अरशद नदीम, नीरज चोपड़ा के मुकाबले के बाद, रमीज राजा ने की भारत-पाक खेल प्रतिद्वंद्विता जारी रखने की अपील

Updated: Sat, Aug 10 2024 15:04 IST
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Paris Olympics: भाला फेंक प्रतियोगिता में पाकिस्तान के अरशद नदीम और भारत के चैंपियन नीरज चोपड़ा के बीच बढ़ती प्रतिद्वंद्विता ने पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष रमीज राजा को प्रभावित किया है। अरशद नदीम ने पेरिस ओलंपिक में गोल्ड मेडल और नीरज चोपड़ा ने सिल्वर मेडल जीता है।

रमीज रजा ने इस तरह की प्रतियोगिताओं के महत्व पर जोर दिया है, जो सीमाओं को पार करके दिलों को एकजुट करती हैं और दोनों देशों में एथलेटिक्स के कद को बढ़ाती हैं। नदीम ने पुरुष भाला फेंक प्रतियोगिता के फाइनल में 92.97 मीटर के ओलंपिक रिकॉर्ड थ्रो फेंका, जबकि चोपड़ा 89.45 मीटर के सर्वश्रेष्ठ थ्रो के साथ दूसरे स्थान पर रहे।

रमीज राजा ने नदीम और चोपड़ा के बीच प्रतिस्पर्धा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए आईएएनएस से बातचीत में कहा, "दोनों महान चैंपियन हैं। और मैं चाहता हूं कि यह प्रतिद्वंद्विता जारी रहे क्योंकि यह एक अलग तरह की प्रतिद्वंद्विता है। आइए एक और प्रतिद्वंद्विता विकसित करें।"

राजा ने नदीम की एक छोटे से गांव से विश्व स्तर तक की यात्रा की प्रशंसा की। नदीम की कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प ने उन्हें सफलता दिलाई। रमीज ने कहा, "यह एक बड़ी कहानी है कि कैसे उन्होंने मियां चन्नू में एक छोटे से गांव से अपना सफर शुरू किया और बिना किसी मदद के यहां तक पहुंच गए। यह उनके लिए एक बड़ी जीत है।"

नदीम के प्रदर्शन पर बात करते हुए, राजा ने आगे कहा, "उनके बारे में सबसे आश्चर्यजनक बात उनका अपने स्वभाव पर नियंत्रण था। उन्होंने कोई अति उत्साहपूर्ण जश्न नहीं मनाया था। न ही उनके चेहरे पर फाइनल की घबराहट थी। वह बहुत शांत और सहज लग रहे थे। उनके अंदर जो लावा उबल रहा था, वह उनके थ्रो में दिखाई दे रहा था।"

रमीज राजा ने नीरज चोपड़ा की खेल भावना को भी स्वीकार किया। उन्होंने कहा, "मुझे सबसे ज्यादा नीरज चोपड़ा का जमीन से जुड़ा स्वभाव पसंद आया।" उन्होंने माना कि चोपड़ा उस दिन मजबूत प्रतिद्वंद्वी का सामना कर रहे थे। उन्होंने कहा कि, "नीरज चोपड़ा को उस दिन एक ऐसे भाला फेंक खिलाड़ी ने हराया जो उनसे बेहतर था।"

नदीम के प्रदर्शन पर बात करते हुए, राजा ने आगे कहा, "उनके बारे में सबसे आश्चर्यजनक बात उनका अपने स्वभाव पर नियंत्रण था। उन्होंने कोई अति उत्साहपूर्ण जश्न नहीं मनाया था। न ही उनके चेहरे पर फाइनल की घबराहट थी। वह बहुत शांत और सहज लग रहे थे। उनके अंदर जो लावा उबल रहा था, वह उनके थ्रो में दिखाई दे रहा था।"

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