कौन हैं नीतू डेविड, ICC हॉल ऑफ फेम में शामिल सिर्फ दूसरी भारतीय महिला क्रिकेटर के बारे सब कितना जानते हैं?

Updated: Mon, Oct 28 2024 16:18 IST
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Neetu David: इस खबर की भारत में कोई ख़ास चर्चा नहीं हुई कि नीतू डेविड (Neetu David) को आईसीसी हॉल ऑफ फेम (ICC Hall of Fame) में शामिल किया गया- ये सम्मान पाने वाली भारत की सिर्फ दूसरी महिला क्रिकेटर (उनसे पहले : पूर्व कप्तान और नीतू की क्रिकेट के लिए सबसे बड़ी स्पोर्ट डायना एडुल्जी)। इस खबर की कोई ख़ास चर्चा न होने की वजह ये सवाल है- ये नीतू डेविड कौन है? भारत में महिला क्रिकेट और क्रिकेटरों को आज जो चर्चा मिलती है- सिर्फ कुछ साल पहले तक भी ऐसा नहीं था। इसीलिए नीतू डेविड जैसी क्रिकेटर अपनी बेहतर टेलेंट के बावजूद वह चर्चा न पा सकीं जो आज की क्रिकेटर को मिलती है। 

तो सबसे पहले उनकी क्रिकेट की बात करते हैं। एक शानदार खब्बू स्पिनर जिसने 100 से ज्यादा इंटरनेशनल मैच (10 टेस्ट+97 वनडे) खेले और उनके 141 विकेट से ज्यादा वनडे विकेट इस समय तक भारत के लिए सिर्फ झूलन गोस्वामी (255) ने लिए हैं। चूंकि झूलन पेसर थीं, इसका मतलब ये हुआ कि नीतू स्पिनर में टॉप पर हैं। इससे भी बड़ा रिकॉर्ड ये कि वे वनडे में 100 विकेट लेने वाली वे भारत की पहली महिला खिलाड़ी भी थीं। 2005 में वर्ल्ड कप में विकेट लिस्ट में वे टॉप पर थीं और भारत के उस साल फाइनल खेलने में उनकी गेंदबाजी का ख़ास योगदान था। वनडे हार वाले मैच में, तीसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन (5-32, विरुद्ध न्यूजीलैंड, प्रेटोरिया, 2005) उनके नाम है।   

टेस्ट क्रिकेट की बात करें तो उस कम टेस्ट के दौर में भी 10 टेस्ट खेले और 41 विकेट लिए जिसमें एक पारी में सबसे बेहतर गेंदबाजी (8-53) का रिकॉर्ड शामिल है। सच तो ये है कि 2022 तक वे एक पारी में 8 विकेट लेने वाली अकेली गेंदबाज थीं और ऑस्ट्रेलिया की ए गार्डनर और भारत की स्नेह राणा का नाम उसके बाद जुड़ा। इस रिकॉर्ड प्रदर्शन के बावजूद वे एक टेस्ट में 10 विकेट का रिकॉर्ड न बना पाईं- अब भारत के लिए टेस्ट में पांचवां सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन (9-90) उनके नाम है। ये बात अलग है कि तब भी भारत ये टेस्ट हार गया- सिर्फ 2 रन से। नीतू मानती हैं कि किसी भी दिन उनका ये रिकॉर्ड टूटेगा पर वे चाहती हैं कि कोई भारतीय गेंदबाज ही इसे तोड़े। 

इसी प्रदर्शन के लिए आईसीसी ने उन्हें हॉल ऑफ़ फ़ेम का सम्मान दिया और चूंकि बहुत कम महिला क्रिकेटर इस सम्मान की लिस्ट में हैं- इसलिए इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। नीतू ने इस सम्मान तक पहुंचने के लिए एक लंबा सफर तय किया। उत्तर प्रदेश के लिए घरेलू क्रिकेट में कुछ प्रभावशाली प्रदर्शन के बाद, 1995 में नेल्सन में न्यूजीलैंड के विरुद्ध टेस्ट डेब्यू 17 साल की उम्र में और 4 विकेट के साथ शुरुआत की। इसी से वनडे टीम में भी एंट्री हुई और संयोग से भारत ने टूर में न्यूजीलैंड महिला शताब्दी टूर्नामेंट (New Zealand Women's Centenary Tournament) जीता। उसी साल जब जमशेदपुर में इंग्लैंड जैसी टॉप टीम के विरुद्ध 8-53 की सनसनीखेज गेंदबाजी की तो नाम एक ग्लोबल चर्चा बन गया। 

2006 में, मीडिया में प्रदर्शन की आलोचना के जवाब में इंटरनेशनल क्रिकेट से रिटायर होने का फैसला लिया लेकिन बाद में लगा कि अभी और खेल सकती हैं। रिटायर होने का फैसला बदला पर इस सब में दो कीमती साल निकल गए। लौट कर एशिया कप तथा इंग्लैंड टूर में हिस्सा लिया पर तब  तक वास्तव में क्रिकेट का बेहतरीन दौर निकल चुका था। 2013 में अपना आख़िरी घरेलू मैच खेला- रेलवे को 2012-13 सीनियर महिला टी20 लीग टाइटल दिलाने में मदद की और क्रिकेट को अलविदा कहा।

बीसीसीआई ने उनके अनुभव को नजरअंदाज नहीं किया और इसीलिए वे इस समय सीनियर महिला सिलेक्शन कमेटी की चीफ हैं। उनके साथ कमेटी में मिट्ठू  मुखर्जी, रेणु मार्ग्रेट, आरती वैद्य और वी कल्पना हैं- नीतू डेविड इन सभी से सीनियर हैं। 

नीतू डेविड ने क्रिकेट को बदलते देखा है। जब खुद 18 साल की उम्र में खेलना शुरू किया तो चिंता थी कि दूसरी लड़कियां उनके साथ कैसा व्यवहार करेंगी पर कैंप में डायना एडुल्जी से सबसे ज्यादा सपोर्ट मिला और ये सिलसिला आज तक जारी है। उस दौर में महिला क्रिकेट में मैच फीस नहीं थी और बस यही खुशी थी कि खेल रहे हैं। नीतू फिर भी भाग्यशाली रहीं कि जल्दी ही रेलवे में नौकरी मिल गई और रेलवे तब अपने खिलाड़ियों को टीए-डीए देते थे। सच तो ये हैं कि भारत के लिए खेलने पर भी तब कोई ख़ास फीस या सुविधा नहीं मिलती थी। 

नीतू डेविड भारतीय क्रिकेट में कई तरह से ख़ास तौर पर याद की जाएंगी- मसलन उनका कुछ भारी शरीर जिसे देखकर ये भी कहा गया कि वह क्रिकेट में कामयाब नहीं रहेंगी, दो चोटियों वाली उनकी हेयर स्टाइल तथा गेंद को फ्लाइट करने और बल्लेबाज़ को चकमा देने की आर्ट। उनके बारे में एक बड़ी ख़ास स्टोरी है जो कतई चर्चा में नहीं पर जिसने उनका करियर बनाने में बड़ी ख़ास भूमिका निभाई। ये स्टोरी उनके साथ खेली और कप्तान ममता माबेन ने बताई थी। एक मैच के दौरान जब ममता वॉशरूम गईं तो ये देखकर हैरान रह गईं कि नीतू वहां शीशे के सामने हाथ में गेंद लिए अपने एक्शन की प्रेक्टिस कर रही थीं और साथ ही साथ खुद से बात कर रही थी। ममता कहती हैं कि उन्होंने ऐसी लगन किसी में भी नहीं देखी।माबेन की नजर में नीतू डेविड भारतीय महिला टीम की सबसे बड़ी 'मैच-विनर' के तौर पर जानी जाएंगी। 

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जब नीतू डेविड की बात चल ही रही है तो आपको बता दें कि 'शाबाश मिठू' फिल्म में नीतू डेविड का रोल संपा मंडल ने निभाया था। शुरू में, वह नीतू के रोल को लेकर बड़ी आशंकित थी- नीतू खब्बू और वह दाएं हाथ से काम करने वाली और इसके अतिरिक्त कभी क्रिकेट नहीं खेला था। पुरानी क्रिकेटर नूशिन अल खादीर और देविका पलशिखर ने न सिर्फ क्रिकेट की ट्रेनिंग दी- नीतू के बारे में बड़ी ख़ास बातें भी बताईं।  
 

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