Cricket Tales : जब टी20 वर्ल्ड कप 2007 में पाकिस्तान को पहले आपसी मुकाबले में भारत ने अजीब और अद्भुत 'बाउल-आउट' से हराया था

Updated: Wed, Oct 19 2022 06:37 IST
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Cricket Tales - जब T20 World Cup 2007 में पाकिस्तान को पहले आपसी मुकाबले में भारत ने अजीब और अद्भुत 'बाउल-आउट' से हराया था।

2007 T20 World Cup Flashback : महेंद्र सिंह धोनी की टीम इंडिया ने फाइनल में पाकिस्तान को हराकर पहला टी20 वर्ल्ड कप जीता। इस सफर में, जो रोमांचक मैच इतिहास का हिस्सा बने उनमें से एशियाई प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के साथ ग्रुप स्टेज का मैच गजब का थ्रिलर था- भारत ने इसे जीता जो आसान नहीं था। उस मैच में एक अनोखी बात हुई जिसने इसे यादगार बना दिया।

भारत ने पहले बल्लेबाजी की। गौतम गंभीर और वीरेंद्र सहवाग के जल्दी आउट होने के बाद रॉबिन उथप्पा ने 39 गेंद पर 50 बनाए। धोनी ने 33 रन बनाए और आख़िरी स्कोर 141-9 था। आसिफ ने 4 विकेट लिए। जवाब में, पाकिस्तान ने मिस्बाह-उल-हक के 35 गेंद में 53 रन की मदद से जीत की कोशिश तो की पर 20 ओवर में स्कोर बराबर ही कर पाए जिससे मैच टाई हो गया। इरफान पठान ने दो विकेट लिए। तो मैच का फैसला कैसे हुआ?

एक बड़ी ख़ास बात ये थी कि इन दोनों के बीच ये पहला टी20 इंटरनेशनल था और इस इवेंट में पहली बार 'बाउल-आउट' को देखा गया। मौजूदा दौर में टाई मैच का फैसला सुपर ओवर से होता है- तब फ़ुटबॉल के पेनल्टी शूटआउट की तरह, हर टीम, बिना बल्लेबाज के स्टंप्स पर 5 गेंद (हर गेंद-अलग गेंदबाज) फेंकती थी- जिसने ज्यादा हिट किए, वह जीत गया। यही था 'बाउल-आउट'।

तब चूंकि 'बाउल-आउट' सिस्टम में था- भारत की टीम नेट्स पर इसकी प्रैक्टिस भी करती थी। मजेदार बात ये थी कि जिस रॉबिन उथप्पा ने तब तक टी-20 क्रिकेट में एक भी गेंद नहीं फेंकी थी, वे इसकी खूब प्रेक्टिस करते थे। इतना ही नहीं- कहते भी थे कि मौका आया तो किसी को पसंद आए या न आए- मैं जरूर गेंदबाजी करूंगा। तो वो मौका आ गया था पाकिस्तान के विरुद्ध उस मैच में- क्या धोनी ने उन्हें गेंद दी?

धोनी ने स्ट्रेटजी बनाई कि वे अपने घुटनों पर झुके, स्टंप के पीछे होंगे और गेंदबाज उन्हें निशाना बना कर गेंद फेंकें ताकि सीधे स्टंप्स पर लगे। चलिए अब इस 'बाउल-आउट' को देखने सीधे डरबन चलते हैं जहां पहले बारी टीम इंडिया की थी (क्योंकि पाकिस्तान ने दूसरे नंबर पर बैटिंग की) :

पहली गेंद :

वीरेंद्र सहवाग कैप में- सीधे स्टंप्स को हिट कर दिया।

यासिर अराफात- छोटे रन-अप के साथ धीमी फुल-टॉस फेंकी और ऑफ स्टंप का निशाना चूक गया। स्कोर भारत 1- पाकिस्तान 0

दूसरी गेंद :
हरभजन सिंह- सीधी गेंद और स्टंप्स हिट।

उमर गुल- वही अराफात वाली अपनी सामान्य स्टाइल से हटने की गलती और छोटा रन-अप उन्हें भी रास नहीं आया- निशाना चूक गए। स्कोर भारत 2 - पाकिस्तान 0

तीसरी गेंद :

हर कोई ये देखकर हैरान था कि धोनी ने उथप्पा को गेंद दे दी। सीधे टेलीकास्ट देख रहे भारत में क्रिकेट प्रेमियों को तब धोनी के गलत फैसले पर तरस आ रहा था। और मजे की बात उथप्पा ने सहवाग की तरह स्टाइल मारी और कैप में गेंद फेंकी- सीम-अप जो सीधे स्टंप्स को जा लगी। उथप्पा मुड़े, कैप उतारी और टीम की तरफ झुक कर अभिवादन किया।

अब इस मुकाम पर पाकिस्तान को बची हर गेंद पर सही निशाना लगाना था (इस उम्मीद से कि भारत सिर्फ गलती करे)। शाहिद अफरीदी कैप में- कमाल देखिए वे भी ऑफ स्टंप पर निशाना नहीं लगा पाए और 3 -0 के स्कोर के साथ टीम इंडिया जीत गई। क्रिकेटर जीत का जश्न मना रहे थे। पाकिस्तान की तरफ से सोहेल तनवीर और मोहम्मद आसिफ का नाम लिस्ट में था बची दो गेंद फेंकने जबकि भारत की तरफ से बची दो गेंद एस श्रीसंत और इरफान पठान फेंकते।

तब सब जागे और हर जुबान पर एक ही सवाल था- क्रिकेट में इस 'बाउल-आउट' के बारे में सोचा कैसे? क्रिकेट में इसका इस्तेमाल टी20 से पहले वनडे में, 1990 के दशक में हुआ था। पहली बार इसे 1991 के नेटवेस्ट ट्रॉफी मैच में देखा- जब बिशप स्टोर्टफोर्ड में दो दिनों की बारिश के बाद खेल नहीं हो पाया तो 'बाउल-आउट' से फैसला किया और हर्टफोर्डशायर ने डर्बीशायर को 2-1 से हराया। वनडे इंटरनेशनल में इनकी जरूरत ही नहीं पड़ी और 2006 में आईसीसी ने कहा कि चैंपियंस ट्रॉफी 2006 और वर्ल्ड कप 2007 के सिर्फ नॉकआउट मैचों में इसका इस्तेमाल करेंगे।

टी20 इंटरनेशनल में, हर मैच में फैसले की जरूरत को देखते हुए 'बाउल-आउट' को शामिल कर लिया। फरवरी 2006 में ईडन पार्क में, न्यूजीलैंड ने वेस्टइंडीज को पहले टी20 इंटरनेशनल में इसी से 3-0 से हराया। तब हर गेंदबाज दो गेंद फेंक सकता था जिसे बाद में एक गेंदबाज-एक गेंद में बदल दिया।

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