जब कपिल देव की खेल भावना के चलते हारा भारत
1987 का वर्ल्ड कप को भारत के पूर्व कप्तान कपिल देव के खेल भावना के लिए याद किया जाता है । भारत के लिए कपिल देव एक ऐसा नाम है जिन्होंने अपने हैरतंगेज प्रदर्शन से भारतीय टीम को चोटी के टीमों के पास पहुंचाया था। 1987 का वर्ल्ड कप भारत और पाकिस्तान में संयुक्त रूप से आयोजित किया गया था। हालांकि दोनों मेजबान टीम 1987 वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंचने में नाकाम रही थी।
3 अक्टूबर 1987 को मद्रास के चेपक स्टैडियम रिलायंस वर्ल्ड कप के एक लीग मैच में भारत और ऑस्ट्रेलिया की टीम आमनें-सामनें। यह मैच कपिल देव के बेहतरीन खेल भावना के लिए जाना जाता है । कपिल देव ने मैच में टॉस जीतकर पहले फिल्डिंग करने का फैसला किया था। ऑस्ट्रेलिया के ओपनिंग बल्लेबाज ज्योफ मार्श ने मैच में शतक जडा था। ज्योफ मार्श के शतक के बदौलत ऑस्ट्रेलिया ने 268 रन का स्कोर बनाया था। ऑस्ट्रेलियन पारी के अंत के बाद कपिल देव ने अपने शानदार खेल भावना का प्रदर्शन करते हुए अंपायर से बातचीत कर के ऑस्ट्रेलिया की पारी में दो रनों का इजाफा करा दिया था।
कपिल देव के इस फैसले के पीछे का राज ये था कि जिस वक्त ऑस्ट्रेलियन बल्लेबाज डीन जोन्स बल्लेबाजी कर रहे थे तो उस दौरान उन्होंने दो छक्कें जडें थे जिसमें उनके द्वारा लगाए गए एक छक्कें को अंपायर ने चौका करार दिया था । जिससे अंत में ऑस्ट्रेलियाई टीम का कुल स्कोर 268 रन था। कपिल देव ने अंपायर को उनकी गलती बताते हुए ऑस्ट्रेलियाई टीम के 2 रन को बढाने के लिए अंपायर से बात करी थी कि जोन्स के द्वारा लगाया गया चौका दरअसल छक्का था। जिससे अंत में ऑस्ट्रेलिया का कुल स्कोर 270 हो गया था और अब भारत को जीत के 271 रनों का लक्ष्य मिला था।
कपिल देव का यह फैसला निर्णायक साबित हुआ, भारतीय टीम 269 रन पर ऑल आउट हो गई थी, जिससे भारत ऑस्ट्रेलिया के लक्ष्य से केवल एक रन पीछे रह गया । अगर कपिल देव ने अंपायर से कह कर ऑस्ट्रेलिया के स्कोर में वो 2 रन न बढ़वाए होते तो भारत यह मैच जीत जाता। हालांकि एक ओर कपिल देव के इस खेल भावना की सभी क्रिकेट जगत ने जमकर तारिफ की थी। कपिल देव को अपने इस फैसले का खामियाजा भुगतना पड़ा था और उनसे टीम की कप्तानी छीन ली गई । उसके बाद से कपिल देव ने फिर कभी भी भारतीय टीम की कप्तानी नहीं की ।
विशाल भगत/CRICKETNMORE