Cricket Tales - श्रीलंका में अंदरूनी कलह में जो हो रहा- सभी जानते हैं। क्रिकेटर भी चुप नहीं रहे। ऑस्ट्रेलिया टीम की हिम्मत की तारीफ़ करनी होगी कि इस माहौल में भी वे टेस्ट खेले। स्टीव स्मिथ ने गाले में प्रदर्शन पर लिखा भी- ग्राउंड में क्रिकेट चल रही थी और हजारों प्रदर्शनकारी गाले इंटरनेशनल स्टेडियम के सामने फोर्ट की दीवारों पर थे। किसी ने, किसी क्रिकेटर को नुकसान पहुंचाने या खेल रोकने की कोशिश नहीं की। अब पाकिस्तान की टीम खेल रही है वहां।
क्या आपने नोट किया कि श्रीलंका में खराब आर्थिक स्थिति के विरोध में श्रीलंका के क्रिकेट दिग्गज महेला जयवर्धने, कुमार संगकारा, सनथ जयसूर्या, मारवन अट्टापट्टू और रोशन महानामा भी बोले पर मौजूदा क्रिकेटरों में से कोई कुछ नहीं बोला- सब चुप हैं। शायद बोर्ड का कॉन्ट्रैक्ट उन्हें इसकी इजाजत नहीं देता। हर कोई ऐसे चुप नहीं रहता। इन हालात ने सीधे उस समय की याद ताजा करा दी जब दुनिया के नक़्शे पर पूर्वी पाकिस्तान मौजूद था- यही आज का बांग्लादेश है। वहां विरोध की लहर, राजनीतिक रंग ले रही थी तो जहां एक ओर इस्लामाबाद ने सेना की मदद ली- वहीं विश्वास कीजिए क्रिकेट का भी इस्तेमाल किया।
1970 में एक तरफ गृहयुद्ध का माहौल तो दूसरी तरफ पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने अपना पूरा ध्यान पूर्वी पाकिस्तान में क्रिकेट पर लगा दिया। एक नए अंडर-19 टूर्नामेंट की शुरुआत की- इसमें तीन पूर्वी पाकिस्तान टीमें शामिल थीं। इतना ही नहीं, धधकते युद्ध के माहौल के बावजूद, सरे और इंग्लैंड के मिकी स्टुअर्ट की कप्तानी में टूर पर आई इंटरनेशनल इलेवन को ढाका में खेलने पर राजी कर लिया।