मेडल से चूकीं बर्थडे गर्ल मीराबाई चानू, 'डिड नॉट फिनिश' से चैंपियन बनने की कहानी
Saikhom Mirabai Chanu: भारतीय वेटलिफ्टर मीराबाई चानू और भारतीय हॉकी टीम के पूर्व सदस्य बलबीर सिंह खुल्लर का आज (8 अगस्त) जन्मदिन है। दिवंगत बलबीर सिंह एक भारतीय फील्ड हॉकी खिलाड़ी और पंजाब पुलिस अधिकारी थे। हॉकी इतिहास में उनके नाम कई उपलब्धियां दर्ज हैं, दूसरी ओर भारतीय वेटलिफ्टर मीराबाई आज (8 अगस्त) 30 साल की हो गई हैं। भारत की अब तक की सर्वश्रेष्ठ वेटलिफ्टर में से एक मीराबाई के पास बर्थडे पर पेरिस ओलंपिक में इतिहास रचने का मौका था लेकिन वो चूक गई और चौथे स्थान पर रहीं।
Saikhom Mirabai Chanu: भारतीय वेटलिफ्टर मीराबाई चानू और भारतीय हॉकी टीम के पूर्व सदस्य बलबीर सिंह खुल्लर का आज (8 अगस्त) जन्मदिन है। दिवंगत बलबीर सिंह एक भारतीय फील्ड हॉकी खिलाड़ी और पंजाब पुलिस अधिकारी थे। हॉकी इतिहास में उनके नाम कई उपलब्धियां दर्ज हैं, दूसरी ओर भारतीय वेटलिफ्टर मीराबाई आज (8 अगस्त) 30 साल की हो गई हैं। भारत की अब तक की सर्वश्रेष्ठ वेटलिफ्टर में से एक मीराबाई के पास बर्थडे पर पेरिस ओलंपिक में इतिहास रचने का मौका था लेकिन वो चूक गई और चौथे स्थान पर रहीं।
उनकी हार जरूर हुई है, मगर उन्होंने अपना बेस्ट दिया और इंजरी से वापसी करते हुए शानदार प्रदर्शन किया और मात्र एक किलोग्राम कम वजन उठाने के कारण पोडियम फिनिश नहीं कर सकीं।
मीराबाई चानू ने अपने शानदार प्रदर्शन के जरिए भारतीय वेटलिफ्टिंग को एक अलग मुकाम पर पहुंचाया है। चानू ने भारत का प्रतिनिधित्व कई मौकों पर किया है। एशियाई चैंपियनशिप, राष्ट्रमंडल खेलों और ओलंपिक में पदक जीते हैं। मणिपुर में जन्मी इस एथलीट ने भारतीय खेलों को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अभूतपूर्व ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मदद की है, जिसमें सबसे खास टोक्यो ओलंपिक में सिल्वर मेडल जीतना है।
मीरा के 'डिड नॉट फिनिश' से चैंपियन बनने की कहानी बड़ी दिलचस्प है। 2016 रियो ओलंपिक से ओलंपिक चैंपियन बनने तक की उनकी कहानी प्रेणादायक है। एक खिलाड़ी हार का दुख तो झेल लेता है लेकिन जब उसके नाम के सामने 'डिड नॉट फिनिश' का टैग लगता है, तो वो अंदर से टूट जाता है।
ऐसा ही कुछ 2016 रियो ओलंपिक में चानू के साथ हुआ जब वह भार नहीं उठा पाई थीं, तब उनके नाम के आगे 'डिड नॉट फिनिश' लिखा गया था। किसी प्लेयर का मेडल की रेस में पिछड़ जाना अलग बात है और क्वालिफाई ही नहीं कर पाना दूसरी। इस टैग ने मीरा का मनोबल तोड़ दिया था।
मगर किसको पता था कि मीराबाई चानू भी झांसी की रानी लक्ष्मीबाई जैसे मजबूत इरादे रखने वाली शख्सियत हैं। हालांकि, इस हार से वे डिप्रैशन में गईं और उन्हें साइकेट्रिस्ट का सहारा भी लेना पड़ा। मगर उनकी वापसी दमदार रही।
चानू भारत की तरफ से वेटलिफ्टिंग में ओलंपिक सिल्वर मेडल जीतने वाली पहली महिला हैं। साल 2018 और 2022 कॉमनवेल्थ गेम्स में भी उनका जलवा देखने को मिला था। उन्होंने यहां बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 49 किग्रा भारवर्ग में गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। इससे पहले और बाद में भी उनके नाम कई अन्य मेडल हैं, जहां उन्होंने पूरी दुनिया में अपनी छाप छोड़ी थी।
मणिपुर से ताल्लुक रखने वाली मीराबाई चानू का जन्म 8 अगस्त साल 1994 को भारत के उत्तर पूर्वी राज्य मणिपुर की राजधानी इंफाल में हुआ था। वो एक मध्य वर्ग परिवार से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने पद्म श्री और खेल रत्न पुरस्कार भी जीते हैं। चानू की बचपन से ही भारोत्तोलन में रूचि रही है। जब वह महज 12 साल की थीं। तब से उन्होंने भार उठाना शुरू कर दिया था। शुरुआती दौर में वह लकड़ियों के गठ्ठर से अभ्यास किया करती थीं।
ये तो हो गई मीराबाई चानू की बात लेकिन क्या आपको पता है 8 अगस्त को ही भारतीय हॉकी के दिग्गज बलबीर सिंह खुल्लर का भी जन्मदिन होता है। वो अब इस दुनिया में नहीं रहे हैं, लेकिन भारतीय हॉकी में उनका योगदान आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है।
भारतीय हॉकी टीम के पूर्व सदस्य बलबीर सिंह खुल्लर मेक्सिको सिटी में 1968 में आयोजित ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य थे। खुल्लर का जन्म 8 अगस्त, 1942 को पंजाब के जालंधर जिले के संसारपुर गांव में हुआ था। 1963 में फ्रांस के लियोन में खुल्लर ने भारत के लिए डेब्यू किया था। वह अपने इंटरनेशनल करियर के दौरान फारवर्ड पोजीशन पर खेले। काफी छोटी उम्र से ही उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया था और अपने करियर के दौरान कई मुकाम हासिल किए।
ये तो हो गई मीराबाई चानू की बात लेकिन क्या आपको पता है 8 अगस्त को ही भारतीय हॉकी के दिग्गज बलबीर सिंह खुल्लर का भी जन्मदिन होता है। वो अब इस दुनिया में नहीं रहे हैं, लेकिन भारतीय हॉकी में उनका योगदान आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है।
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Article Source: IANS