कोच पद पर फिर से नियुक्त किए गए रवि शास्त्री को पुनर्नियुक्ति के प्रक्रिया से गुजरना पड़ सकता है
29 सितंबर। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के एथिक्स ऑफिसर डी.के जैन अगर कपिल देव, अंशुमान गायकवाड़ और शांता रंगास्वामी की क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) को हितों के टकराव मुद्दे में दोषी पाते हैं तो क्रिकेट टीम के मुख्य कोच रवि शास्त्री को पुनर्नियुक्ति के प्रक्रिया से गुजरना पड़ सकता है। एथिक्स ऑफिसर ने शनिवार को सीएसी के तीनों सदस्यों को नोटिस भेजा और उनसे 10 अक्टूबर तक जवाब मांगा जिसके बाद रंगास्वामी ने अपने पद से इस्तीफा भी दे दिया है।
मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ (एमपीसीए) के आजीवन सदस्य संजीव गुप्ता ने लोढ़ा पैनल के एक आदमी, एक पद के प्रस्ताव के तहत सीएसी पर हितों के टकराव का आरोप लगाया था।
आईएएनएस से बात करते हुए बीसीसीआई के एक अधिकारी ने कहा, "अगर शास्त्री को नियुक्त करने वाली समिति के सदस्यों में हितों का टकराव पाया जाता है तो शास्त्री की मुख्य कोच की नियुक्ति की प्रक्रिया से एक बार फिर गुजरना होगा। फिर एक नई समिति का गठन किया जाएगा और नए पंजीकृत बीसीसीआई संविधान को ध्यान में रखते हुए पूरी प्रक्रिया को दोहराया जाएगा क्योंकि संविधान अब स्पष्ट रूप से कहता है कि केवल एक सीएसी ही भारतीय टीम के मुख्य कोच को नियुक्त कर सकता है।"
अधिकारी ने आगे कहा कि महिला क्रिकेट टीम के कोच डब्ल्यू.वी रमन के साथ भी यहीं प्रक्रिया दोहराई जा सकती है क्योंकि उन्हें जिस ऐड-हॉक सीएसी ने चुना था उसमें देव, गायकवाड़ और रंगास्वामी ही शामिल थे।
अधिकारी ने कहा, "यह देखने की जरूरत है कि रमन के मामले में जैन का फैसला क्या होता है क्योंकि कोच के रूप में उन्हें चुनने वाली ऐड-हॉक सीएसी में यही तीन व्यक्ति शामिल थे। यहां तक कि कोच के मामले में दो सदस्यीय प्रशासकों की समिति (सीओए) भी विभाजित थी।
उस समय विनोद राय, रमन की नियुक्ती के पक्ष में थे जबकि डायना एडुल्जी का कहना था कि लोढ़ा पैनल के प्रस्तावों के तहत बदले गए बीसीसीआई के संविधान में ऐड-हॉक सीएसी की कोई जगह नहीं है।" रवि थोगड़े के सीएसी में शामिल होने के बाद रमन को 2:1 के मत से महिला टीम का कोच नियुक्त किया गया था।