12 साल पहले जब विराट कोहली आखिरी बार रणजी ट्रॉफी मैच खेले थे, उस मैच में क्या हुआ था?

Updated: Sun, Jan 26 2025 20:18 IST
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2 नवंबर 2012 से, दिल्ली के बिलकुल करीब गाजियाबाद के नेहरू स्टेडियम में एक 4 दिन का, उत्तर प्रदेश-दिल्ली रणजी ट्रॉफी ग्रुप मैच खेला गया। जो इस मैच के साथ जुड़े थे, भले ही मैच में खेल रहे खिलाड़ी हों या दर्शक, उन्हें यह अंदाजा भी नहीं था कि वे किस 'इतिहास' का हिस्सा बन रहे हैं। ये मैच, आने वाले सालों में विराट कोहली का आखिरी घरेलू फर्स्ट क्लास मैच बन कर रह गया। विराट कोहली ने इसके बाद और कोई रणजी ट्रॉफी मैच खेला ही नहीं। इसके बाद भले बात विराट के रणजी करियर (या घरेलू क्रिकेट में खेलने) की हो या टीम इंडिया के स्टार क्रिकेटरों के घरेलू क्रिकेट को नजरअंदाज करने के मुद्दे की- ये मैच हमेशा चर्चा में आया। 

विराट कोहली ने 2006 में तमिलनाडु के विरुद्ध रणजी डेब्यू किया पर इतने सालों में सिर्फ 23 मैच खेले हैं दिल्ली के लिए (रिकॉर्ड : 50.77 औसत से 1574 रन)। अब बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में विराट कोहली और कुछ अन्य के बैट से जूझने के बाद, फिर से टीम इंडिया के स्टार क्रिकेटरों के घरेलू ट्रॉफी मैचों में न खेलने का मुद्दा गरमाया और नतीजा ये है कि विराट कोहली भी रणजी ट्रॉफी में इतने सालों बाद लौट रहे हैं। उनके राजकोट में सौराष्ट्र के विरुद्ध खेलने की चर्चा थी पर फिट नहीं थे और अब खुद कह दिया है कि वे रेलवे के विरुद्ध 30 जनवरी से शुरू मैच में खेलेंगे। जैसे ही ये तय हुआ तो फिर से विराट कोहली का वह आखिरी रणजी ट्रॉफी मैच चर्चा में आ गया। 

था तो ये एक रणजी ट्रॉफी ग्रुप मैच पर कई और बात बातें भी ऐसी हुईं जिनसे ये मैच चर्चा में रहा। मैच का आयोजन मिला था उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन को और इसे उनके गाजियाबाद में खेलने के फैसले ने दिल्ली को 'मेजबान' बना दिया। ईस्ट दिल्ली से बिल्कुल सटा है गाजियाबाद और दिल्ली के खिलाड़ी रोज मैच खेलने दिल्ली से जाते थे। मजेदार बात ये कि टीम इंडिया के टेस्ट ओपनर वीरेंद्र सहवाग (कप्तान) और गौतम गंभीर ही दिल्ली के ओपनर थे। सिर्फ वे नहीं, विराट कोहली, आशीष नेहरा, उन्मुक्त चंद  और ईशांत शर्मा भी दिल्ली की टीम में थे। यूपी के पास प्रवीण कुमार, भुवनेश्वर कुमार (तब टेस्ट क्रिकेटर नहीं थे), मोहम्मद कैफ और सुरेश रैना थे। भारत के पिछले टेस्ट की प्लेइंग इलेवन के टॉप 7 में से 4 खिलाड़ी इस मैच में खेले। इन सभी स्टार क्रिकेटरों के खेलने से मैच वैसे भी चर्चा बन गया और उस पर उत्तर प्रदेश ने 6 विकेट से जीत दर्ज की। 

खुद विराट के लिए ये मैच कोई ख़ास कामयाबी नहीं था और 14 एवं 43 के स्कोर बनाए। दोनों पारियों में उन्हें भुवनेश्वर ने आउट किया और अब यही भुवी, आरसीबी में उनके साथी हैं। बहरहाल ये मैच विराट के लिए उनके स्कोर से ज्यादा, उनके 'आख़िरी' रणजी ट्रॉफी मैच के तौर पर चर्चा में रहा। चलिए चलते हैं सीधे उस मैच पर। 

नेहरू स्टेडियम को ऐसे बड़े मैच के लिए आनन-फानन में तैयार किया और सजाया। तब भी कई दिक्कतें थीं पर क्रिकेट की दीवानगी के दौर में सब तकलीफों को भूल गए। लगभग 25 रिपोर्टर एक छोटे से शेड में ठसाठस भरे थे और वे इस घटिया इंतजाम पर लिखते रहे पर कोई फायदा नहीं हुआ। कई हजार दर्शक हर दिन स्टेडियम आते रहे क्रिकेट देखने। 

पहला दिन : उत्तर भारत में धुंध के दिन शुरू हो गए थे और कप्तान सुरेश रैना के बल्लेबाजी के लिए बुलाए जाने के फैसले के जवाब में, दिल्ली ने बैटिंग करते हुए दर्शकों का कोई ख़ास मनोरंजन नहीं किया। स्टार बल्लेबाजों वाली टीम 235 रन पर आउट हो गई- पुनीत बिष्ट 52 टॉप स्कोरर थे जबकि पेसर इम्तियाज अहमद (5-59) सबसे कामयाब गेंदबाज- करियर का सबसे बेहतर प्रदर्शन और फर्स्ट क्लास क्रिकेट में पहली बार 5 विकेट।। ये स्कोर भी पांचवें विकेट के लिए मिथुन मन्हास और पुनीत बिष्ट की 86 रन की पार्टनरशिप से ही बन पाया था। सभी दिल्ली को 66 ओवर के अंदर, मजबूत बल्लेबाजी के बावजूद आउट होते देख हैरान थे। सच ये है कि उस समय के टीम इंडिया के टॉप 6 में से 3 वे थे जो दिल्ली के लिए खेल रहे थे- इनमें से किसी ने 32 को पार नहीं किया और पहले सैशन में आउट हो गए थे। दिन का खेल ख़त्म होने तक मेजबान 195 रन से पीछे थे और अभी 9 विकेट बचे थे।  

दूसरा दिन : मैच में पासा पलटा और उत्तर प्रदेश, अपना सिर्फ दूसरा फर्स्ट क्लास मैच खेल रहे मुकुल डागर के शानदार 116 रन की बदौलत 292/6 (डागर 116, कैफ 91, नरवाल 3-48) बनाकर 57 रन से आगे थे। डागर और मोहम्मद कैफ ने दूसरे विकेट के लिए 196 रन की पार्टनरशिप की।  

तीसरा दिन : उत्तर प्रदेश ने कुल 403 रन बना दिए (डागर 116, कैफ 91, रैना 55, प्रवीन 51*, नरवाल 4-71) और पहली पारी में 168 रन की लीड ली। नंबर 10 प्रवीन कुमार ने आकर्षक 51* (57 गेंद, 5 चौके, 2 छक्के) बनाए और उनकी प्रेरणा से नंबर 11 इम्तियाज ने भी अपना विकेट आसानी से नहीं दिया। दिल्ली की इस क्रिकेट की बड़ी आलोचना हुई। उस पर पूरी तरह से फिट नहीं थे सहवाग। उन्हें एक कैच लेने की कोशिश में दाहिने हाथ अंगुली में चोट लग गई थी- हालांकि न तो फ्रैक्चर हुआ और न ही टांके लगे पर टीम ड्रेसिंग रूम से खबर थी कि सहवाग जरूरत में ही बैटिंग करेंगे। बहरहाल सहवाग को नंबर 6 पर पिच पर आना पड़ा, मोर्चा संभाला और दिन का खेल खत्म होने पर स्कोर 197-4 था यानि कि सिर्फ 29 रन से आगे और मिथुन मन्हास 63 और सहवाग 21 रन बनाकर क्रीज पर थे। 

चौथा दिन : सहवाग ने दूसरी पारी में 107 बनाए 19 चौके के साथ पर टीम ने कुल 322 रन ही बनाए (सहवाग 107, मन्हास 65, भुवनेश्वर 4-94, इम्तियाज 4-112)। सातवें विकेट के लिए प्रदीप सांगवान के साथ 85 रन जोड़े और तब ये स्कोर बना था। सहवाग के 100 की और बात करें तो ये दिल्ली के लिए लगभग 6 साल में उनका पहला रणजी 100 था (पिछला : जनवरी 2007 में हरियाणा के विरुद्ध) और दिसंबर 2011 के बाद से किसी भी मैच में उनका पहला तीन अंक का स्कोर। 

दिल्ली को अहसास था कि वे मुश्किल में हैं और मैच को किसी भी तरह ड्रा करने के लिए न सिर्फ धीमी बल्लेबाजी की, समय भी खराब किया। शिन पैड और हेलमेट ग्राउंड में बदलते रहे जबकि तेज गेंदबाज अपने फॉलोथ्रू में धीमे थे। बहरहाल उत्तर प्रदेश ने जीत के लिए 155 रन का लक्ष्य हासिल किया और ये जीत उनके लिए बहुत बड़ी कामयाबी थी। 

बहरहाल इस आख़िरी दिन उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने स्पेशल केक मंगवाया और विराट कोहली का बर्थडे मनाया। उधर स्टार क्रिकेटरों की मौजूदगी का फायदा उठाकर वीरेंद्र सहवाग और सुरेश रैना के साथ एक 'पोलियो हटाओ' प्रोग्राम भी आयोजित किया जिसमें इन दोनों ने कई बच्चों को पोलियो की दवाई पिलाई। 

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- चरनपाल सिंह सोबती  

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