जब पाकिस्तान के टेस्ट कप्तान को होटल के कमरे में नजरबंद कर दिया था, पासपोर्ट और पैसे भी छीने फिर करियर किया खत्म 

Updated: Mon, Apr 15 2024 10:31 IST
जब पाकिस्तान के टेस्ट कप्तान को होटल के कमरे में नजरबंद कर दिया था, पासपोर्ट और पैसे भी छीने फिर करि (Image Source: Twitter)

पाकिस्तान के पूर्व टेस्ट कप्तान सईद अहमद के 86 साल की उम्र में इंतकाल के बाद (बीमार थे) हैरानी है कि पाकिस्तान में भी इस खबर की कोई ख़ास चर्चा नहीं हुई। पाकिस्तान बोर्ड ने उन्हें श्रद्धांजलि दी पर इससे ज्यादा कुछ नहीं हुआ। ऐसा होने की कई वजह हैं जिनमें उनकी अच्छी क्रिकेट से ज्यादा, उनके विवाद, झगड़े, टीम में बगावत और पाकिस्तान टीम में धर्म की एंट्री सबसे ख़ास हैं। 1958 से 1973 के बीच 41 टेस्ट खेले- 40.41 औसत से 2991 रन, 5 शतक और 22 विकेट। उस दौर के पाकिस्तान के सबसे बेहतरीन बल्लेबाज में से एक थे और सिर्फ 20 पारी में 1000 टेस्ट रन बनाए- उस समय पाकिस्तान रिकॉर्ड था ये।

 

जब 1957-58 में वेस्टइंडीज टूर में हनीफ मोहम्मद ने 337 रन बनाए थे तो उस पारी में लगभग 20 साल के सईद ने उनके साथ पार्टनरशिप में तीसरे विकेट के लिए 154 रन जोड़े थे। पाकिस्तान का कप्तान बनने का सपना था और इसी चाह में वे सबसे विवादास्पद खिलाड़ियों में से एक बन गए। बोर्ड ने 1969 के इंग्लैंड टूर के लिए कप्तान तो बनाया पर सीरीज में कोई टेस्ट न हारने के बावजूद कप्तानी से हटा दिया। इसी गुस्से में विवाद उनके नाम के जुड़ते रहे। कीमत उनके साथ-साथ परिवार और टेस्ट क्रिकेटर सौतेले भाई (यूनिस अहमद) ने भी चुकाई। ये सभी क्रिकेट की हैरान करने वाली स्टोरी हैं। दो बार बोर्ड ने 'लाइफ बैन' लगाया। 

जब 1969 में उन्हें हटाकर इंतखाब आलम को कप्तान बना दिया तो वे गुस्से में खेलना रोक कर इंग्लैंड चले गए और वहां नाइट लाइफ़ में खूब एक्टिव रहे- कई स्टोरी हैं इसकी। तब भी बोर्ड ने 1971 के इंग्लैंड टूर की टीम में चुन लिया। पाकिस्तान सीरीज हार गया तो उन्हें लगा कि फिर से कप्तान बन जाएंगे पर ऐसा हुआ नहीं। 

सबसे आख़िरी टेस्ट सीरीज 1972-73 में ऑस्ट्रेलिया में रही। मेलबर्न टेस्ट के दौरान टॉप तेज गेंदबाज डेनिस लिली से झड़प हो गई। लिली ने गुस्से में उन पर बाउंसर फेंके। इस से डर गए और उस पर, सिडनी टेस्ट से एक दिन पहले उनसे कहा गया कि वन-डाउन पोजीशन पर खेलेंगे। सईद ने इनकार कर दिया पर कप्तान इंतखाब नहीं माने। इसके बाद जब सईद ने सिडनी में ग्रीन टॉप पिच को देखा तो बात और बिगड़ गई और आरोप है कि खेलने से बचने के लिए, पीठ में दर्द का नाटक किया और टीम से बाहर हो गए। गड़बड़ ये हुई कि उसी रात सिडनी में एक नाइट क्लब में डांस और मौज-मस्ती करते रहे और ये टीम मैनेजमेंट को पता चल गया। 

इसके बाद जो हुआ- उसकी शायद क्रिकेट इतिहास में कोई मिसाल नहीं मिलेगी। इसी को आगे बढ़ाते हैं। टूर के बीच से किसी भी खिलाड़ी को वापस भेज दिए जाने से बड़ा डिसिप्लिनरी एक्शन और कोई नहीं हो सकता। टीम मैनेजमेंट ने जब बोर्ड को उनके फिटनेस के झूठ और नाइट क्लब में मौज-मस्ती की शिकायत भेजी तो वहीं से डिसिप्लिनरी एक्शन शुरू हो गया। बोर्ड ने इस खबर को छिपाए रखा पर ये लीक हो गई और मालूम हो गया कि उन्हें टूर के बीच से वापस भेजने का इंतजाम किया जा रहा है। 

जो इस घटना के बारे में उस दौर की कुछ पाकिस्तानी अख़बारों ने लिखा उसकी पुष्टि सईद के परिवार को जानने वाली पाकिस्तानी लेखिका सलमा अहमद ने अपनी किताब 'कटिंग फ्री : द एक्सट्राऑर्डिनरी मेमोयर ऑफ ए पाकिस्तानी वुमन (Cutting Free: The Extraordinary Memoir of a Pakistani Woman) में पुष्टि की है। इन सलमा ने जमीन-आसमान एक कर दिया उस एक्शन को रोकने के लिए जो सईद को बर्बाद करने के लिए लिया जा रहा था। वे तब के एजुकेशन मिनिस्टर हफीज पीरजादा से मिलीं ताकि सईद को वापस भेजना रोक दिया जाए पर पीपीपी के तब के प्रभावशाली मिनिस्टर अब्दुल हफीज कारदार (पाकिस्तान के भूतपूर्व कप्तान और जो खुद सईद से सबसे ज्यादा नफरत करते थे) ने एक न सुनी। सईद को होटल के कमरे में नजरबंद कर दिया, उनका पासपोर्ट और पैसा छीन लिया। कारदार खुद जज बन गए और उन्होंने सईद की बर्बादी तय कर ली थी। अब उस पर एक्शन हो रहा था। इसलिए पीरजादा भी कुछ न कर पाए। 

कराची वापस पहुंचने पहले ही सईद 'खत्म' हो चुके थे- बिलकुल चुपचाप, कोई गुस्सा नहीं और कोई हंसी नहीं। 5 दिन तक जिस बेज्जती के साथ होटल के कमरे में बंद रहे- उसने उन्हें बर्बाद कर दिया। वे टूट गए। फिर भी कुछ जानकारों के कहने पर सब बताने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुला ली लेकिन इतनी हिम्मत न थी कि सवालों के जवाब देते- इसलिए तय हुआ कि एक स्टेटमेंट रिलीज कर देंगे। बिल्कुल आख़िरी मिनट पर पीरजादा ने उस स्टेटमेंट से सब कटवा दिया और चेतावनी दी कि कारदार के विरुद्ध कुछ भी बोले तो जो बचा-खुचा है, वह उसे भी बर्बाद कर देंगे। कोई सईद के समर्थन में आगे न आया। सब जानते थे कि एक घटना को फिजूल में बड़ा बना दिया पर कोई कुछ न बोला। सईद डिप्रेशन में चले गए। 

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क्रिकेट से रिटायर हो गए। क्रिकेट से तो दूर ही हो गए- क्रिकेट से कोई नाता भी नहीं रखा। लगभग 25 साल कहीं दिखाई नहीं दिए। इस दौर में पहले शराब थी पर बाद में धर्म की राह पकड़ ली और तब्लीगी जमात से जुड़ कर उनके प्रचारक बन गए। अब सामने आए एक प्रचारक के तौर पर। सईद अहमद ही धर्म को पाकिस्तान टीम के ड्रेसिंग रूम में ले आए और उनकी बातों को सुन कर ही, उनकी तरह सईद अनवर, मुश्ताक मौहम्मद, सकलेन मुश्ताक और इंजमाम सहित कई क्रिकेटरों ने दाढ़ी बढ़ा ली। पाकितान टीम के खिलाड़ी ड्रेसिंग रूम में भी धार्मिक हो गए। उनके सौतेले भाई यूनिस अहमद बड़ी मुश्किल से 4 ही टेस्ट खेल पाए। उनका करियर भी विवाद की बेमिसाल स्टोरी है।
 

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