विजय हजारे की कप्तानी में 20 साल बाद हासिल हुई थी पहली जीत, कुछ ऐसा रहा था इस महान खिलाड़ी का सफर
1932 में इंटरनेशनल क्रिकेट का शुभारंभ करने वाली भारतीय टीम को अपनी पहली जीत हासिल करने के लिए 20 साल लंबा इंतजार करना पड़ा। 1952 को मद्रास टेस्ट में इंग्लैंड को मात देकर भारत ने क्रिकेट में पहली जीत का स्वाद चखा। वैसे तो इस मैच में कई खिलाड़ियों ने मैच विनिंग प्रदर्शन किया लेकिन जीत के असली हीरो रहे टीम के कप्तान विजय हजारे रहे। जिनकी शानदार नेतृत्व क्षमता के चलते टीम ने यह एतेहासिक जीत दर्ज करी थी।
विजय हजारे का जन्म 11 मार्च 1915 में महाराष्ट्र के संगली में हुआ था। विजय सैम्युल हजारे ने टेस्ट क्रिकेट में अपने करियर की शुरूआत इंग्लैंड के खिलाफ 22 जून 1946 को लॉर्ड्स के एतिहासिक मैदान पर किया।
अपने पहले ही टेस्ट मैच में हजारे ने अपनी बल्लेबाजी का जौहर दिखाते हुए 65 रन की पारी खेली। बल्लेबाजी के अलावा हजारे मध्यम गति के गेंदबाज भी थे। इंग्लैंड के खिलाफ 65 रन की पारी खेलने के साथ हजारे ने गेंदबाजी में 2 विकेट झटक कर साबित कर दिया कि आने वाले समय में भारतीय क्रिकेट टीम नया अध्याय लिखेगी।
फर्स्ट क्लास क्रिकेट में हजारे ने अपनी बल्लेबाजी के रिकॉर्ड से अपनी अमीट छाप छोड़ी है । फर्स्ट क्लास क्रिकेट में हजारे पहले बल्लेबाज थे जिन्होंने तिहरा शतक लगाया तो 50 बार सैकड़ा जमाने का रिक़ॉर्ड भी हजारे के ही नाम है। इतना ही नहीं जब विजय हजारे ने इंटरनेशनल क्रिकेट में खेलना शुरू किया तो उन्होंने भारत के लिए क्रिकेट खेलते हुए अपने नाम को अमर कर लिया। हजारे भारत के तरफ से ऐसे पहले खिलाडी हैं जिन्होंने एक टेस्ट मैच की दोनों पारियों में शतक जड़ा है। हजारे ने 23 जनवरी 1948 को एडिलेड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट मैच में हजारे ने क्रमश: 116 और 145 रन की एतेहासिक पारी खेली थी ।सन् 1951- 1953 के दौरान हजारे ने कुल 14 टेस्ट मैचों में भारत के लिए कप्तानी भी की।
10 फरवरी 1952 का वह दिन था जब विजय हजारे ने भारतीय क्रिकेट को एक नई सुबह का दीदार कराया। इंग्लैंड के खिलाफ मद्रास टेस्ट मैच में भारत ने इंग्लैंड के ऊपर एक पारी सहित 8 रन की जीत हासिल कर इतिहास रच दिया था। विजय हजारे ने उस यादगार मैच में 20 रन बनाएं थे तो गेंदबाजी में 15 रन देकर 1 विकेट भी चटकाए । भारतीय टीम को टेस्ट क्रिकेट में अपनी पहली जीत 25वें टेस्ट में मिली थी। साथ ही 20 साल बाद भारत को टेस्ट स्टेट्स मिला।
28 मार्च 1953 को किंग्सटन में वेस्टइंडीज के खिलाफ विजय हजारे ने अपना अंतिम टेस्ट खेला था। अपने अंतिम मैच में विजय हजारे ने 28 रन बनाएं तो वहीं गेंदबाजी करते हुए कोई विकेट नहीं ले पाए थे।
विजय हजारे ने टेस्ट करियर में 30 टेस्ट मैचों 47.65 की शानदार औसत से 2,192 रन बनाए जिसमें 7 शतक औऱ 9 अर्धशतक शामिल थे । सर्वाधिक स्कोर हजारे का 164 नॉट आउट रहा तो गेंदबाजी में विजय हजारे ने 20 विकेट चटकाए थे। विजय हजारे ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में 238 मैच खेलकर 18,740 रन बनाए तो सर्वश्रेष्ठ स्कोर 316 नॉट आउट रहा। गेंदबाजी में 595 फर्स्ट क्लास विकेट अपने खाते में डाले थे।
रिटायरमेंट के बाद विजय हजारे भारतीय क्रिकेट टीम के चयनकर्ता के रूप में कई सालों तक अपनी सेवाएं दी। विजय हजारे और जसू पटेल पहले भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी थे जिन्हें “पद्म श्री” अवार्ड से नवाजा गया था।
विजय हजारे के नाम पर ही भारत में घरेलू क्रिकेट में टूर्नामेंट की शुरूआत की गई जिसका नाम विजय हजारे ट्रॉफी है। लंबे समय तक कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ने के बाद 18 दिसंबर 2004 को बड़ोदरा में उनकी जीवन की पारी का अंत हो गया था।