भारतीय टीम में आने को तैयार हैं मयंक : मॉर्केल

Updated: Sun, Apr 07 2024 15:10 IST
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Royal Challengers Bengaluru:

लखनऊ, 7 अप्रैल (आईएएनएस) लखनऊ सुपरजॉयंट्स जब रविवार को गुजरात टाइटंस (GT) के ख़िलाफ़ अपने घरेलू मैदान में उतरेगी तो एक बार फिर सबकी निगाहें मयंक यादव पर होंगी। मयंक ने इस सीज़न लगातार दो मैचों में प्लेयर ऑफ़ द मैच का अवार्ड अपने नाम किया है और फ़िलहाल वह सनसनी बने हुए हैं। मयंक की तारीफ़ हर कोई कर रहा है और अब लखनऊ के गेंदबाज़ी कोच मॉर्ने मॉर्केल ने भी मयंक की जमकर तारीफ़ की है।

प्री-मैच प्रेस कॉन्फ़्रेंस में मॉर्केल ने कहा, "मेरे लिए मयंक के साथ काम करना काफ़ी आसान है क्योंकि उनकी गति स्वाभाविक है। मयंक ने काफ़ी अच्छा काम किया है। अब तक खेले दोनों मैचों में उनका प्रदर्शन शानदार रहा है और अब उनके लिए सबसे अहम बात है कि वह अनुभव हासिल करें। उन्हें कोशिश करनी होगी कि वह अधिक से अधिक मैच खेलें। पिछले सीज़न दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से वह चोटिल हो गए थे, लेकिन इस सीज़न उनके लिए पूरी टीम काफ़ी खुश है।"

मयंक ने पंजाब किंग्स के ख़िलाफ़ घरेलू मैदान पर आईपीएल डेब्यू मैच में दमदार प्रदर्शन किया था और तीन विकेट लेते हुए मैच को पूरी तरह मोड़ दिया था। इसके बाद रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरू के ख़िलाफ़ अवे मैच में भी उन्हें धारदार गेंदबाज़ी करते हुए तीन विकेट निकाले थे और अपनी टीम की जीत में अहम भूमिका निभाई थी। मयंक ने दोनों मैचों में शॉर्ट गेंदों का इस्तेमाल शानदार तरीके से किया था और बल्लेबाज़ों को पुल खेलने के लिए मजबूर किया था।

मॉर्केल ने मयंक को मैनेज करने पर कहा, "मैनेजमेंट और स्टॉफ़ के तौर पर हमारे लिए सबसे अहम है कि हम उन्हें किस तरह मैनेज करते हैं। मैचों के बीच उनके ऊपर जिस तरह का दबाव पड़ रहा है हमें उनकी रिकवरी पर ध्यान देना होगा और साथ ही उन्हें शिक्षित करना होगा कि वह कैसी चीज़ों को अपनाएं जो उनके हित में हों। कई बार वह बल्लेबाज़ों को असहज कर देते हैं और यही उन्हें एक्स फैक्टर बनाता है।" मयंक के दमदार प्रदर्शन के बाद लगातार उनके भारतीय टीम में शामिल होने को लेकर भी बात हो रही है। 

मॉर्केल ने भी इस पर अपना पक्ष रखा है और बताया है कि कैसे मयंक को भारतीय टीम में लाया जा सकता है। मॉर्केल ने कहा, "ऐसा कोई कारण नहीं हो सकता कि वह भारतीय कैंप का हिस्सा ना बनें। जब मैं साउथ अफ़्रीका के लिए खेल रहा था तो सबसे अच्छी बात यही थी कि युवा खिलाड़ी जल्दी टीम में आते थे और अलग-अलग देशों में जाकर अलग-अलग परिस्थितियों का अनुभव लेते थे। पूरे साल ट्रेनिंग का लेवल भी काफ़ी ऊंचा और अच्छा होता था। यदि आप उन्हें मौक़ा दे सकते हैं और ख़ास तौर पर टी20 क्रिकेट में जिससे उनके शरीर पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा तो यह शानदार होगा।"

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