भारत में हुए क्रिकेट मैच में टॉयलेट ब्रेक का मजेदार किस्सा,जब इंग्लैंड का गेंदबाज गेंद डालने के दौरान मैदान से बाहर ही चला गया
The Funniest Toilet Break in Cricket History Alf Gover’s Indore Incident: लॉर्ड्स में इंग्लैंड और भारत के बीच तीसरे टेस्ट के आखिरी दिन के खेल में जब हर कोई जीत और हार की नजदीकी के टेंशन में था तो एक बड़ी अजीब बात देखने को मिली। पता नहीं आपने उसे नोट किया या नहीं? जीत के लिए 193 रन की चुनौती के सामने, जब भारत का स्कोर 159-9 था और रवींद्र जडेजा (तब 54*) बड़ी हिम्मत से एक यादगार जीत दर्ज करने की कोशिश कर रहे थे (तब तक 153 गेंद खेल चुके थे) कि अचानक ही, बिना किसी ब्रेक, पवेलियन की ओर दौड़ पड़े। ये तो कुछ पल बाद एहसास हुआ कि जडेजा अब 'प्रेशर' को और नहीं झेल पा रहे थे इसलिए अंपायर और दूसरे कप्तान स्टोक्स को बता कर, टॉयलेट के लिए मैदान से बाहर भागे हैं। उन्हें पेशाब के लिए जाना पड़ा। इस तरह से खेल रुक गया। रवींद्र जडेजा के बाथरूम की तरफ दौड़ने की वीडियो कुछ ही मिनट बाद सोशल मीडिया पर वायरल हो गई।
इंटरनेशनल क्रिकेट में, आम तौर पर किसी बल्लेबाज के, खेल के बीच टॉयलेट जाने से, खेल रुकने का कोई रिकॉर्ड नहीं रखते पर सच ये है कि सिर्फ फील्डर या गेंदबाज ही नहीं, कई बार बल्लेबाज और अंपायर भी टॉयलेट के लिए भागते देखे गए हैं। उस दिन लॉर्ड्स में, जडेजा के टॉयलेट की जल्दी में होने की एक ख़ास वजह ये भी थी कि एक तो ठंड थी और उस पर लंच के बाद के खेल का सैशन लंबा हो गया था। इस लंबे सैशन ने उनकी परेशानी और बढ़ा दी।
असल में स्कोर को देखते हुए (भारत का 9वां विकेट 147 रन पर गिरा) जल्दी से खेल खत्म होने की उम्मीद में, अंपायरों ने टी इंटरवल शुरू होने को 30 मिनट आगे बढ़ा दिया था। अगर टी ब्रेक तय समय पर हो जाता, तो शायद रवींद्र जडेजा के टॉयलेट ब्रेक के लिए ग्राउंड से बाहर जाने की नौबत ही नहीं आती। वह टॉयलेट जाने के लिए इतने बेताब थे कि टी ब्रेक का भी इंतज़ार नहीं कर सके, हालांकि टी ब्रेक ज्यादा दूर नहीं था। उन्होंने 68वें ओवर के खत्म होते ही टॉयलेट ब्रेक लिया और जब लौटे तो 69वां ओवर शुरू हुआ। 70 ओवर के बाद टी ब्रेक हो गया।
जब ये सब हुआ तो मैच बेहद तनावपूर्ण स्थिति में था। स्टोक्स ने जडेजा को ड्रेसिंग रूम जाने से नहीं रोका पर साफ़ नजर आ रहा था कि स्टोक्स को ये सब पसंद नहीं आया। टी इंटरवल के लिए कुछ ही मिनट बचे थे तो ऐसे में उन्हें जडेजा की जल्दबाजी पसंद नहीं आई। वही हुआ और जडेजा के लौटने के बाद, दो और ओवर खेले जिनमें भारत ने अपना आख़िरी विकेट गिरने नहीं दिया।
अब सवाल ये है कि क्या कोई बल्लेबाज क्रिकेट मैच में बल्लेबाजी करते हुए टॉयलेट ब्रेक ले सकता है? ऑस्ट्रेलियाई ओपनर मैथ्यू रेनशॉ का 2017 में पुणे में भारत के विरुद्ध टेस्ट मैच के दौरान, पेट खराब होने से ग्राउंड से बाहर जाना, इस मामले में एक बड़ी चर्चित मिसाल है। वे टॉयलेट जाना रोक न पाए थे। एक बल्लेबाज के बारे में आम प्रचलित तरीका ये है कि वे तय ब्रेक के दौरान, टॉयलेट ब्रेक के लिए ग्राउंड छोड़ सकते हैं। मैट रेनशॉ का पेट खराब था और वे खेल के दौरान ही, ग्राउंड से उसी परेशानी में रिटायर्ड हर्ट के तौर पर ग्राउंड से बाहर चले गए थे। बाद में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने बड़ा साफ़ कहा था, 'जब आपको टॉयलेट जाना हो, तो आपको टॉयलेट जाना ही होगा।'
जब टॉयलेट जाने की इमरजेंसी हो, तो बल्लेबाज, अंपायर और दूसरी टीम के कप्तान की सहमति से ग्राउंड से बाहर जा सकता है। इसके लिए ड्रिंक्स ब्रेक को जल्दी लेने का विकल्प भी क्रिकेट लॉ में लिखा है। 2003 वर्ल्ड कप में भारत के श्रीलंका के विरुद्ध मैच में सचिन तेंदुलकर ने पेट खराब होने के कारण अपने अंडरवियर में टॉयलेट पेपर रखकर 97 रन की शानदार पारी खेली थी। तब उन्होंने ड्रिंक्स ब्रेक का इस्तेमाल टॉयलेट जाने के लिए किया था। ऐसी कई मिसाल हैं जहां पेट में गड़बड़ की वजह से खिलाड़ी या अंपायर खेल छोड़ ग्राउंड से बाहर गए।
जब ये चर्चा चल रही है तो इंग्लैंड के तेज़ गेंदबाज अल्फ़ गोवर से जुड़ी एक बड़ी मजेदार स्टोरी का जिक्र जरूर होना चाहिए। वे सरे काउंटी के साथ कई साल खेले लेकिन दूसरे वर्ल्ड वॉर के कारण उनका टेस्ट करियर छोटा रह गया। सिर्फ 4 टेस्ट खेले। उसके बाद एक मशहूर तेज़ गेंदबाज़ी कोच बने और कई साल तक एक कोचिंग स्कूल चलाया। 20 साल के फर्स्ट क्लास क्रिकेट करियर में, उन्होंने सिर्फ 23.63 की औसत से 1555 विकेट लिए।
अब आते हैं उस स्टोरी पर। 1937-38 सीजन में, लॉर्ड टेनिसन इलेवन के नाम से, 15 इंग्लिश क्रिकेटरों की एक टीम भारत टूर पर आई थी। इस टीम ने 15 फर्स्ट क्लास मैच खेले, 5 इंडिया इलेवन के विरुद्ध और 9 अन्य मैच। एक मैच इंदौर में था। इस मैच के दौरान, एक ऐसा वाकया हुआ जिसके कारण अल्फ़ गॉवर अगले कई साल तक 'आफ्टर डिनर स्पीच' का एक मजेदार किस्सा बने रहे। ये किस्सा फ्रेड ट्रूमैन और फ्रैंक हार्डी की 1978 में प्रकाशित किताब 'यू नियरली हैड हिम दैट टाइम (You Nearly Had Him That Time)' में लिखा है।
उस दौर में भारत में खाने-पीने के इंतजाम में कमियों और इस वजह से पेट की गड़बड़ी के बारे में बहुत कुछ लिखा गया है। क्रिकेटरों ने भी अपनी किताबों में खूब लिखा। इंग्लिश खिलाड़ियों के पेट खराब होने की कई मिसाल हैं। इंदौर में खेले इस मैच के दौरान, अजीब बात ये हुई कि गॉवर ने ओवर की शुरुआत में विकेट की ओर अपना रन-अप शुरू किया। वे भागे तो पर गेंद नहीं फेंकी और भागते गए। सभी को हैरान करते हुए, दौड़ते रहे, अंपायर को पार किया, पूरी लंबाई में पिच को भी पार कर गए। तब भी भागते रहे। अब उस बल्लेबाज़ को भी पार कर लिया जो गेंद खेलने के लिए इंतज़ार कर रहा था। इसके बाद स्लिप कॉर्डन पार किया और भागते-भागते पवेलियन में गायब हो गए।
किसी को पता ही नहीं चला कि क्या हुआ था? इमरजेंसी में, जब भी फील्डिंग टीम का कोई खिलाड़ी ग्राउंड छोड़ता है, तो एक सब्स्टीट्यूट उसकी जगह ले लेता है और इस तरह से खेल जारी रहता है। यहां गॉवर के जाने से खेल रुक गया। हुआ ये कि कप्तान लॉर्ड टेनिसन किसी नए गेंदबाज से ओवर शुरू करने के लिए नहीं कह सकते थे क्योंकि गेंद तो मिल ही नहीं रही थी। गेंद कहां गई? किसी को पता ही नहीं था कि गेंद कहां है? कुछ मिनट बाद ही उन्हें एहसास हुआ कि टॉयलेट जाने के लिए भागते हुए गॉवर गेंद छोड़ना तो भूल ही गए थे।
अब एक ही रास्ता बचा था। कप्तान खुद ड्रेसिंग रूम गए और गॉवर को आवाज लगाई- 'गॉवर तुम कहां हो?'
'कप्तान, मैं यहां हूं!' टॉयलेट के अंदर से गॉवर की आवाज़ आई।
'गेंद कहां है?' अब कप्तान चिल्लाए।
तब गॉवर को एहसास हुआ कि वह गेंद तो अपने साथ ले गए हैं। इसके बाद, गॉवर ने, गेंद को टॉयलेट के दरवाजे के ऊपर से फेंक दिया।
अब कप्तान पवेलियन से बाहर निकले तो उनके हाथ में गेंद थी जो किसी बड़े अवार्ड से कम नहीं थी।
Also Read: LIVE Cricket Score
चरनपाल सिंह सोबती