'अर्शदीप ने तो हद ही कर दी! 40 किमी पैदल चलकर पहुंचे प्रैक्टिस करने और आज मेहनत से बने हैं अपने मुकद्दर के सिकंदर'
भारतीय चयनकर्ताओं ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ होने वाली पांच मैचों की टी-20 सीरीज के लिए 18 सदस्यीय टीम का ऐलान कर दिया है। इस टीम में आईपीएल में शानदार प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को मौका मिला है जिसमें पंजाब किंग्स के मध्यम तेज गेंदबाज अर्शदीप सिंह का नाम भी शामिल है। अर्शदीप सिंह ने मौजूदा सीज़न में अपनी गेंदबाज़ी से सभी को अपना दीवाना बनाया था और सभी मांग कर रहे थे कि उन्हें भी नीली जर्सी में आज़माया जाना चाहिए।
आखिरकार फैंस की मुराद और अर्शदीप का सपना पूरा हो गया और ये खुशखबरी उन्हें सनराइजर्स हैदराबाद के खिलाफ पंजाब के आखिरी आईपीएल मैच से पहले मिली जिसके तुरंत बाद उन्होंने अपनी मां बलजीत कौर को फोन किया। उस समय उनकी माता जी ईश्वर का भजन कर रही थीं। इस बात का खुलासा खुद बलजीत कौर ने किया।
बलजीत कौर ने द इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कहा, ‘अर्शदीप की आदत है कि वो मुझे हर मैच से पहले फोन करता था। उसने हैदराबाद के खिलाफ मैच से पहले भी ऐसा ही किया। उसने फोन करके मुझसे कहा- मां, बधाई हो, मेरा भारतीय टीम में सेलेक्शन हो गया है। ये सुनकर मैं अपने आंसू रोक नहीं पाई। उसने इतना कहते ही अपनी टीम बस में भांगड़ा करना शुरू कर दिया।’
हालांकि, अगर आप भी यही सोच रहे हैं कि अर्शदीप सिंह को बिना मेहनत के टीम इंडिया की जर्सी मिल गई है तो आप गलत हैं। अगर आप उनके संघर्ष की कहानी सुनेंगे तो आप भी उनके हौंसले और जूनून के मुरीद हो जाएंगे। ये कहानी तब शुरू होती है जब उनके पिता दर्शन सिंह ने उन्हें चंडीगढ़ में कोच जसवंत राय के पास ट्रेनिंग के लिए डाला। अर्शदीप अपने परिवार के साथ खरड़ में रहते थे और इसका मतलब ये था कि अर्शदीप को ट्रेनिंग लेने के लिए दिन में दो बार खरड़ से चंडीगढ़ तक साइकिल चलाकर जाना था।
अर्शदीप के लिए ये दूरी बिल्कुल भी मायने नहीं रखती थी क्योंकि उनमें सीखने की ललक थी और टीम इंडिया के लिए खेलने का सपना भी था जो उन्हें हर समय मोटिवेट रखता था। हालांकि, उनके कोच जसवंत राय को एक घटना के तुरंत बाद ये एहसास हो गया था कि अर्शदीप इंडिया के लिए जरूर खेलेंगे। ये किस्सा खुद जसवंत राय ने बताया है।
जसवंत अर्शदीप की स्टोरी बताते हुए कहते हैं, ‘ये बात गर्मियों की है। अर्शदीप अक्सर अभ्यास के लिए समय पर आता था लेकिन उस समय वो सुबह के अभ्यास के लिए थोड़ा देर से पहुंचा। हमारी ट्रेनिंग सुबह 5:30 बजे शुरू होती है और जब मैंने उससे लेट होने का कारण पूछा, तो उसने मुझसे कहा, सर, मुझे कोई भी सजा दे दो। हालांकि, इसके बाद जब अभ्यास सत्र समाप्त हुआ तो, मैंने देखा कि पार्किंग में उसकी साइकिल नहीं थी।’
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आगे बोलते हुए जसवंत राय ने बताया, ‘मैंने उससे उसकी साइकिल के बारे में पूछा तो उसने बताया कि उसकी साइकिल टूट गई है और वो घर से पैदल चलकर अकैडमी (करीब 40 किलोमीटर) आया है। अगर वो चाहता तो वो ये बात मुझे पहले भी बता सकता था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। उस दिन मुझे पूरा विश्वास हो गया कि उसमें भारत के लिए खेलने का जुनून है।’