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Cricket Tales - 'मेरा नाम सौरव गांगुली है भूले तो नहीं', वो एड जो दादा को ब्लैकमेल करके शूट किया गया

सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट के इतिहास के सबसे सफल कप्तानों में से एक रहे हैं। साल 2006 में सौरव गांगुली को टीम से बाहर कर दिया गया था तब उनकी लाइफ में पेप्सी का एड वरदान बनकर आया था।

Prabhat  Sharma
By Prabhat Sharma August 07, 2022 • 18:20 PM
Cricket Image for The story of the ad which was shot by blackmailing Sourav Ganguly
Cricket Image for The story of the ad which was shot by blackmailing Sourav Ganguly (Sourav Ganguly)
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Cricket Tales - 'मेरा नाम सौरव गांगुली है भूले तो नहीं' ये उस एड की लाइन थी जिसे सौरव गांगुली के मुख से सुनने के बाद क्रिकेट जगत में भूचाल आ गया था। जब इस लाइन को पहली बार लिखा गया था तब किसी ने नहीं सोचा होगा कि ये सिर्फ एक लाइन नहीं बल्कि जंग का रुख मोड़ देगी। जंग से हमारा मतलब सौरव गांगुली, ग्रेग चैपल और भारतीय टीम मैनेजमेंट के बीच तनाव से है। इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताएंगे उस एड की कहानी जो सौरव गांगुली से जबरदस्ती ब्लैकमेल करके शूट कराया गया था।

ये वो एड था जिसने दादा की तकदीर, करियर और लाइफ बदल कर रख डाली। बात अगस्त 2006 की है सौरव गांगुली की कप्तानी छीन ली गई, उन्हें टीम से निकाल दिया गया। एक एक करके उनको बोर्ड में बैठे सारे समर्थकों के मुंह बंद करवा दिए गए। यहां तक की जब उनके एक टीममेट ने दादा को सपोर्ट करने की कोशिश की तब उनके खिलाफ सख्त एक्शन ले लिया गया।

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ये सब उस कोच के कहने पर हुआ जिसे खुद सौरव गांगुली ने सिलेक्ट किया था। हम बात कर रहे हैं ग्रेग चैपल की। जिस इंसान पर दादा ने भरोसा किया उसी ने दादा को अंदर से तोड़कर रख दिया। उस वक्त बात साफ थी की दादा की कहानी खत्म हो चुकी है और अब वो कभी टीम इंडिया में दोबारा वापसी नहीं कर सकेंगे।

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खबर ये भी थी कि उस वक्त टीम के एक सिलेक्टर ने साफ-साफ कह दिया था कि जब तक हम यहां बैठे हैं तब तक सौरव गांगुली कभी भी टीम में वापस नहीं लौटेंगे। साफ लग रहा था कि एक शानदार करियर का अंत जिल्लत के साथ होने वाला है। वो महाराज जिसने क्रिकेट जगत पर राज किया अब वो कभी क्रिकेट के मैदान पर वापसी नहीं कर पाएगा।

सौरव गांगुली इतिहास के पन्नों में कहीं गुम होने वाले थे तभी उन्हें आया पेप्सी इंडिया के CEO का कॉल। ये वो CEO थे जो खुद बरखास्त होने की कगार पर थे जिसके पीछे कारण पेप्सी में पेस्टिसाइड की मात्रा थी। खबर थी कि पेप्सी में पेस्टिसाइड की मात्रा अन्य देशों में बेचे जाने वाले कोला के मुकाबले 24 प्रतिशत ज्यादा थी। ये मामला भी अगस्त 2006 का ही है।

पेप्सी ने इंडियन क्रिकेटर के दमपर भारतीय मार्केट को लगभग कैप्चर कर लिया था। ये दिल मांगे मोर, ओए बबली ओए-ओए बबली जैसे एड को शायद की कोई फैन भूला हो। पेप्सी जिस वक्त उफान पर थी तब उसका चेहरा सौरव गांगुली थे। लेकिन, जब दादा पर तलवार लटकी तब भी पेप्सी ने मार्केट पर अपना जोर कायम रखा और राहुल द्रविड़ को लेकर एड बना डाला जो काफी हिट भी हुआ था।

पेस्टिसाइड मामले के सामने आने के बाद पेप्सी को खासा नुकसान उठाना पड़ा। पेप्सी इंडिया इस घाटे से उबरने के लिए और लोगों के दिलों में विश्वास को फिर से पैदा करने के लिए जीतोड़ कोशिश में लगी हुई थी लेकिन, कोई उनपर यकीन ही नहीं कर पा रहा था। तब पेप्सी ने सौरव गांगुली को लेकर इमोशनल एड बनाने के बारे में सोचा था।

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सौरव गांगुली के लिए उस वक्त टीम इंडिया में वापसी करने के लगभग सारे दरवाजे बंद हो चुके थे। ऐसे में संभावना थी कि शायद ये एड ही उनकी मदद कर दे। यही बात पेप्सी इंडिया के तरफ से फोनपर उन्हें समझाई भी गई थी। दादा ने इसके बावजूद इस एड में काम करने के लिए मना कर दिया था। सौरव गांगुली ने साफ कह दिया था ना तो मैं वो लाइन बोल पाऊंगा ना ही मुझे इस ड्रामा में इंटरेस्ट है।

पेप्सी की हालात भी नाजुक थी ऐसे में दादा ही थे जो उन्हें बचा सकते थे। ऐसे में उन्होंने सौरव गांगुली को लीगल नोटिस भेजा जिसमें था कि दादा ने उनके साथ 2007 तक काम करने का कॉन्ट्रेक्ट साइन किया है। ऐसे में सौरव गांगुली एड करने से मना नहीं कर सकते हैं। अगर गांगुली मना करते हैं तो फिर उन्हें और मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इसके बाद जाकर उस एड को शूट किया गया।

इस एड के वायरल होते ही सौरव गांगुली की कहानी लोगों के घर-घर पहुंच गई। हवाओं ने अपना रुख मोड़ लिया और लोगों के दिल में दादा के प्रति सहानुभूति जग गई। सौरव गांगुली ने साउथ अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज में वापसी की और अर्धशतक जमाकर खुदको साबित किया था।


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