टीम इंडिया का वो खिलाड़ी,जिसने इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू से पहले फिल्मों में डेब्यू किया था 

Updated: Sat, Dec 10 2022 09:33 IST
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पिछले दिनों वेस्टइंडीज के युवा क्रिकेटर तेजनारायण चंद्रपॉल का टेस्ट डेब्यू खूब चर्चा में रहा। डेब्यू पारी में 50 और अभाग्यशाली रहे कि डेब्यू टेस्ट की दोनों पारी में 50 नहीं बना पाए (स्कोर 51 एवं 45)। उनका एक और परिचय, सिर्फ ये नहीं है कि वे टेस्ट क्रिकेटर शिवनारायण चंद्रपॉल के बेटे हैं। ये वही तेजनारायण चंद्रपॉल हैं जिन्होंने भारत की 1983 वर्ल्ड कप जीत पर बनी फिल्म '83' में लैरी गोम्स का रोल निभाया था।

2018 में सेंट लूसिया में एक मैच के दौरान, एक स्काउट ने फिल्म के लिए कुछ क्रिकेटरों को शार्ट लिस्ट किया और तेज उनमें से एक थे। जब फिल्म आई तो कई जगह लिखा गया कि कहीं ऐसा न हो जाए कि वे सिर्फ फिल्म में इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने तक ही रह जाएं? ऐसा नहीं हुआ। अब वे टेस्ट क्रिकेटर हैं। 

आम तौर पर जब भी क्रिकेटरों के फिल्म में काम करने की बात होती है तो रिकॉर्ड ये है कि खिलाड़ी को इंटरनेशनल क्रिकेट में मशहूरी मिलने के बाद फिल्म ऑफर मिलते हैं। लिस्ट देख लीजिए- सलीम दुर्रानी से लेकर विनोद कांबली, हरभजन और श्रीसंत तक यही बात सच है। तेजनारायण चंद्रपॉल की मिसाल फर्क है- पहले फिल्म और उसके बाद इंटरनेशनल क्रिकेट। क्या भारत में कोई ऐसी मिसाल है कि किसी को फिल्म में काम करने के बाद इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने का मौका मिला?

एक बड़ी मजेदार मिसाल मौजूद है पर जब क्रिकेटरों और फिल्म के आपसी नाते का जिक्र होता है तो कोई भी इस मिसाल के बारे में नहीं लिखता। यहां तक कि उस क्रिकेटर के प्रोफाइल में भी ये परिचय नहीं आता। शायद इसलिए कि क्रिकेट में जो बड़ा मुकाम हासिल किया वह छोटे से फिल्म करियर पर भारी पड़ गया। 

पहले फिल्म और फिर इंटरनेशनल क्रिकेट- इसकी भारत में सबसे अच्छी  मिसाल युवराज सिंह हैं। युवराज के पिता, योगराज सिंह इंटरनेशनल क्रिकेट के बाद फिल्म लाइन से जुड़े और इसलिए युवराज को बचपन में क्रिकेट और फिल्म दोनों का माहौल मिला। पिता बहरहाल उन्हें क्रिकेटर बनाना चाहते थे और क्रिकेट ही उनकी पहचान बना। 

युवराज सिंह ने एक चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर 'मेहंदी शगना दी' नाम की  एक पंजाबी फिल्म में काम किया था। स्कूल ड्रेस में युवराज की, उस फिल्म से एक फोटो मिल जाएगी। मौका मिले तो स्क्रीन पर भी युवराज को जरूर देखिए।
  
उस फिल्म की सारी चर्चा थे अभिनेता और गायक हंस राज हंस। यह फिल्म 1992 में रिलीज हुई थी और तब युवराज महज 11 साल के थे। विश्वास कीजिए, जब पहली बार युवराज पर बायोपिक की बात चली थी तो ये जिक्र भी हुआ था कि वे अपना रोल खुद निभा सकते हैं। कई स्टोरी हैं उनके सफर की जो सब जानना चाहेंगे।  

युवराज सिंह ने 2008 की एनिमेटेड फिल्म, जंबो में एक करेक्टर को अपनी आवाज दी थी। युवराज ने उस फिल्म में ही नहीं, एक-दो और फिल्म में भी चेहरा दिखाने वाले एक-दो मिनट के रोल किए पर उसके बाद अपने क्रिकेट करियर पर फोकस किया और फिल्म में काम बंद हो गया। बाद में कई फिल्म स्टार से उनकी दोस्ती खूब चर्चा में रही। आखिर में एक फिल्म स्टार हेजल कीच से शादी की।  

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उन पर बायोपिक में सबसे ज्यादा रूचि करण जौहर के प्रोडक्शन हाउस ने ली है और ये भी खबर है कि गली बॉय स्टार सिद्धांत चतुर्वेदी से युवराज की भूमिका किरदार निभाने के लिए बातचीत चल रही है। उनके चेहरे में युवराज की झलक मिलती है। युवी भी, इस रोल के लिए सिद्धांत चतुर्वेदी को एक अच्छा विकल्प मानते हैं।   
 

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