जब 'ग्रेटर नोएडा जैसे' वाश आउट ने क्रिकेट खेलने का तरीका बदल दिया था...फिर एक नए फॉर्मेट का जन्म हुआ
The Birth Of The ODI Cricket: खराब ड्रेनेज इंतजाम और बारिश की बदौलत अफगानिस्तान-न्यूजीलैंड ग्रेटर नोएडा टेस्ट पूरी तरह से धुल गया। अब 8 टेस्ट बिना एक भी गेंद फेंके रद्द हो चुके हैं। ऐसे टेस्ट को भला कौन किसी भी तरह की उपलब्धि कहेगा? इन्हीं में से एक टेस्ट है ऑस्ट्रेलिया-इंग्लैंड 1970-71 की सीरीज का मेलबर्न टेस्ट और ये 'वाश-आउट' के बावजूद ख़ास है क्योंकि एक नया इतिहास बना और टेस्ट रद्द होने पर, दर्शकों के मनोरंजन के लिए, जो लिमिटेड ओवर मैच खेले और वही वनडे इंटरनेशनल क्रिकेट की शुरुआत बन गया। क्या हुआ था तब कि ये वनडे खेलने का फैसला हुआ?
इंग्लैंड की टीम 1970 में 6 टेस्ट की सीरीज खेलने ऑस्ट्रेलिया गई (जी हां, ये सच है कि सीरीज में 6 टेस्ट का प्रोग्राम था)। ऑस्ट्रेलिया के पास थी पिछले 12 साल से एशेज और इंग्लैंड की आखिरी एशेज जीत 1956 की जिम लेकर की रिकॉर्ड गेंदबाजी वाली सीरीज थी। स्पष्ट है कि इंग्लैंड के लिए एक ख़ास चुनौती थी ये सीरीज और अपने पिछले 12 टेस्ट बिना हार खेलने से, वे इस बार जोरदार दावेदार थे एशेज जीतने के।
सीरीज के ब्रिसबेन और पर्थ में खेले पहले दोनों ही टेस्ट बोरियत वाले ड्रॉ रहे। अब आया मेलबर्न टेस्ट। टेस्ट शुरू होने के दिन से पहले ही, ये साफ़ था कि बारिश का असर इतना ज्यादा है कि कम से कम पहले दो दिन खेल नहीं हो पाएगा। चूंकि टेस्ट की सुबह बरसात नहीं थी इसलिए टीम घोषित हुईं और टॉस भी हुआ जिसे इंग्लैंड के कप्तान रे इलिंगवर्थ (Ray Illingworth) ने जीतकर, फील्डिंग को चुना। बहरहाल एक भी गेंद का खेल नहीं हो पाया। जब बारिश ने तीसरे दिन भी खेल नहीं होने दिया तो एक बड़ी ख़ास बात हुई। उसी दिन ये फैसला ले लिया कि टेस्ट रद्द। ग्रेटर नोएडा की तरह नहीं जहां सभी 5 दिन किसी चमत्कार का इंतजार करते रहे।
तब सीरीज आज की तरह जल्दबाजी में नहीं खेलते थे। इस तीसरे टेस्ट के रद्द होने पर, सीरीज और लंबी कर दी तथा एक और टेस्ट जोड़ दिया। अब गिनती में ये 7 टेस्ट की सीरीज थी हालांकि शुरू में इंग्लैंड टीम इसके लिए सहमत नहीं थी। बहरहाल जिस शेड्यूल वाले, बरसात से प्रभावित तीसरे टेस्ट की यहां बात कर रहे हैं उसमें अभी दो दिन का खेल और एक रेस्ट डे बचे थे।
इसके बाद कुछ बरसात ने मेहरबानी की और बाकी मेहनत ग्राउंड स्टाफ की और वे अपनी तरफ से रोज ग्राउंड को ठीक करते रहे। उधर, टेस्ट बरसात से धुलने से ऑस्ट्रेलिया क्रिकेट बोर्ड को भारी नुकसान हुआ और वे रोज गेट मनी वापस कर रहे थे। इसी को ध्यान में रख तथा क्रिकेट खेलने के लिए सही मौसम देखकर, ऑस्ट्रेलिया बोर्ड ने सुझाव रखा कि टेस्ट के शेड्यूल वाले पांचवें दिन क्रिकेट खेलते हैं। अब टेस्ट तो खेल नहीं सकते थे इसलिए एक लिमिटेड ओवर मैच खेले (तब इसे न तो वनडे कहा था और न वनडे इंटरनेशनल मैच)। प्लेइंग कंडीशन पर नई चर्चा का समय नहीं था इसलिए तय कर लिया कि इंग्लैंड के घरेलू जिलेट कप टूर्नामेंट की कंडीशन इसमें भी लागू रहेंगी। सच ये है कि किसी को कुछ पक्का नहीं था कि इस मैच को इतिहास में किस तरह से याद रखेंगे?
इंग्लैंड टीम इस मैच के लिए तैयार नहीं थी क्योंकि वे एमसीसी से इस 'अलग' मैच को खेलने की अलग फीस चाहते थे। यहां तक कि सर डॉन ब्रैडमैन ने भी उनसे बात की। खिलाड़ी आखिर में मान गए और इसमें इस फैक्टर ने भी काम किया कि खिलाड़ी ड्रेसिंग रूम में बैठे-बैठे बोर हो रहे थे इसलिए वे भी खेलना चाहते थे। नोट कीजिए- टेलीविजन कवरेज ने इसे इंटरनेशनल नॉक आउट मैच (International Knock Out Match) बताया और टीम थीं एमसीसी एवं ऑस्ट्रेलिया इलेवन। टोबैको कंपनी Rothmans ने इसे स्पांसर किया (तब 5000 पाउंड दिए थे) और इस तरह ये मैच बना 40 ओवर का, एक गेंदबाज के हिस्से में 8 ओवर, हर ओवर में 8 गेंद और ज्यादा रन बनाने वाला विजेता। ये मैच खेले, कई खिलाड़ियों ने बाद में लिखा कि वे मैच के लिए 'सीरियस' नहीं थे और इसे किसी फेस्टिवल मैच की तरह से खेले।
5 जनवरी 1971 का दिन मंगलवार था यानि कि छुट्टी नहीं थी इसलिए मैच के लिए 20 हजार की भीड़ की उम्मीद की थी (कैटरर्स को इसी गिनती के लिए इंतजाम की सलाह दी थी) पर वास्तव में 46 हजार से ज्यादा दर्शकों ने मैच देखा। इतने दर्शक तो ब्रिस्बेन में पहले टेस्ट के सभी कुल 5 दिन में भी नहीं आए थे। रे इलिंगवर्थ और बिल लॉरी कप्तान थे। टॉस जीतकर ऑस्ट्रेलिया ने पहले फील्डिंग की। भारी बारिश के कारण आउटफील्ड धीमी थी और इंग्लैंड ने पारी में सिर्फ 7 बाउंड्री शॉट लगाए।
जॉन एड्रिच ने पहला 50 बनाया (82-119 गेंद में 4 बाउंड्री के साथ) जबकि मजे की बात ये है कि अगर मैच की सुबह ओपनर ब्रायन लकहर्स्ट ने अंगूठे में चोट की वजह से खेलने से इनकार न क्या होता तो जॉन तो टीम में भी न होते। तेज गेंदबाज एलन थॉमसन ने पहला विकेट लिया- बल्लेबाज थे ज्योफ्री बॉयकॉट। इंग्लैंड 39.4 ओवर में 190 और ऑस्ट्रेलिया ने जब 5 विकेट गंवाकर इस स्कोर को पार किया तो उनके 5 से ज्यादा ओवर बचे थे। जॉन एड्रिच पहले मैन ऑफ द मैच थे और उन्हें 90 ब्रिटिश पाउंड का इनाम मिला।
मैच को मिली कामयाबी देखकर, मैच के बीच ही डॉन ब्रैडमैन ने घोषणा की कि इतिहास बन गया है। उनकी इस स्टेटमेंट ने मैच को पहले वनडे इंटरनेशनल में बदलने में बड़ी मदद की और 4 साल बाद तो वनडे क्रिकेट का पहला वर्ल्ड कप खेल रहे थे। इस तरह एक प्रदर्शनी मैच, जिसके बारे में खराब मौसम की बदौलत सोचा, सीरीज में दो लगातार ड्रॉ की बोरियत और बोर्ड के सामने घाटे के डर ने 1971 में वनडे इंटरनेशनल क्रिकेट को जन्म दिया। ये मैच इतना चर्चा में रहा कि इंग्लैंड टीम के मैनेजर डेविड क्लार्क ने तब ही कह दिया था कि जब 1972 में ऑस्ट्रेलिया टीम इंग्लैंड टूर पर आए तो एक अलग सीरीज के तौर पर साथ में ऐसे मैच भी खेल सकते हैं।
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-चरनपाल सिंह सोबती