जो रिकॉर्ड टीम इंडिया के दिग्गज दिलीप वेंगसरकर ने लॉर्ड्स में बनाया, उसके मुकाबले पर कुछ भी नहीं
Dilip Vengsarkar Record Lord's Cricket Ground: क्रिकेट के मक्का के तौर पर मशहूर लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड में 3 या उससे ज़्यादा टेस्ट 100 बनाने वालों की लिस्ट देखिए:
7 जो रूट (इंग्लैंड)
6 ग्राहम गूच और माइकल वॉन (दोनों इंग्लैंड)
5 केविन पीटरसन और एंड्र्यू स्ट्रॉस (दोनों इंग्लैंड)
4 इयान बेल, एलिस्टेयर कुक और एलन लैम्ब (सभी इंग्लैंड)
3 ज्योफ बॉयकॉट, डेनिस कॉम्पटन, जॉन एडरिच, जैक हॉब्स, नासेर हुसैन, लेन हटन, मैट प्रायर, एलेक स्टुअर्ट और बेन स्टोक्स (सभी इंग्लैंड) और दिलीप वेंगसरकर (भारत)
नोट कीजिए, इस लिस्ट में डॉन ब्रैडमैन, स्टीव स्मिथ, ब्रायन लारा, ज़हीर अब्बास, गैरी सोबर्स या हमारे अपने सुनील गावस्कर और सचिन तेंदुलकर में से कोई भी नहीं है। सच तो ये है कि गावस्कर लॉर्ड्स में कभी टेस्ट 100 बनाया ही नहीं और सचिन ने तो 50 भी नहीं बनाया।
ऊपर की लिस्ट में एक नाम सबसे अलग है? किसका? अंदाज़ा लगाना कोई मुश्किल नहीं और ये नाम भारत के दिलीप वेंगसरकर का है। वे न सिर्फ लॉर्ड्स में टेस्ट मैचों में तीन 100 बनाने वाले पहले विदेशी बल्लेबाज़ बने, आज तक कोई भी उनके इस अनोखे रिकॉर्ड की बराबरी नहीं कर पाया है। इसीलिए उन्हें 'लार्ड ऑफ लॉर्ड्स' भी कहते हैं।
70 के दशक के आखिर से 80 के दशक के आखिर तक, वे न सिर्फ भारत के, दुनिया के सबसे बेहतरीन बल्लेबाजों में से एक थे। 1986 से 1988 तक, 16 टेस्ट मैचों में, उन्होंने आठ 100 लगाए। जब ICC ने कंप्यूटर की मदद से तैयार खिलाड़ियों की रैंकिंग शुरू की, तो वे उसमें नंबर 1 बनने वाले पहले बल्लेबाज़ थे। भारत में, अगर किसी ने महान सुनील गावस्कर के रन बनाने की होड़ की बराबरी की, तो वह ये दिलीप वेंगसरकर ही थे।
क्रिकेट की बाइबिल कहे जाने वाले विजडन क्रिकेटर्स अलमानैक (Wisden Cricketers’ Almanack) ने लिखा, 'वेंगसरकर की इंटरनेशनल स्तर पर मशहूरी में सबसे ख़ास उपलब्धि लॉर्ड्स में उनके तीन टेस्ट 100 बनाने वाले अकेले गैर-इंग्लिश बल्लेबाज़, होने का रिकॉर्ड है।' विजडन ने उन्हें 1987 में साल के 5 क्रिकेटर ऑफ द ईयर में से एक चुना और सम्मानित किया।
विजडन ने लिखा: '… और ये लंबा, खूबसूरत बल्लेबाज 1986 की समर में अपने क्रिकेट के टॉप पर था। उनके लॉर्ड्स और हेडिंग्ले में बनाए दो 100, इंग्लैंड में कुछ साल में देखी गई सबसे खराब टेस्ट पिचों में से एक पर, टॉप की बल्लेबाजी थे और भारत को तीन टेस्ट की सीरीज 2-0 से जीतने में मदद की। सीरीज में 90 का औसत दर्ज किया जो इंग्लैंड में किसी भी भारतीय बल्लेबाज का सबसे बेहतर रिकॉर्ड है। ये सोचना बिल्कुल गलत होगा कि उन्होंने ये 100 किसी कमजोर इंग्लैंड टीम के अटैक पर बनाए। इन दोनों 100 में, वेंगसरकर, दूसरे विकेट के गिरने पर बल्लेबाजी के लिए आए और जब नंबर 11 बल्लेबाज क्रीज पर आया तब तक उनके 100 रन पूरे नहीं हुए थे। ये दोनों बहुत ऊंचे दर्जे की पारी थीं।' सच ये है कि वेंगसरकर को भारत में भी वह तारीफ़ नहीं मिली, जिसके वे हकदार थे। आइए लॉर्ड्स में उनके इन तीन 100 को और ध्यान से देखें :
1979 का इंग्लैंड टूर: इस टूर से वेंगसरकर का लॉर्ड्स के साथ 'लव अफेयर' शुरू हुआ और 103 रन बनाए, गुंडप्पा विश्वनाथ के साथ पार्टनरशिप में 210 रन जोड़े, और भारत को एक लगभग तय दिख रही हार से बचाया। जब भारत ने दूसरी पारी में बल्लेबाजी शुरू की तो वे 323 रन से पीछे थे और ऐसे में, भारत के लिए, वेंगसरकर और विश्वनाथ दोनों ने 100 बनाए। वेंगसरकर ने साढ़े पांच घंटे बल्लेबाजी की, 13 चौके लगाए और मैन ऑफ द मैच रहे।
1982 का इंग्लैंड टूर: इस बार, जब चौथे दिन भारत ने 67 रन पर दो विकेट (दिलीप वेंगसरकर 30*, रवि शास्त्री 6*) से आगे खेलना शुरू किया तो थोड़ी ही देर बाद स्कोर चार विकेट पर 110 रन हो गया। अब वेंगसरकर का साथ देने यशपाल शर्मा आए। वेंगसरकर ने लंच और चाय के बीच 86 रन बनाए और जो स्ट्रोक प्ले दिखाया, उसे इस ग्राउंड पर देखे सबसे बेहतरीन में से एक, गिनते हैं। उन्होंने 331 मिनट बल्लेबाजी की, जिसमें 21 चौके थे, 157 रन बनाए और यशपाल के साथ मिलकर इंग्लैंड के गेंदबाजों के हाथ कुछ न लगने दिया। तभी विलिस ने गजब की तेज गेंदबाजी करते हुए 4 ओवर में 4 विकेट लिए, जिसमें 9 गेंद पर 3 विकेट शामिल थे और भारत के लिए सब कुछ खत्म हो गया।
1986 का इंग्लैंड टूर : इस बार अपना लगातार तीसरा 100 बनाया लॉर्ड्स में जो आज तक किसी भी मेहमान बल्लेबाज के लिए एक कमाल की उपलब्धि है। उन्होंने 16 चौकों की मदद से 126* बनाए और कई जानकार इसे लॉर्ड्स में उनकी सबसे बेहतरीन बल्लेबाजी का प्रदर्शन मानते हैं। शायद ही कोई गलत शॉट खेले और हर मूवमेंट शानदार था। 326 मिनट बल्लेबाजी की और अपना 10वां टेस्ट 100 बनाया। दूसरी पारी में भी 33 रन बनाए और भारत को टेस्ट जीतने में मदद की। वे दोनों पारी में टॉप स्कोरर रहे।
जब नंबर 10 किरण मोरे बल्लेबाजी के लिए आए तो वेंगसरकर 81* पर थे और जब आखिरी बल्लेबाज मनिंदर उनके साथ खेलने आए तो वे 95* पर थे। इन दोनों ने तब अपनी बल्लेबाजी की पहुंच से कहीं बेहतर खेला और वेंगसरकर को लॉर्ड्स में टेस्ट क्रिकेट में तीन 100 बनाने वाले पहले विदेशी बल्लेबाज के रिकॉर्ड को बनाने में मदद की। तब तक इंग्लैंड से भी सिर्फ ज्योफ बॉयकॉट, डेनिस कॉम्पटन, जॉन एडरिच, जैक हॉब्स और लेन हटन के नाम ही ऐसा रिकॉर्ड था। लॉर्ड्स में तीन 100 बनाने वाले विदेशी बल्लेबाज का रिकॉर्ड कोई साधारण नहीं है और नोट कीजिए वेंगसरकर ने तो वहां अपने पहले तीन टेस्ट में ही तीन 100 लगा दिए और ऐसा करने वाले वे पहले बल्लेबाज थे।
विजडन ने 1987 के पांच क्रिकेटर ऑफ द ईयर में से एक चुनकर ये भी लिखा, 'विदेश में हमेशा से यह माना जाता रहा है कि बल्लेबाज़ी का असली इम्तिहान इंग्लैंड में रन बनाना है, जहां बादल के ऊपर से गुज़रने के साथ ही हालात एकदम बदल सकते हैं और जहां पिच के मिजाज में बहुत बदलाव होता रहता है। यहां तक कि कवर्ड पिच के दौर में भी, इंग्लैंड आने वाले बल्लेबाज को, इंग्लैंड में कामयाबी पर बड़ा गर्व होता है।'
आगे लिखा, 'इंग्लैंड के हर टूर पर कामयाब रहने वाले एक खिलाड़ी हैं दिलीप बलवंत वेंगसरकर, जिनका जन्म 6 अप्रैल, 1956 को बॉम्बे में हुआ था। लॉर्ड्स में अपने तीन टेस्ट मैच में से हर एक में 100 का अनोखा रिकॉर्ड है उनके नाम। वे सीरीज के सबसे बेहतर खिलाड़ी भी रहे और भारत ने उनके 6 पारी में 90 की औसत से 340 रन की बदौलत, इंग्लैंड में 15 साल में अपनी पहली सीरीज जीती।'
1990 का इंग्लैंड टूर: लॉर्ड्स में लगातार चौथे टेस्ट 100 की तलाश में वेंगसरकर को इस बार कामयाबी न मिली और 52 रन पर आउट हो गए।
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- चरनपाल सिंह सोबती