विराट कोहली और रवि शास्त्री ने बताया, दो अलग दौरों के लिए अलग टीम भेजने से होगा ये फायदा होगा

Updated: Thu, Jun 03 2021 14:22 IST
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भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली (Virat Kohli) और हेड कोच रवि शास्त्री (Ravi Shastri) ने अलग-अलग दौरों के लिए अलग टीम भेजने के विचार का समर्थन किया है। कोहली ने कहा, "जिस तरह से हम खेल रहे हैं, खिलाड़ियों के लिए लंबे समय तक खुद को प्रेरित रखना और सही मानसिकता में रहना कठिन है। भविष्य में यह अहम भूमिका निभाएगा जहां वर्कलोड और मानसिक स्वास्थ्य पिक्चर में रहेगी।"

उन्होंने कहा, "आप ग्राउंड पर जा रहे हैं और फिर सीधे कमरे में, इससे आपको खेल से हटने का मौका नहीं मिलता है और आप कहीं बाहर नहीं जा पाते हैं जिससे तरोताजा हो सकें।"

कोहली ने कहा, "लगातार व्यस्त रहना एक बड़ा फैक्टर है जिसे नाकारा नहीं जा सकता है क्योंकि जितनी मेहनत यह टीम कर रही है, आप नहीं चाहेंगे कि खिलाड़ी मानसिक दबाव के कारण ढीले पड़ें।"

एक तरफ जहां भारतीय टेस्ट टीम इंग्लैंड में व्यस्त रहेगी, वहीं भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) इस साल जुलाई में श्रीलंका दौरे पर सीमित ओवरों की टीम भेजने की योजना बना रही है।

इस सीरीज की विस्तृत जानकारी पर काम चल रहा है लेकिन ऐसा समझा जाता है कि जो खिलाड़ी इस सीरीज के लिए जाएंगे उनमें से कुछ टीम इंडिया का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं, जिनमें शिखर धवन, पृथ्वी शॉ और हार्दिक पांड्या जैसे खिलाड़ी शामिल हैं।

टीम के कोच शास्त्री ने भी अलग टीमों के विचार का समर्थन किया है।

 

शास्त्री ने कहा, "इस समय ऐसा हो रहा है क्योंकि मौजूदा स्थिति में यात्रा पर प्रतिबंध है और चीजें सीमित हैं। लेकिन भविष्य में अगर आप खेल को बढ़ाना चाहते हैं, विशेषकर सीमित प्रारूप को तो इस रास्ते जाना ही होगा।"

उन्होंने कहा, "जब आपके पास ऐसे क्रिकेटर हैं और आप टी20 खेल को विश्व में फैलाना चाहते हैं तो आपके पास यही तरीका बचता है। अगर आप ओलंपिक को चार या आठ साल में कराने पर चर्चा करते हैं तो आपको ज्यादा देशों को इसमें शामिल करना होगा।"

कोच ने कहा कि ब्रेक जरूरी है, विशेषकर मानसिक स्वास्थ्य के लिए। चूंकि कुछ दिनों में ज्यादा मुकाबले होने से खिलाड़ी की मानसिक हालत पर असर पड़ सकता है।

शास्त्री ने कहा, "जब आपको छह सप्ताह के अंदर पांच टेस्ट खेलने होते हैं तो यह एक मजाक नहीं है। फिट खिलाड़ी को भी ब्रेक की जरूरत पड़ती है। यह शारीरिक रूप के बजाए मानसिक रूप के लिए ज्यादा जरूरी है। एक ही चीज लगातार करते रहने से आपकी मानसिक हालत पर असर पड़ सकता है और इससे उबरना आसान नहीं है।"

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