सचिन एंड कंपनी के पास सिर्फ 1 साल बचा है, यह दुख की बात
नई दिल्ली, 14 मई - क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) के सदस्य रहते हुए इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) फ्रेंचाइजी के मेंटॉर पद को स्वीकर करने को लेकर उठे हितों के टकराव विवाद के कारण सचिन तेंदुलकर, वीवीएस. लक्ष्मण मंगलवार को...
नई दिल्ली, 14 मई - क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) के सदस्य रहते हुए इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) फ्रेंचाइजी के मेंटॉर पद को स्वीकर करने को लेकर उठे हितों के टकराव विवाद के कारण सचिन तेंदुलकर, वीवीएस. लक्ष्मण मंगलवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के लोकपाल डी.के. जैन के सामने पेश हुए।
बहुत से लोगों को लगता है यह पता नहीं है कि बोर्ड के नए संविधान के अस्तित्व में आने के बाद सचिन, लक्ष्मण और सौरभ गांगुली बोर्ड की किसी भी समिति का हिस्सा बनने के लिए उपलब्ध नहीं रहेंगे।
इसका मतलब है कि इन तीनों खिलाड़ियों की सेवाएं पूरी तरह से नहीं ली गईं क्योंकि इन तीनों को सिर्फ भारतीय टीम का मुख्य कोच चुनने के लिए ही नियुक्त किया गया। इन तीनों की सीएसी ने 2016 और 2017 में भारतीय टीम का कोच नियुक्त किया था। यहां तक की प्रशासकों की समिति (सीओए) ने महिला टीम के मुख्य कोच को निुयक्त करने को लेकर इन तीनों को ज्यादा समय भी नहीं दिया था।
बीसीसीआई के सीनियर अधिकारी ने आईएएनएस से बात करते हुए बताया कि किस तरह बोर्ड ने भारतीय क्रिकेट के तीन दिग्गजों की सेवाओं को जाया कर दिया।
अधिकारी ने कहा, "यह बेहद दुख की बात है। मौजूदा हालात में तीनों को लोकपाल के सामने जाने को मजबूर कर दिया जहां सीओए लोकपाल से कह सके कि यह तीनों 'साफ तौर से' हितों के टकराव के मुद्दे में घिरे हैं। सीओए ने भारतीय क्रिकेट के इन तीन दिग्गजों की सेवाओं को पूरी तरह से उपयोग भी नहीं किया।"
अधिकारी ने कहा, "नए संविधान के मुताबिक यह तीनों पांच साल के बाद किसी भी समिति का हिस्सा नहीं हो सकते और यह नियम 2020 के बाद इन्हें बाहर कर देगा। क्या बोर्ड में जो तंत्र पेशेवर तरीके से काम कर रहा है उसे पता है कि उन्हें क्या खोया है? उन्होंने इन तीनों को महिला टीम का कोच नियुक्त करने के लिए पर्याप्त समय भी नहीं दिया। कम देखना बड़ी बीमारी है।"
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