शिखर धवन ने तोड़ी चुप्पी, बताया- 'आखिर क्यों लिखा था बेटे ज़ोरावर के लिए इमोशनल नोट'

Updated: Tue, Jan 30 2024 12:03 IST
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भारतीय क्रिकेट टीम से बाहर चल रहे ओपनर शिखर धवन इस समय शायद अपने जीवन के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं। हाल ही में उनका उनकी पत्नी आयशा से तलाक हो गया जिसके बाद उनका बेटा ज़ोरावर भी उनसे दूर हो गया। धवन अपने बेटे से कितना प्यार करते हैं, ये जगज़ाहिर है लेकिन एक सच ये भी है कि वो इस समय इतने बेबस हैं कि वो अपने बेटे को देख भी नहीं पा रहे हैं। यही कारण है कि उन्होंने कुछ समय पहले अपने बेटे के लिए एक इमोशनल पोस्ट किया था जिसके बाद धवन का दर्द सारी दुनिया के सामने आ गया था।

अब धवन ने खुलासा किया है कि उन्होंने अपने बेटे जोरावर के जन्मदिन पर वो भावनात्मक पोस्ट इस उम्मीद से लिखी थी कि शायद वो आगे जाकर इसे पढ़ेंगे। धवन ने 26 दिसंबर, 2023 को, अपने बेटे के जन्मदिन पर एक नोट लिखा था। अब धवन ने ह्यूमन्स ऑफ बॉम्बे के साथ एक पॉडकास्ट पर उस इमोशनल पोस्ट के बारे में खुलकर बात की और कहा, “मुझे दर्द नहीं हो रहा था। मैं तो बस अपने विचार व्यक्त कर रहा था। पांच महीने हो गए हैं, जब से मेरी उनसे बात हुई है, मैं सिर्फ भावनाएं व्यक्त कर रहा था। मैं एक भावुक व्यक्ति हूं और मैं बस उसे प्यार भेजने की कोशिश कर रहा था, क्योंकि अगर मैं उसके बारे में सोचकर दुखी होऊंगा तो नकारात्मक ऊर्जा उसमें आ जाएगी।''

आगे धवन ने कहा, “मुझे कभी एहसास नहीं हुआ कि ये पोस्ट वायरल हो जाएगी। मैंने इसे बस अपने दिल से लिखा। मैंने इसे इस उम्मीद से लिखा था कि आगे जाकर मेरा बेटा शायद मेरी पोस्ट पढ़ेगा। वो जहां भी है, मुझे उम्मीद है कि वो खुश है, उम्मीद है कि एक दिन वो आएगा और मुझसे मिलेगा। मुझे उससे प्यार तो है लेकिन साथ ही मैं उससे अलग भी हूं। मैं उस पर दबाव नहीं डालना चाहता। मैं उसे हर दिन संदेश लिखता हूं, मुझे नहीं पता कि उसे वो मिल रहा है या नहीं, वो इसे पढ़ रहा है या नहीं। मुझे कोई अपेक्षा नहीं है। मैंने इसे स्वीकार कर लिया है। मैं एक पिता हूं और अपना कर्तव्य निभाने की कोशिश कर रहा हूं। मुझे उसकी याद आती है। मुझे दुख होता है लेकिन मैंने इसके साथ जीना सीख लिया है।''

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धवन ने ये भी खुलासा किया कि पत्नी से अलग होने के बाद वो कैसे अपने बेटे से मिलने के लिए ऑस्ट्रेलिया जाते थे। धवन ने बताया, “जब मैं उनसे मिलने जाता था, तो उन्हें केवल दो बार ही मिलने दिया जाता था, वो भी केवल दो से तीन घंटों के लिए। मैं चाहता हूं कि मेरा बेटा मेरे आसपास रहे। मैं उसे गले लगाना चाहता हूं।"

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