की उम्र में, उनके इंटरनेशनल क्रिकेट करियर को एक लाइफलाइन मिल रही है। जुलाई 2016 में, अपने वनडे डेब्यू के बाद मंदिर में प्रार्थना के टूर में वे केरल की पम्पा नदी में नाव पलटने के बाद, तैरना न जानते हुए भी, बच गए थे। ये नदी अपनी गहराई के लिए मशहूर है और जब नाव मंदिर (अरनमुला) के करीब थी तो पलट गई। नाव में 100 से ज्यादा लीग थे जिनमे से 6 की मौत हो गई और कई लापता रहे। करुण नायर उनमें से थे जो बचा लिए गए। अब एक और चुनौती उनके सामने है।
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चरनपाल सिंह सोबती