1992 का टीम इंडिया का साउथ अफ्रीका टूर ऐतिहासिक था, सचिन तेंदुलकर के आउट होने को लेकर बना था इतिहास
ये स्टोरी आप पढ़ चुके हैं कि भारत और साउथ अफ्रीका के बीच क्रिकेट संबंध कैसे बने? इस संदर्भ में, 1992 में रंगभेद के बाद साउथ अफ्रीका का क्रिकेट टूर करने वाला भारत पहला देश बना। मोहम्मद अजहरुद्दीन की टीम वहां गई- ये ऐतिहासिक और अनोखा टूर था। मैचों मैं क्या हुआ- ये जिक्र तो कहीं भी मिल जाएगा पर पर्दे के पीछे की स्टोरी ख़ास हैं।
भारत और साउथ अफ्रीका के बीच पिछले संबंध को ध्यान में रखते हुए, इसे 'फ्रेंडशिप सीरीज' का नाम देना गलत नहीं था। क्रिकेट दो ऐसे देशों को आपस में जोड़ रहा था जिनके बीच पिछले कई साल से आपस में कोई संबंध था ही नहीं। टीम सीधे गई डरबन जो भारत के बाहर, सबसे ज्यादा भारतीय मूल के लोगों का शहर है और इसीलिए टीम का जबरदस्त स्वागत हुआ। टीम उस होटल एलांगी में ठहरी जो ऐसे इलाके में था जहां सिर्फ 6 महीने पहले तक सिर्फ गोरे जा सकते थे। भारतीय टीम ने उस समय के बड़े लीडर और साउथ अफ्रीका में आए सभी बदलाव के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा नेल्सन मंडेला से भी टूर के दौरान मुलाकात की। इस मुलाक़ात की अपनी अलग स्टोरी है।
क्रिकेट की बात करें तो मेहमान खेले तो साधारण क्रिकेट पर कई विवाद में शामिल रहे। यही निराशा रही कि मेहमान टीम ने वैसी टॉप क्रिकेट न खेली जिसकी उनसे उम्मीद की जा रही थी।इस सीरीज के साथ ही लाइन कॉल तय करने के लिए टेलीविजन रिप्ले देखने की शुरुआत हुई। सचिन तेंदुलकर टेलीविज़न अंपायर द्वारा रिप्ले देखने के बाद आउट दिए जाने वाले पहले बल्लेबाज बने। डरबन टेस्ट में ओपनर जिमी कुक को पहली ही गेंद पर कपिल देव ने आउट किया। एक और घटना में कपिल देव ने पीटर कर्स्टन को दो वार्निंग के बाद नॉन-स्ट्राइकर सिरे पर रन आउट कर दिया। इस पर बड़ा बवाल हुआ। इसके जवाब में वेसल्स ने रन लेते हुए जानबूझकर कपिल के टखने पर हिट किया। मामला मैच रेफरी क्लाइव लॉयड तक पहुंचा पर उन्हें सही/जरूरी टेलीविजन फुटेज ही नहीं दिखाई गई और वेसल्स बच गए।
भारत की टीम वहां थी ये जाने बिना कि साउथ अफ़्रीका में क्रिकेट खेलना क्या है- उनके खिलाड़ियों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। केप्लर वेसल्स कप्तान थे उनके और ऑस्ट्रेलिया के लिए इंटरनेशनल क्रिकेट खेल चुके थे। एलन डोनाल्ड की गेंद की तेजी ने भारत के बल्लेबाजों को झटका दिया। उनके ग्राउंड, परिस्थितियों और पिच के मिजाज की पहले से कोई जानकारी नहीं थी। उस पर ग्राउंड से बाहर के मसलों में मदद के लिए कोई सरकारी सहयोग नहीं था क्योंकि तब तक भारत ने वहां अपनी एम्बेसी शुरू नहीं की थी। भारत दोनों सीरीज़ हार गया- टेस्ट 0-1 से और 2-5 से। साउथ अफ्रीका बेहतर टीम थी।
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सोने पर सुहागा ये कि टीम के रवाना होने से पहले बीसीसीआई ने भी ऐसा कोई इंतजाम नहीं किया कि कोई खिलाड़ियों को वहां की क्रिकेट के बारे में सही जानकारी दे दें। यहां तक कि टीम के लिए कोई कंडीशनिंग कैंप नहीं लगाया यानि कि अलग-अलग शहर से खिलाड़ी मुंबई में इकट्ठे हुए और वहीं से फ्लाइट ले ली। तब टीम के साथ कोई कोच भी नहीं होता था। सारा भार टीम मैनेजर पर आता था और उनकी ड्यूटी का कोई दायरा नहीं था। सीरीज की प्लेइंग कंडीशंस तक टीम के वहां पहुंच जाने के बाद तय हुईं- स्पष्ट है जितना ख़ास ये टूर था उतनी ही बेकार तैयारी के साथ टीम इंडिया वहां गई। इस तरह वहां के भारतीय मूल के लोगों को मेहमान टीम के हारने से बड़ी निराशा हुई।