कभी टीम इंडिया के क्रिकेटरों को उनका पासपोर्ट जिस देश में जाने भी नहीं देता था- अब वहां क्रिकेट सीरीज खेलते हैं  

Updated: Tue, Dec 19 2023 12:38 IST
India vs South Africa International Cricket History (Image Source: Google)

India vs South Africa: भारत की टीम साउथ अफ्रीका में क्रिकेट सीरीज खेल रही है- टीम इंडिया के लिए ये टूर लगभग वैसा ही है जैसे किसी और देश में क्रिकेट सीरीज। रिकॉर्ड ये है कि भारत ने पहली बार 1992 में साउथ अफ्रीका का टूर किया था क्रिकेट सीरीज के लिए। आज के क्रिकेट प्रेमियों को ये अनुमान भी नहीं होगा कि 1990 तक ये सोचते भी नहीं थे कि भारतीय पासपोर्ट के साथ कोई साउथ अफ्रीका जा सकता है। महज कुछ महीने के अंदर हालात ऐसे बदले कि पहले तो साउथ अफ्रीका से क्लाइव राइस की टीम भारत में वनडे क्रिकेट सीरीज खेलने आई और जवाब में कुछ ही महीने के अंदर मोहम्मद अजहरुद्दीन की टीम साउथ अफ्रीका में सीरीज के लिए फ्लाइट में थी। 

माहौल कैसा था इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भारत और साउथ अफ्रीका के बीच कई फ्रंट पर मतभेद थे। यूं भी कह सकते हैं कि शायद ही किसी मुद्दे पर दोनों देश की सोच एक थी- ऐसे में आपस में क्रिकेट खेलने के बारे में कौन सोचता? भारत ने 1974 में टेनिस के डेविस कप फाइनल में उनके विरुद्ध साउथ अफ्रीका में फाइनल खेलने इंकार कर दिया था- ये आज भी टेनिस का सबसे बड़ा टीम टूर्नामेंट है और भारत इतिहास बनाने से चूक गया। हालत ये थी कि साउथ अफ्रीका के साथ किसी तरह का नाता 'गैर-कानूनी ' कहते थे। इसीलिए जब 1970 में गैरी सोबर्स जैसे बड़े क्रिकेटर ने रोडेशिया में एक क्रिकेट टूर्नामेंट में हिस्सा लिया तो उनकी आलोचना केरेबियन के साथ-साथ भारत में भी हुई थी- नोट कीजिए वे उस रोडेशिया में खेले थे जो वास्तव में एक अलग देश था पर साउथ अफ्रीका के कंट्रोल में था। यही रोडेशिया आजादी के बाद जिम्बाब्वे बना। 

 

ये एक अलग स्टोरी है कि वे क्यों गए और क्या टूर था ये पर उस दौर के माहौल से हालात ऐसे बदले कि बीसीसीआई के सेलेक्टर्स ने जो टीम साउथ अफ्रीका टूर के लिए चुनी उसके क्रिकेटरों के पासपोर्ट सबसे पहले भारत सरकार के पासपोर्ट ऑफिस भेजे गए करेक्शन के लिए क्योंकि हर पासपोर्ट पर एक मुहर लगी थी कि ये पासपोर्ट साउथ अफ्रीका और इजरायल जाने के लिए मान्य (valid) नहीं है। 

आज भारत और साउथ अफ्रीका के बीच क्रिकेट संबंध आपसी 'दोस्ती' के लिए चर्चा में रहते हैं- सबूत आईपीएल में देख ही चुके हैं। जब 2014 में आम चुनाव की वजह से भारत में आईपीएल खेलने पर संकट आया था तो आईपीएल साउथ अफ्रीका में खेले थे। SA 20 में, आईपीएल मालिकों का टीम बनाना ये सोचने भी नहीं देता कि कुछ ही साल पहले तक क्या हालात थे?

ये हालात तब बदले जब अपनी रंगभेदी नीतियों के कारण, इंटरनेशनल खेलों से दूर साउथ अफ्रीका में बदलाव के संकेत मिले। वे टेस्ट बिरादरी से भी बाहर थे और ये एक संयोग था कि उस समय साउथ अफ्रीका क्रिकेट में डा. अली बाकर जैसे ऑफिशियल थे जो उस रंगभेद वाली सोच से बिलकुल अलग थे। ये अली बाकर और कोई नहीं वही थे जो साउथ अफ्रीका पर आईसीसी के प्रतिबंध से पहले की आख़िरी सीरीज (1969-70) में उनके कप्तान थे। उस टीम ने 'वर्ल्ड चैंपियन' कही जाने वाली बिल लॉरी की ऑस्ट्रेलिया टीम को 4-0 से हराया था। 

अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस (एएनसी) के नेता कृष मैकरधुज के सहयोग से बाकर ने अलग-अलग काम कर रहे दो बोर्ड को जोड़ा, एक नया यूनाइटेड बोर्ड बनाया और तब भारत उन्हें इंटरनेशनल क्रिकेट में वापस लाने में मदद देने वाला पहला देश था। जिस देश में महात्मा गांधी को रंग के आधार पर ट्रेन के एक खास कोच से उतार दिया गया था- वहां बदले हालात में भारत के नए संबंध बन रहे थे क्रिकेट की बदौलत। इसीलिए भारत ही वह पहला देश था जिसने साउथ अफ़्रीका की इंटरनेशनल क्रिकेट में वापसी पर उन्हें सबसे पहली सीरीज खेलने आमंत्रित किया।

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उससे पहले, अली बाकर भारत आए- उनके साथ जो पेंस्की (उनके क्रिकेट चीफ) और कृष मैकरधुज (नेल्सन मंडेला की अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस के लीडर) भी थे। तब बीसीसीआई चीफ माधवराव सिंधिया थे जो संयोग से क्रिकेट जानते थे तो साथ में सरकार में भी थे और इससे राजनीतिक मुश्किलें सुलझने लगीं। तभी साउथ अफ़्रीकी खिलाड़ियों को भारत आने का वीजा मिला और इसी से जो नाता जुड़ा उसकी बदौलत 1992 में रंगभेद के बाद साउथ अफ्रीका का टूर करने वाला भारत पहला देश बना।

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