क्यों लगाया श्रीलंका में कोर्ट ने वर्ल्ड कप विजेता कप्तान अर्जुन रणतुंगा पर 70 हजार डॉलर का जुर्माना?
श्रीलंका से एक नई खबर : श्रीलंका क्रिकेट के भूतपूर्व चीफ थिलंगा सुमतिपाला जीत गए अर्जुन रणतुंगा के विरुद्ध कोर्ट केस और कोर्ट ने रणतुंगा को 70,000 डॉलर का भुगतान करने का आदेश दिया। ऐसा नहीं है कि ये क्रिकेट में पहला मान-हानि का केस है। केस बहुत से हुए हैं पर इतने लंबे नहीं खिंचते कि कोर्ट के फैसला सुनाने की नौबत आए। ये ऐसा केस है जो बेहद पुराना तो है ही- कोई भी पार्टी 'समझौते' के लिए तैयार नहीं थी। इतना ही नहीं, बाद की घटनाएं केस को और उलझाती चली गईं। अर्जुन रणतुंगा इस आदेश के विरुद्ध हायर कोर्ट में अपील कर सकते हैं। ये केस भारत में इसलिए ध्यान देने वाला है क्योंकि इसके तार भारत से जुड़ते हैं। क्या है ये केस?
सबसे पहले परिचय दोनों पार्टी का।
अर्जुन रणतुंगा : 93 टेस्ट और 269 वनडे इंटरनेशनल खेलने से भी बड़ा रिकॉर्ड उनके नाम पर ये है कि वे 1996 के 50 ओवर क्रिकेट वर्ल्ड कप विजेता कप्तान हैं। 1999 वर्ल्ड कप में भी वही कप्तान थे पर श्रीलंका पहले ही राउंड में बाहर हो गया। क्रिकेट से रिटायर होने के बाद राजनीति में आ गए। अलग-अलग सरकार में मिनिस्टर भी बने। पार्लियामेंट का इलेक्शन जीत गए पर श्रीलंका क्रिकेट पर एडमिनिस्ट्रेटर के नाते कंट्रोल की उनकी हसरत, बार-बार की कोशिश के बावजूद, अधूरी रह गई। इसकी सबसे बड़ी वजह हैं यही तिलंगा सुमतिपाला।
थिलंगा सुमतिपाला : श्रीलंका क्रिकेट के इतिहास के सबसे प्रभावशाली और विवादास्पद अधिकारियों में से एक और राणातुंगा परिवार (क्रिकेट में 4 भाई और एक का बेटा) से उनका टकराव सालों पुराना है। बड़े अमीर व्यापारी हैं।
असल में जब रणतुंगा खेलते थे तब भी बोर्ड से उनका उलझना कोई बड़ी बात नहीं थी। उनके रिटायर होने के बाद समीकरण बदला और खुले आम टकराव था दोनों के बीच। ये वे साल थे जब क्रिकेट बुरी तरह सट्टेबाजी की गिरफ्त में था और हर देश में खिलाड़ियों के भी नाम मैच फिक्सिंग में आ रहे थे। केस बना 2003 की एक स्टेटमेंट से। अर्जुन रणतुंगा ने कहा था कि थिलंगा सुमतिपाला भ्रष्ट थे और देश के क्रिकेट बोर्ड को चलाने के लिए अनफिट।
श्रीलंका तो क्रिकेट में वह देश है जहां खुले आम कप्तान/बोर्ड चीफ और खिलाड़ियों पर आरोप लगे और संसद में कई बार ऐसे मामलों की चर्चा हुई। यहां तक कि एक मामले में आईसीसी ने श्रीलंका क्रिकेट पर प्रतिबंध तक लगाया। उसी श्रीलका में, जब एक कप्तान ने बोर्ड चीफ पर आरोप लगाए तो हंगामा हो गया। अर्जुन रणतुंगा ने कहा था कि थिलंगा सुमतिपाला गैंबलिंग में शामिल हैं। थिलंगा सुमतिपाला ने ये तो माना कि उनका परिवार गैंबलिंग व्यापार में है पर इससे उनका कोई लेना-देना नहीं। सुमतिपाला जवाब में रणतुंगा के अपने आचरण पर सवाल उठाते रहे और टीम के 1999 में वर्ल्ड कप का बचाव न कर पाने के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया।
2005 में तो इसी आपसी अनबन के चलते कोर्ट ने श्रीलंका क्रिकेट को ही ससपेंड कर दिया था। हालत ये थी कि श्रीलंका के राष्ट्रपति चंद्रा कुमारतुंगा ने क्रिकेट बोर्ड संकट पर फौरन रिपोर्ट की मांग की। सुमतिपाला पर तरह-तरह के खर्चे के आरोप लगे और यहां तक कहा गया कि उनकी खराब मैनेजमेंट से बोर्ड को एक साल में 3.3 मिलियन डॉलर का भारी नुकसान हुआ। इस तरह, पहले तो मामला श्रीलंका में अंदरूनी लड़ाई था और सब जानते थे श्रीलंका क्रिकेट के ऑफिस पर कंट्रोल की लड़ाई है पर मामला तब बिगड़ा जब अर्जुन रणतुंगा ने 2011 वर्ल्ड कप फाइनल में भारत से हारने वाली श्रीलंकाई टीम की 'ईमानदारी' पर शक जाहिर कर दिया- खिलाड़ियों पर सीधे आरोप नहीं लगाया।
अगस्त, 2017 में अर्जुन रणतुंगा ने बोर्ड चीफ पर और नई हार का आरोप लगा दिया। तब भारत की टीम श्रीलंका टूर पर थी। पहला टेस्ट- भारत की 304 रन से जीत। दूसरा टेस्ट- भारत की पारी और 53 रन से जीत। आरोप लगे इन दो टेस्ट के बाद पर तीसरे टेस्ट में भी श्रीलंका टीम पारी और 171 रन के बड़े अंतर से हारी। रणतुंगा ने फिर से थिलंगा सुमतिपाला पर गैंबलिंग में शामिल होने का आरोप लगाया और आईसीसी से उनकी जांच की मांग की। ये भी कह दिया कि वे जानते हैं कि आईसीसी में ऐसी जांच करने का दम नहीं है।
तब उन्होंने फिर से 2011 वर्ल्ड कप फाइनल में भारत से मिली हार की जांच की मांग उठा दी। उस 2011 वर्ल्ड कप फाइनल के समय वे कमेंट्री कर रहे थे भारत में। श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवरों में 274/6 का स्कोर बनाया और जब सुपरस्टार सचिन तेंदुलकर 18 रन पर कैच आउट हो गए तो मैच श्रीलंका के कंट्रोल में था। उनका कहना है- श्रीलंका ने खराब फील्डिंग और गेंदबाजी से भारत को हावी होने का मौका दे दिया। यहां तक कहा- उनके साथ कमेंट्री बॉक्स में कपिल देव थे और दोनों ये देख कर हैरान थे कि क्या हो रहा है?
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अर्जुन रणतुंगा की बात करते हुए उन पर लगे एक और आरोप का जिक्र जरूरी है। भले ही वे ढेरों टेस्ट और वनडे खेले पर उनके मोटापे वाले शरीर को देख कर कहते थे कि वे फिट नहीं। ये आरोप सुन कर वे बहुत भड़कते थे। एक इंटरव्यू में बोले- 'बहुत सारे लोग फिट बॉडी और सिक्स पैक के बारे में बात करते हैं। ये देखोगे तो मॉडल मिलेंगे- क्रिकेटर नहीं। मैं तो कहता हूं कि 15 मॉडल चुनो और उन्हें क्रिकेट खेलने के लिए कहो! ये बड़ा गलत है कि जो क्रिकेट जानते नहीं- वे ऐसा कहते हैं। अगर ऐसे देखो तो दलीप मेंडिस, गुंडप्पा विश्वनाथ, माइक गैटिंग और कॉलिन काउड्रे जैसों को तो खेलना ही नहीं चाहिए था।'