भारत के सबसे कम उम्र के टेस्ट ओपनर का रिकॉर्ड किसके नाम है? 8 मैच में इंटरनेशनल करियर हुआ था खत्म
Vijay Mehra Team India: पिछले साल के ऑस्ट्रेलिया-भारत बॉक्सिंग डे टेस्ट की जिन अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा हुई उनमें से एक बड़ा ख़ास, जिस पर ध्यान नहीं दिया, ये रहा कि टेस्ट के लिए ऑस्ट्रेलिया की टीम में कोई भी खिलाड़ी 20 साल का नहीं था- सैम कोनस्टास 19 साल के और बाकी सभी 30+ के। इसी बात को इस तरह भी कह सकते हैं कि टीम में 10 खिलाड़ी 30+ थे। खैर इससे कैसे रिकॉर्ड बने- ये चर्चा एक अलग स्टोरी है।
यहां बात कर रहे हैं सैम कोनस्टास के कम उम्र में टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के लिए ओपनिंग की। मेलबर्न में डेब्यू के दिन उम्र 19 साल 85 दिन थी- ऑस्ट्रेलिया के चौथे सबसे कम उम्र के टेस्ट खिलाड़ी (उनसे कम उम्र के : इयान क्रेग 17 साल तथा पैट कमिंस और टॉम गैरेट 18 साल)। बहरहाल इनमें से कोई भी डेब्यू पर ओपनर नहीं था। कम उम्र के उनके ओपनर का पिछला रिकॉर्ड आर्ची जैक्सन का था।
इस तरह कोनस्टास ऑस्ट्रेलिया के तो सबसे कम उम्र के ओपनर बन गए पर टेस्ट रिकॉर्ड बांग्लादेश के मोहम्मद अशरफुल का है (2002 में ढाका में पाकिस्तान के विरुद्ध दूसरी पारी में ओपनिंग पर उम्र 17 साल 188 दिन)। 17 साल के 4 और ओपनर हैं : भारत के लिए विजय मेहरा और पार्थिव पटेल, पाकिस्तान के हनीफ मोहम्मद और अफगानिस्तान के लिए इब्राहिम जादरान। शायद ये सुना भी नहीं होगा कि विजय मेहरा नाम का भी भारत का कोई टेस्ट क्रिकेटर रहा है। वे भले अब भारत के सबसे कम उम्र के टेस्ट क्रिकेटर (17 साल 265 दिन) नहीं और मनिंदर सिंह ने 1982-83 में इस रिकॉर्ड तोड़ा पर सबसे कम उम्र के टीम इंडिया के ओपनर का रिकॉर्ड, आज भी उनके ही नाम है। और भी बड़ी ख़ास बातें हैं विजय मेहरा से जुड़ी।
क्रिकेट में उनकी चर्चा दो तरह से है। सबसे पहले खिलाड़ी के तौर पर : दाएं हाथ के बल्लेबाज, विजय मेहरा ने टेस्ट डेब्यू किया दिसंबर 1955 में न्यूजीलैंड के विरुद्ध। उस टेस्ट में सिर्फ 10 रन बनाए पर नई दिल्ली के अगले टेस्ट में नारी कॉन्ट्रैक्टर के साथ पहले विकेट के लिए 68 रन जोड़ते हुए 32 रन बनाए। इसके बावजूद अगले लगभग 6 साल तक भुला दिए गए। वापसी : 1961-62 में इंग्लैंड के विरुद्ध कोलकाता में। यहां ओपनर थे, बड़ी हिम्मत वाले 62 रन बनाए (पहली सुबह दाहिने अंगूठे में फ्रैक्चर के बाद भी बल्लेबाजी जारी रखी)। बहरहाल चोट के कारण दूसरी पारी में नंबर 11 पर बल्लेबाजी की और तब भी 34 मिनट तक अपना विकेट बचाया और स्कोर 7* था। इस चोट के कारण अगले टेस्ट की टीम से बाहर।
1962 में वेस्टइंडीज टूर पर विजय मेहरा ने 3 टेस्ट खेले, टॉप स्कोर पोर्ट ऑफ स्पेन के चौथे टेस्ट में 62 रन और सलीम दुर्रानी के साथ दूसरे विकेट के लिए 144 रन जोड़े। किंग्स्टन के आख़िरी टेस्ट में 39 रन की एक और ख़ास पारी खेली। इसी तरह लगभग दो साल बाद, मद्रास में इंग्लैंड के विरुद्ध चेन्नई में बुद्धि कुंदरन के साथ पहले विकेट के लिए 85 और 59 रन की पार्टनरशिप की पर मुंबई में अगला टेस्ट (स्कोर 9 और 35) उनके टेस्ट करियर का आख़िरी टेस्ट साबित हुआ। सिर्फ 8 टेस्ट का करियर रहा। रणजी ट्रॉफी में रिकॉर्ड इससे बेहतर रहा- 10 स्कोर 100 के थे उनके 3222 रन (37.90) में और कुल फर्स्ट क्लास रिकॉर्ड 5636 रन (34.36) रहा।
दूसरी चर्चा है क्रिकेट एडमिनिस्ट्रेशन में। कई साल डीडीसीए से जुड़े रहे और बीसीसीआई की सिलेक्शन कमेटी में भी रहे। उनके नाम एक बड़ा अनोखा रिकॉर्ड ये है कि सबसे ज्यादा साल नेशनल सिलेक्टर रहे। वे भारतीय क्रिकेट में भले ही कोई बड़ा नाम नहीं थे पर ये रिकॉर्ड उनके नाम है।
अगस्त 2006 में दिल्ली में देहांत हुआ- 68 साल की उम्र में। बिशन सिंह बेदी, जो उनके अच्छे दोस्त थे, ने तब कहा था कि विजय मेहरा ने अपने टेलेंट की सीमा के अंदर बड़ा बेहतर प्रदर्शन किया। कुछ जानकार विजय मेहरा को भारत के उन 'टीन' में से एक गिनते हैं जो जल्दी से सीनियर टीम में तो आए पर कभी सही टेलेंट न दिखा पाए (ऐसे कुछ और नाम : लक्ष्मण शिवरामकृष्णन, मनिंदर सिंह, पार्थिव पटेल और पीयूष चावला)। लाला अमरनाथ के एकदम युवा टेलेंट को मौका देने की पॉलिसी में विजय मेहरा को मौका मिल गया था (उसी ब्रेबोर्न टेस्ट में नारी कॉन्ट्रैक्टर और सदाशिव पाटिल ने भी डेब्यू किया था)। वे अपनी गेंदबाजी को भी कभी सही चर्चा न दिला पाए। 8 टेस्ट में सिर्फ 6 ओवर फेंकना इसी का सबूत है।
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- चरनपाल सिंह सोबती