1999 वर्ल्ड कप का पूरा इतिहास, ऑस्ट्रेलिया ने फाइनल में पाकिस्तान को दी थी पटखनी

Updated: Fri, Sep 29 2023 15:20 IST
1999 वर्ल्ड कप का पूरा इतिहास, ऑस्ट्रेलिया ने फाइनल में पाकिस्तान को दी थी पटखनी (Image Source: Google)

1999 आईसीसी क्रिकेट वर्ल्ड कप अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) द्वारा आयोजित क्रिकेट वर्ल्ड कप का सातवां संस्करण था। इसकी मेजबानी मुख्य रूप से इंग्लैंड ने की थी लेकिन कुछ चुनिंदा मैच स्कॉटलैंड, आयरलैंड, वेल्स और नीदरलैंड में भी खेले गए थे। लंदन के लॉर्ड्स में खेले गए फाइनल में ऑस्ट्रेलिया ने पाकिस्तान को 8 विकेट से हराकर अपना दूसरा वर्ल्ड कप जीता था।

पहली बार 3 साल बाद हुआ वर्ल्ड कप

इस टूर्नामेंट की मेजबानी पिछले क्रिकेट वर्ल्ड कप के तीन साल बाद की गई थी। आमतौर पर वर्ल्ड कप का आयोजन हर 4 साल बाद किया जाता है लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ था जोकि कुछ हटकर था।

फॉर्मैट

इस वर्ल्ड कप में 12 टीमें शामिल थीं, जिन्होंने कुल 42 मैच खेले। ग्रुप चरण में, टीमों को छह-छह के दो ग्रुप्स में विभाजित किया गया था। हर टीम ने अपने ग्रुप की अन्य सभी टीमों से एक बार खेला। इसके बाद हर ग्रुप से शीर्ष तीन टीमें सुपर सिक्स में आगे बढ़ीं, जो 1999 वर्ल्ड कप के लिए एक नई अवधारणा थी। प्रत्येक टीम ने अपने ग्रुप की अन्य क्वालीफायर टीमों के खिलाफ मैच खेलकर अपने अंक आगे बढ़ाए और फिर दूसरे ग्रुप के हर क्वालीफायर से खेला। मतलब कि ग्रुप ए की हर टीम ने ग्रुप बी की हर क्वालीफायर टीम से खेला। इसके बाद सुपर सिक्स में से टॉप चार टीमें सेमीफाइनल में पहुंचीं।

योग्यता

1999 वर्ल्ड कप में 12 टीमें शामिल थीं, जो 1996 में पिछले संस्करण के समान था। मेजबान इंग्लैंड और आठ अन्य टेस्ट देशों ने वर्ल्ड कप के लिए स्वचालित योग्यता अर्जित की। शेष तीन स्थानों का निर्णय 1997 में मलेशिया में आईसीसी ट्रॉफी में किया गया था। आईसीसी ट्रॉफी के 1997 संस्करण में 22 देशों ने प्रतिस्पर्धा की। दो ग्रुप चरणों से गुजरने के बाद, सेमीफाइनल में केन्या और बांग्लादेश ने वर्ल्ड कप के लिए क्वालीफाई किया। स्कॉटलैंड क्वालिफाई करने वाला तीसरा देश था क्योंकि उसने तीसरे स्थान के प्लेऑफ़ में आयरलैंड को हराया था।

 

सफेद ड्यूक गेंद से खेला गया वर्ल्ड कप

इस वर्ल्ड कप में एक नए प्रकार की क्रिकेट गेंद, सफेद 'ड्यूक' का पहली बार इस्तेमाल किया गया। ब्रिटिश क्रिकेट बॉल्स लिमिटेड ने दावा किया कि गेंदों का व्यवहार पिछले वर्ल्ड कप में इस्तेमाल की गई गेंदों के समान ही था। प्रयोगों से पता चला कि वो गेंदें ज्यादा सख्त थीं और अधिक स्विंग करती थीं।

इंग्लैंड के बाहर भी खेले गए मैच

स्कॉटलैंड ने अपने ग्रुप बी के दो मैच अपने देश में खेले और इस तरह स्कॉटलैंड वर्ल्ड कप में मैचों की मेजबानी करने वाला पहला एसोसिएट देश भी बन गया। ग्रुप बी का एक मैच क्रमशः वेल्स और आयरलैंड में खेला गया, जबकि ग्रुप ए का एक मैच नीदरलैंड में खेला गया।

कुछ इस तरह थे 6-6 टीमों के ग्रुप

इस वर्ल्ड कप में बनाए गए ग्रुप ए में साउथ अफ्रीका, भारत, जिम्बाब्वे, इंग्लैंड, श्रीलंका और केन्या की टीमें थी जबकि ग्रुप बी में पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड, वेस्टइंडीज, बांग्लादेश और स्कॉटलैंड की टीमें थी।

इन 6 टीमों ने किया सुपर सिक्स के लिए क्वालिफाई

पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका, भारत, न्यूजीलैंड और जिम्बाब्वे ने सुपर सिक्स चरण के लिए क्वालीफाई किया। सुपर सिक्स में पहुंचने वाली पाकिस्तान, साउथ अफ्रीका, न्यूज़ीलैंड और जिम्बाब्वे ने सुपर सिक्स में पहुंचने वाली अपने-अपने ग्रुप की टीमों को ग्रुप स्टेज में हराया था इसलिए उनके वो पॉइंट्स भी कैरी फॉर्वॉर्ड हुए और अंक तालिका में जोड़े गए। भारत और ऑस्ट्रेलिया को अपने-अपने ग्रुप में सुपर सिक्स में पहुंचने वाली टीमों से हार का सामना करना पड़ा था और वो उन टीमों के खिलाफ जीतने में असफल रहे थे जिन्होंने सुपर सिक्स के लिए क्वालिफाई किया था इसलिए इन दोनों टीमों को कोई भी अंक नहीं मिला। 

सेमीफाइनल की कहानी

पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड और साउथ अफ्रीका ने बेहतर नेट रनरेट और कैरी फॉर्वर्ड पॉइंट्स की मदद से सेमीफाइनल के लिए क्वालिफाई कर लिया। जबकि जिम्बाब्वे नेट रनरेट के चलते सेमीफाइनल में नहीं पहुंच पाया। भारत को भी ग्रुप स्टेज में जिम्बाब्वे और साउथ अफ्रीका के खिलाफ हार का खामियाजा सुपर सिक्स में भुगतना पड़ा और वो सिर्फ 2 अंकों के साथ सबसे आखिरी पायदान पर रहे।

पहला सेमीफाइनल

पाकिस्तान और न्यूज़ीलैंड के बीच पहला सेमीफाइनल 16 जून, 1999 के दिन खेला गया। इस मैच में कीवी टीम ने निर्धारित 50 ओवरों में 7 विकेट के नुकसान पर 241 रन बनाए और पाकिस्तान के सामने जीत के लिए 242 रनों का लक्ष्य रखा। जवाब में पाकिस्तान ने इस लक्ष्य को मामूली साबित करते हुए सिर्फ 1 विकेट खोकर हासिल कर लिया और फाइनल का टिकट हासिल कर लिया। पाकिस्तान के लिए सेमीफाइनल में सईद अनवर ने 113 रनों की शतकीय पारी खेली जबकि शोएब अख्तर ने 10 ओवरों में 55 रन देकर 3 विकेट चटकाए और अख्तर को ही प्लेयर ऑफ द मैच भी दिया गया।

दूसरा सेमीफाइनल ( साउथ अफ्रीका को मिला चोकर्स का टैग)

ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका के बीच वर्ल्ड कप 1999 का दूसरा सेमीफाइनल खेला गया और ये वही मैच था जिसके बाद अफ्रीकी टीम को चोकर्स का टैग मिला।ऑस्ट्रेलिया ने साउथ अफ्रीका के सामने जीत के लिए 214 रन की चुनौती रखी थी और 48वें ओवर की समाप्ति तक मैच साउथ अफ्रीका के पाले में नजर आ रहा था। 175 रन पर अफ्रीकी टीम ने अपना छठा विकेट गंवाया और इसके बाद उनके लिए विकेटों की झड़ी ही लग गई। मार्क बाउचर और लांस क्लूजनर ने स्कोर को 7 विकेट पर 196 रन तक पहुंचाया और यहां से एक बार फिर अफ्रीकी टीम की जीत नजर आ रही थी लेकिन यहां से स्टीव वॉ ने ग्लेन मैक्ग्रा को गेंद थमाई और मैच पलट गया। मैक्ग्रा के एक ही ओवर में दो विकेट आ गए और ऑस्ट्रेलिया मैच जीतने की कगार पर पहुंच गया लेकिन लांस क्लूजनर ने अभी भी हार नहीं मानी थी और मैच के 49वें ओवर की  5वीं गेंद पर क्लूजनर ने छक्का जड़ दिया।

अब मैच का अंतिम ओवर डेमियन फ्लेमिंग डालने के लिए आए और क्लूजनर ने इस ओवर की पहली दो गेंदों पर 2 चौके जड़कर अफ्रीकी टीम को ड्राइविंग सीट पर पहुंचा दिया। अब यहां से जीत के लिए 4 गेंदों में सिर्फ 1 रन की जरूरत थी और ऑस्ट्रेलिया की बॉडी लैंगुएज से भी लग रहा था कि वो हार मान चुके हैं लेकिन अभी भी एक ट्विस्ट आना बाकी था। ओवर की तीसरी गेंद पर एलन डोनाल्ड नॉन स्ट्राइकर छोर पर रनआउट होने से बचे लेकिन चौथी गेंद पर वो ना बच पाए।क्लूजनर ने ओवर की चौथी बॉल पर वो गलती कर दी जो उन्हें आज भी याद आती होगी। क्लूज़नर ओवर की चौथी गेंद पर मिडऑफ की तरफ खेलते ही भाग गए लेकिन डोनाल्ड बीच रास्ते में ही रूक गए और ऑस्ट्रेलिया ने इस आसान से रनआउट को अंजाम देकर मैच टाई करवा दिया। इस टूर्नमेंट में ऑस्ट्रेलिया ने साउथ अफ्रीका को सुपरसिक्स राउंड में हराया था और उनका नेट रनरेट भी बेहतर था। इसी के चलते ऑस्ट्रेलिया ने फाइनल में जगह बना ली।

पाकिस्तान बनाम ऑस्ट्रेलिया फाइनल

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ऑस्ट्रेलिया ने फाइनल में पाकिस्तान को एकतरफा अंदाज़ में रौंदते हुए अपना दूसरा वर्ल्ड कप जीत लिया। पाकिस्तान की टीम इस मैच में पहले बल्लेबाजी करने उतरी और पूरी टीम 39 ओवरों में 132 रन बनाकर ऑलआउट हो गई। जवाब में ऑस्ट्रेलिया ने 20.2 ओवरों में सिर्फ 2 विकेट खोकर लक्ष्य को हासिल करके ट्रॉफी जीत ली। एडम गिलक्रिस्ट ने 36 गेंदों में 54 रनों की धुआंधार पारी खेली और टीम की जीत को आसान बना दिया। वहीं, गेंद से शेन वॉर्न ने कमाल दिखाते हुए 4 विकेट चटकाए।

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