टीम इंडिया की वो क्रिकेटर जिसने वनडे डेब्यू पर शतक जड़ा, लेकिन 2 मैच खेलकर खत्म हो गया करियर 

Updated: Sat, Jun 22 2024 16:31 IST
Reshma Gandhi was the first Indian Cricketer to score a century in ODI debut (Image Source: Twitter)

Reshma Gandhi: बंगलुरु में दूसरे टी20 में भारत के लिए स्मृति मंधाना और हरमनप्रीत कौर (क्रमशः 136 और 103*) के 100 जीत में सबसे बड़ा आकर्षण रहे। ये पहला मौका नहीं है जब महिला वनडे में भारत के लिए एक ही पारी में दो 100 बने। खुद स्मृति और हरमनप्रीत ही पहले भी ये रिकॉर्ड बना चुकी हैं। इसके अतिरिक्त दीप्ति शर्मा और पूनम राउत तथा मिताली राज और रेशमा गांधी ने भी ये रिकॉर्ड बनाया। इन सभी में से, इस ख़ास रिकॉर्ड के बावजूद जिस क्रिकेटर के बारे में सबसे कम लिखा गया या जिसका कभी कोई ख़ास जिक्र हुआ ही नहीं- वह  रेशमा गांधी का नाम है। कौन थी रेशमा गांधी? 

बात सिर्फ 26 जून 1999 के दिन, आयरलैंड के विरुद्ध वनडे में रेशमा और मिताली के 100 की नहीं है- कुछ और भी ख़ास बातें हैं उस प्रदर्शन से जुड़ी :

* इन दोनों के स्कोर रेशमा गांधी- 104* और मिताली राज- 114* थे और पूरे 50 ओवर बल्लेबाजी की.
* वनडे में पार्टनरशिप (258*) में 300 गेंद खेलने का रिकॉर्ड तब पहली बार बना था। 
* ये इन दोनों का ही वनडे डेब्यू था यानि कि डेब्यू पर ये रिकॉर्ड बनाए। 
* इनके पार्टनरशिप में 258 रन तब महिला क्रिकेट में पहले विकेट के लिए नया रिकॉर्ड थे जो लगभग 9 साल तक उनके नाम पर रहा था। भारत ने मैच 161 रन से जीता- उस समय भारत की सबसे बड़ी जीत थी।

 

ऐसा क्यों हुआ कि इन दोनों में से मिताली राज का करियर तो दो दशक से भी ज्यादा चला जबकि रेशमा का इंटरनेशनल करियर तो सिर्फ 2 वनडे का ही रह गया। क्या ये हैरानी की बात नहीं कि जिस खिलाड़ी ने ऐसे रिकॉर्ड प्रदर्शन के साथ वनडे डेब्यू किया उसे सिर्फ एक और वनडे खिलाने के बाद सेलेक्टर्स ने कोई और मौका दिया ही नहीं? 

रेशमा गांधी महाराष्ट्र की क्रिकेटर थीं- विकेटकीपर और टॉप बल्लेबाज। इसके बाद वेस्ट जोन और नॉर्थर्न रेलवे और अंततः भारत के लिए खेलीं। अच्छी विकेटकीपर और तकनीकी तौर पर दांए हाथ की अच्छी बल्लेबाज- 4 और 6 की बजाय 1 और 2 रन लेकर स्ट्राइक रोटेट करना पसंद था। डेब्यू पर 104* के बावजूद विकेटकीपर के तौर पर टीम की पहली पसंद विकेटकीपर अंजू जैन को पार न कर पाईं। एक और ख़ास बात जो रिकॉर्ड नहीं की गई- इन दोनों में से पहले 100 मिताली राज ने नहीं, रेशमा ने पूरे किए थे- वनडे डेब्यू में 100 बनाने वाली पहली भारतीय रेशमा थीं। इतना ही नहीं- ये पुरुष और महिला क्रिकेट में वनडे में किसी भी भारतीय क्रिकेटर का पहला 100 था ये। मिल्टन कीन्स में इस रिकॉर्ड प्रदर्शन के बावजूद जब भारत में सेलेक्टर्स उन्हें भूल गए तो इंटरनेशनल क्रिकेट में कौन याद रखता? 

उन्हें न तो मीडिया ने हाइलाइट किया और न ही वे खुद कभी किसी सोशल मीडिया पर नजर आईं। क्रिकेट में ऐसी ढेरों मिसाल हैं जब एक ख़ास खिलाड़ी की टीम में मौजूदगी किसी दूसरी टेलेंट को सामने ही नहीं आने देती- वही यहां हुआ। अंजू जैन भी अच्छी विकेटकीपर-बल्लेबाज थी। ब्रिटेन टूर पर थी टीम और विश्वास कीजिए कि इस रिकॉर्ड 100 के बावजूद, इंग्लैंड के विरुद्ध अगले मैच में अंजू जैन की वापसी हुई तो रेशमा को बाहर कर दिया। संयोग से मिताली अपने अगले दो मैचों में 4 और 0 पर आउट हो गई तो तीसरे मैच में उनकी जगह रेशमा को शुद्ध बल्लेबाज के तौर पर मौका दिया। देखिए- अपने पहले मैच में ओपनर, इस मैच में नंबर 7 बल्लेबाज थी। रेशमा ने 18* बनाए जो उनकी आखिरी इंटरनेशनल पारी साबित हुई। इसलिए ये भी नहीं कह सकते कि फेल होने की वजह से उन्होंने मिले मौके का फायदा नहीं उठाया। यहां तक कि सेलेक्टर्स ने उसके बाद रेशमा को एक बल्लेबाज के तौर पर भी मौका नहीं दिया।  

रेशमा ने अपने करियर में लिस्ट ए में 13 मैच में 38.42 औसत से 269 रन बनाए- इसमें एक 100 और दो 50 थे। डेब्यू के 18 महीने के अंदर ही आखिरी मैच खेल लिया था। तब भारतीय टीम की कप्तान चंद्रकांत कौल थीं। उन्होंने इस रिकॉर्ड पार्टनरशिप के बारे में कई साल बाद कहा- 'हमने मिताली और रेशमा से कहा था कि बस वहां टिक कर खेलें और क्रीज पर टिकी रहें। हमने उनसे ये भी कहा था कि वे आयरलैंड की गेंदबाजी को हल्के में न लें और बस बल्लेबाजी करती रहें...दोनों वाकई अच्छा खेलीं और हमें बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला। काफी समय हो गया है लेकिन मुझे आज भी वो पल याद हैं।' 

रेशमा गांधी का एक और परिचय भी है जिसे रिकॉर्ड में चर्चा नहीं मिलती। रेशमा ने मनविंदर सिंह से शादी की- रेलवे के क्रिकेटर, दिल्ली के सेलेक्टर और टीम इंडिया के पेसर इशांत के शुरुआती गुरु। मनविंदर सिंह उनके पहले गाइड थे- इस बात से इशांत शर्मा ने कभी इंकार नहीं किया। मनविंदर 1989-90 में भारत की अंडर-19 टीम में भी थे।  कोविड के दिनों में वे भी इसका शिकार हुए और उन का  निधन हो गया- तब 53 साल के थे। 

मनविंदर 1992-93 और 1993-94 के बीच 8 फर्स्ट क्लास मैच खेले और तीन 50 के साथ 364 रन बनाए। मनविंदर ही इशांत को स्कूल ले गए, दाखिला दिलाया और जब वे सलवान पब्लिक स्कूल के स्टैंडर्ड की पढ़ाई न कर पाए तो गंगा इंटरनेशनल स्कूल और रोहतक रोड जिमखाना क्रिकेट क्लब में एंट्री दिलाई और यहां से इशांत का क्रिकेट करियर शुरू हुआ। मनविंदर खुद जनवरी 1990 में फिरोजशाह कोटला में पहले यूथ टेस्ट में पाकिस्तान अंडर-19 के विरुद्ध भारत अंडर-19 टीम में थे लेकिन चोट के कारण खेल न पाए और उनकी जगह लेने वाला खिलाड़ी आगे चलकर स्टार बन गया। ये और कोई नहीं- अनिल कुंबले थे। 

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- चरनपाल सिंह सोबती  
 

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