'मैं बाहर बैठकर सिर्फ पानी नहीं पिला सकता', विजय शंकर ने तोड़ी तमिलनाडु का साथ छोड़ने पर चुप्पी
भारतीय क्रिकेट टीम से बाहर चल रहे ऑलराउंडर विजय शंकर ने आखिरकार तमिलनाडु के साथ अपने 13 साल के सफर को खत्म कर दिया है। आगामी घरेलू सत्र से पहले उन्होंने त्रिपुरा टीम में शामिल होने का फैसला किया और इस बदलाव की असली वजह भी सामने रखी। शंकर, जो 2012 से तमिलनाडु के लिए लगातार खेलते आए हैं, ने बताया कि चयनकर्ताओं की उपेक्षा और टीम में बार-बार बाहर किए जाने की निराशा ने उन्हें ये कठिन निर्णय लेने पर मजबूर किया।
उन्होंने कहा कि वर्षों तक अच्छे प्रदर्शन के बावजूद उन्हें पर्याप्त मौके नहीं दिए गए और अक्सर उन्हें बेंच पर बैठना पड़ा। 34 वर्षीय इस खिलाड़ी को TNCA (तमिलनाडु क्रिकेट संघ) से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) मिल गया है, जिसके बाद उन्होंने नए सफ़र की शुरुआत करने का मन बना लिया।
द हिंदू को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने साफ कहा, "कभी-कभी आपको मजबूरी में बड़ा कदम उठाना पड़ता है। मैं मानता हूं कि मेरी फॉर्म ठीक है और मेरे अंदर अब भी क्रिकेट के लिए जुनून है। लेकिन इतने साल खेलने के बाद केवल किनारे बैठना और पानी पिलाना बहुत मुश्किल हो जाता है। मैं खेलना चाहता हूं, योगदान देना चाहता हूं।"
उन्होंने आगे बोलते हुए कहा, "पिछले साल रणजी ट्रॉफी के शुरुआती दो मैचों से मुझे बाहर कर दिया गया था। उसके बाद सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में भी आखिरी दो मुकाबलों में जगह नहीं मिली। लगातार ऐसे फैसलों ने मुझे असुरक्षित महसूस कराया। खिलाड़ी के लिए भरोसा और स्थिरता जरूरी है, लेकिन मुझे कभी यह सुरक्षा नहीं मिली।"
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81 रणजी पारियों में 44.25 की औसत से 3,142 रन और टीम को तीन घरेलू खिताब दिलाने वाले शंकर का मानना है कि इतनी उपलब्धियों के बावजूद उन्हें बार-बार खुद को साबित करने की चुनौती झेलनी पड़ी। अब विजय शंकर हनुमा विहारी जैसे वरिष्ठ खिलाड़ियों के साथ त्रिपुरा की ओर से खेलते दिखेंगे। उनका कहना है कि तमिलनाडु में निश्चित बल्लेबाजी क्रम और स्थायी भूमिका की कमी ने उनके प्रदर्शन को प्रभावित किया, और यही वजह है कि उन्होंने करियर का यह नया अध्याय शुरू करने का फैसला किया।