लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड में वॉर्नर स्टैंड का नाम बदलने की कोशिश हो रही है, गुलाम प्रथा से जुड़ा है मामला
Lords Cricket Ground, Warner Stand: ये पूरी दुनिया में नाम बदलने का दौर है- अलग़-अलग वजह से देश, शहर, सड़क, स्टेडियम और बिल्डिंग के नाम बदल रहे हैं। भला क्रिकेट इसमें कैसे पीछे रहे पर ये स्टोरी बड़ी अजीब है। इंगलैंड का सबसे मशहूर क्रिकेट स्टेडियम लॉर्ड्स है और इसके मालिक एमसीसी हैं। अब खुद एमसीसी स्टेडियम के वॉर्नर स्टैंड का नाम बदलने के चक्कर में है। वजह के जिक्र से पहले ये देखें कि इस स्टैंड को किसका नाम मिला है?
लॉर्ड्स में वॉर्नर स्टैंड का नाम, इंग्लैंड के मशहूर क्रिकेटर सर पेलहम 'प्लम' वॉर्नर के नाम पर है। ये नाम इस स्टैंड को 1958 में मिला। स्टैंड में सीट बढ़ाने के साथ-साथ 'पेलहम' नाम का रेस्तरां शुरू करने के लिए 2017 में 25 मिलियन पौंड जैसी बड़ी रकम भी खर्च की गई।
1873 में त्रिनिदाद (कैरिबियन) में जन्मे, वॉर्नर 1894 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के लिए खेले- पहले रग्बी और फिर क्रिकेट। दाएं हाथ के बल्लेबाज, 1894 से 1920 तक मिडलसेक्स के लिए खेले, 1908 से 1920 तक कप्तान और 519 फर्स्ट क्लास मैच के करियर में 60 शतक के साथ 29028 रन बनाए- इसमें इंग्लैंड के लिए 15 टेस्ट खेले 1898/99 से 1912 के बीच और 622 रन बनाए। बाद में टीम मैनेजर, सेलेक्टर और लेखक के तौर पर मशहूर हुए- इंग्लैंड में आज तक छप रही पत्रिका द क्रिकेटर 1921 में उन्होंने ही शुरू की थी। इस तरह लगभग पूरी उम्र क्रिकेट को समर्पित की और इसीलिए- 1937 में क्रिकेट के लिए नाइट की उपाधि का सम्मान, एमसीसी के डिप्टी सेक्रेटरी और 1950/51 में प्रेसिडेंट बने और 1958 में लॉर्ड्स में एक स्टैंड को उनका नाम दिया। इतना ही नहीं, जब 1953 में उनका देहांत हुआ था तो उनकी राख को लॉर्ड्स में उस जगह के आस-पास बिखेरा जहां उन्होंने अपना पहला 4 मारा था। ये परिचय क्रिकेट में उनका योगदान तो बताता ही है- लॉर्ड्स से उनका नजदीकी संबंध भी बताता है। तो अब स्टैंड से उनका नाम हटाने की बात क्यों चली है?
अब इस बात ने जोर पकड़ लिया है कि उनका संबंध गुलाम (Slavery) प्रथा से था। सब जानते हैं कि वे एक व्यापारी परिवार से थे और काम था कैरेबियन में चीनी बागानों का- आरोप है कि यहां खेती के लिए अफ्रीका से गुलाम लाए जाते थे। ठीक है जब वहां ब्रिटिश साम्राज्य था तो गुलाम लाए जाते थे पर प्लम का जन्म तो गुलामी प्रथा खत्म होने के लगभग 70 साल बाद 1873 में पोर्ट ऑफ स्पेन, त्रिनिदाद में हुआ था। अब चूंकि उस समय भी परिवार की संपत्ति कैरेबियन में चीनी बागानों से आ रहे पैसे से बनी- इसलिए प्लम को भी 'दोषी' मान लिया।
जब 2020 में, ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन चला तो किसी भी विवाद से बचने के एमसीसी ने भी चुपचाप अपने आर्ट कलेक्शन पर नजर डाली और पूरे स्टेडियम से ऐसी हर फोटो/पेंटिंग को हटा दिया जिस पर कोई एतराज हो। एमसीसी ने तब भी, इसी वजह से, वॉर्नर स्टैंड का नाम बदलने के बारे में सोचा था पर जब कमेटी में इस बारे में बात हुई तो इसे मंजूर नहीं किया क्योंकि गुलाम प्रथा खत्म होने के कई साल बाद तक वॉर्नर का जन्म नहीं हुआ था और खुद उन्होंने इस व्यापार से सीधे पैसा नहीं कमाया था।
अब जब इस साल क्रिकेट में इक्विटी के लिए, बनाए कमीशन आईसीईसी की रिपोर्ट आई तो उसमें एमसीसी की भी आलोचना की गई और जो लिखा उसमें वॉर्नर स्टैंड का नाम भी लिस्ट में था। इसी को आधार बनाकर, एमसीसी के मौजूदा प्रेसिडेंट ब्रूस कार्नेगी-ब्राउन, वॉर्नर स्टैंड का नाम बदलना चाहते हैं। वे नहीं चाहते कि क्लब किसी मुश्किल में फंसे। इंग्लैंड में ये मानने वालों की कमी नहीं कि उनकी पुराने इतिहास में कोई दिलचस्पी नहीं है और इसीलिए उन्हें ट्रेंट ब्रिज में स्टुअर्ट ब्रॉड के नाम पर एक स्टैंड का नाम रखना बड़ा पसंद आया- वे कहते हैं कि आज के युवा दर्शक मौजूदा महान खिलाड़ियों का नाम देखना चाहते हैं- इतने पुराने नाम में कितनों की दिलचस्पी होगी?
उनकी इस बात को इस साल की एशेज के दौरान और वजन मिल गया जब एमसीसी के कुछ पुराने/बुजुर्ग सदस्यों ने जॉनी बेयरस्टो की स्टंपिंग पर विवाद के बाद लॉन्ग रूम से गुजरते ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ियों के साथ धक्का-मुक्की की और उन्हें बुरा-भला कहा। एमसीसी को इस पर माफी मांगनी पड़ी और ब्रूस कार्नेगी-ब्राउन तो अब यहां तक कह रहे हैं कि अगर हम पवेलियन में क्रिकेटरों को गाली दे रहे हैं तो वे तो खिलाड़ियों के आने-जाने के दौरान, लॉन्ग रूम में मेम्बर्स की एंट्री ही बंद करा देंगे।
पेलहम वॉर्नर का परिवार भी अब इस बहस में शामिल हो गया है और उनके पोते ने परिवार की तरफ से एमसीसी से कहा कि दादाजी का नस्लवाद से कोई दूर का भी नाता नहीं था। माइक वॉर्नर ने क्लब से लॉर्ड्स में स्टैंड के नाम पर संयम रखने को कहा और ये भी कहा कि इससे परिवार का नाम फिजूल में खराब होगा। सर पेलहम 'प्लम' वॉर्नर को 'इंग्लिश क्रिकेट के ग्रैंड ओल्ड मैन' के तौर पर भी जाना जाता था।
उन्हें क्रिकेट से प्यार था- क्रिकेटरों से भी प्यार था। अब इतने साल बाद प्लम वॉर्नर जैसे किसी व्यक्ति का नाम बदनाम होने का खतरा है। 2017 में जब स्टैंड को नई सजावट के साथ खोला गया तो प्रिंस फिलिप आए थे उद्घाटन के लिए और पेलहम रेस्तरां तो इतना बढ़िया है कि हर टेबल से ग्राउंड में क्रिकेट दिखाई देता है। अब ये बात भी सामने आ गई है कि कैरिबियन में व्यापार प्लम के दादा कर्नल एडवर्ड चलाते थे और बाद में हालात ऐसे बदले कि कर्नल एडवर्ड ने अपना सारा पैसा गंवा दिया और गरीबी की हालत में मर गए थे। इसका मतलब है पल्म के हिस्से में उस विवादास्पद व्यापार से कुछ नहीं आया था।
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पल्म जो बने, खुद बने। पढ़ाई की, एक बैरिस्टर बने पर कभी कोर्ट नहीं गए। एक शौकिया क्रिकेटर थे और जब खेलते थे, तब भी आर्टिकल लिखकर पैसा कमाते थे। कार्नेगी-ब्राउन इस व्यक्तिगत पसंद का मुद्दा न बनाएं- यही अच्छा रहेगा। ऐसे तो हर पुराने क्रिकेटर के परिवार की जांच शुरू हो जाएगी। इस संदर्भ में इंग्लैंड के एक और बड़े मशहूर क्रिकेटर गबी एलन का नाम भी चर्चा में आ जाएगा और उनके नाम पर भी लॉर्ड्स में एक स्टैंड है। उनके बारे में बड़ी अफवाह रही है कि वे प्लम की नाजायज औलाद थे। एमसीसी ने तो सर गबी एलन की कब्र की खस्ता हालत पर उसके रख-रखाव के लिए भी पैसा दिया था। अब उनके नाम को भी पल्म से जोड़कर, उन्हें भी 'तंग' कर सकते हैं।