केवल 1 खराब टेस्ट मैच और पृथ्वी शॉ ड्रॉप, कितना सही है चयनकर्ताओं का यह फैसला
बीसीसीआई ने वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल और इंग्लैंड के खिलाफ पांच मैचों की टेस्ट सीरीज के लिए टीम इंडिया का ऐलान कर दिया है। शानदार फॉर्म में नजर आ रहे सलामी बल्लेबाज पृथ्वी शॉ को टेस्ट टीम में जगह नहीं मिल पाई है। केवल एक मैच में खराब प्रदर्शन के लिए पृथ्वी शॉ (Prithvi Shaw) को टेस्ट टीम से बाहर करने का फैसला समझ के परे है।
पिछले साल, पृथ्वी शॉ अपनी खराब टेक्निक के साथ संघर्ष कर रहे थे। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले टेस्ट में 0 और 4 के स्कोर के बाद भारतीय टेस्ट इलेवन से उन्हें बाहर कर दिया गया था। एडिलेड में खेले गए उस टेस्ट मैच के बाद, शॉ को टेस्ट सीरीज़ के किसी भी मैच में फीचर नहीं किया था।
पृथ्वी शॉ को इंग्लैंड के खिलाफ घरेलू श्रृंखला से भी बाहर कर दिया गया था। टीम इंडिया से बाहर होने के बाद शॉ ने अपनी बल्लेबाजी पर काम किया और कामयाबी हासिल की। विजय हजारे ट्रॉफी में पृथ्वी शॉ ने 800 से अधिक रनों के साथ रिकॉर्ड-ब्रेकिंग बल्लेबाजी की थी। इसके बाद आईपीएल 2021 में भी वह शानदार फॉर्म में नजर आए। शॉ ने आठ मैचों में 38.50 की औसत और 166.48 की स्ट्राइक रेट के साथ 308 रन बनाए।
भारतीय चयनकर्ताओं को इस बात को समझना चाहिए कि पृथ्वी शॉ अकेले ऐसे खिलाड़ी नहीं थे जिन्होंने एडिलेड टेस्ट में स्ट्रगल किया था। उस टेस्ट मैच में टीम इंडिया के सभी दिग्गज बल्लेबाज भी स्ट्रगल करते हुए नजर आए थे। पृथ्वी शॉ अभी काफी युवा हैं ऐसे में टेक्निक में गलती स्वाभाविक है लेकिन एक टेस्ट मैच के आधार पर उन्हें टेस्ट टीम से ही ड्रॉप कर देना बिल्कुल भी ठीक बात नहीं है।