Cricket History - ऐसे रखी गई थी बीसीसीआई (BCCI) की नींव

Updated: Sun, Jan 31 2021 09:13 IST
Image Source - Cricketnmore

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई (BCCI)। शायद ही ऐसा कोई क्रिकेट दर्शक या खेलने वाला खिलाड़ी हो जो इस नाम से वाकिफ ना हो। बिना किसी शक के यह दुनिया का सबसे मजबूत और ताकतवर क्रिकेट बोर्ड है और यह कहना गलत नहीं होगा कि आईसीसी(ICC)  जो दुनिया में क्रिकेट से जुड़ी सभी पहलुओं पर नजर रखती है, बीसीसीआई का उनके ऊपर भी वर्चस्व है। हालांकि इसकी निर्माण की कहानी बेहद दिलचस्प है और कहीं ना कहीं इसके गठन में अंग्रेजों का बहुत बड़ा हाथ है।

बात है साल 1926 की जब भारत समेत न्यूजीलैंड और वेस्टइंडीज को भी आईसीसी की मान्यता मिली। तब आईसीसी - इम्पीरियल क्रिकेट कॉन्फ्रेंस के नाम से जाना जाता था।  इसके बावजूद भारत को अपने पहले टेस्ट मैच के लिए कुछ इंतजार करना पड़ा।

हालांकि कई बार ऐसा हुआ जब भारत ने दुनिया भर से आने वाली कई क्रिकेट टीमों को हराया लेकिन रणजी और दुलीप जैसे बड़े दिग्गजों के बावजूद भारत को अभी भी विदेशी धरती पर अपनी धाक जमानी थी।

ऐसे रखी गई बीसीसीआई की नींव

साल 1926 में आर्थर गिलीगन की अगुवाई में इंग्लैंड की टीम भारत आई। यह टीम बेहद मजबूत थी और भारतीय  दौरे पर उन्हें एक भी मैच में हार नहीं मिली। इस दौरान जो मैच सबसे ज्यादा सुर्खियों में रहा वो बॉम्बे जिमखाना में खेला गया हिंदुओं के खिलाफ एक मैच थी।

पहली पारी में बल्लेबाजी करते हुए गिलीगन की टीम ने 363 रन बनाए। पहली पारी में जब भारत का स्कोर 67/2 हुआ तब सीएके नायडू (जो आगे चलकर भारत के टेस्ट क्रिकेट इतिहास के पहले कप्तान बने) उन्होंने  महज 100 मिनट में ही दे देना दन तरीके से 153 रनों की विस्फोटक पारी खेली। इस दैरान उन्होंने 13 चौके और 11 छक्के जमाए। उस समय तब यह 11 गगनचुंबी छक्के एक रिकॉर्ड थे। जैसे ही यह खबर फैली, वैसे ही बड़ी संख्या में लोग नायडू की बल्लेबाजी देखने के लिए मैदान की तरफ कुज करने लगे। खास बात यह रही कि जब सीएके नायडू आउट हुए तब मैदान पर मौजूद अम्पायरों ने भी इनकी बल्लेबाजी की खूब सराहना की।

 

53 साल के संस्कृत प्रोफेसर ने अंग्रेजों पर बरसाया कहर

कुछ दिनों बाद बॉम्बे जिमखाना में फिर एक मैच हुआ और इस बार 53 वर्षीय संस्कृत प्रोफेसर जिनका नाम डीबी देवधर था उन्होंने 4 घंटे के अंदर ही 148 रनों की बेजोड़ पारी खेली।

भारतीयों द्वारा लागातार अच्छे क्रिकेट को देखकर गिलीगन को यह मालूम पड़ गया कि यहां के क्रिकेटरों में ऊंचे स्तर पर जाकर बेहतरीन प्रदर्शन करने की कला है। दो महीने बाद गिलीगन महाराजा ऑफ पटियाला जो इस दौरे के प्रबंधक भी थे, ग्रांट गोवन जो दिल्ली के एक व्यापारी थे तथा अंथोनी डी मेलो जो गोवन के ही कर्मचारी थे और दिल्ली के रोशनारा क्लब में काम करते थे उनसे मिले। गिलीगन ने इन तीनों से बात करके यह भरोसा दिलाया कि वो एमसीसी यानी मेलबर्न क्रिकेट क्लब से एक विदेशी दौरे के बारे में बात करेंगे।

इसके साथ ही गिलीगन ने बीसीसीआई की बीज बोते हुए यह अनुरोध किया कि भारत को अपनी खुद की एक क्रिकेट बोर्ड बनानी चाहिए। इसके बाद साल 1928 में दिल्ली के रोशनारा क्लब में ही भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई का गठन हुआ। गोवन बीसीसीआई के पहले अध्यक्ष बने तथा डी मिलो को पहले सेक्रेटरी के तौर पर नियुक्त किया गया। करीब 5 महीने बाद डी मिलो और गोवन ने आईसीसी में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

इसके बाद वो ऐतिहासिक साल आया जब 1932 में भारत ने इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स के मैदान पर सीएके नायडू की कप्तानी में अपना पहला टेस्ट मैच खेला।

TAGS

संबंधित क्रिकेट समाचार

सबसे ज्यादा पढ़ी गई खबरें