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भारत का पहला दक्षिण अफ्रीका टूर क्रिकेट था तो राजनीति भी

आज टीम या खिलाड़ियों का दक्षिण अफ्रीका जाना कोई ख़ास 'घटना' नहीं लगता पर सच ये है कि लगभग 30 साल पहले तक भी भारत के नागरिकों को जारी...

Charanpal Singh Sobti
By Charanpal Singh Sobti December 13, 2021 • 12:42 PM
India vs South Africa Friendship Series
India vs South Africa Friendship Series (Image Source: Google)
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India tour of South Africa: आज टीम या खिलाड़ियों का दक्षिण अफ्रीका जाना कोई ख़ास 'घटना' नहीं लगता पर सच ये है कि लगभग 30 साल पहले तक भी भारत के नागरिकों को जारी 'ब्लू' पासपोर्ट पर लिखा रहता था कि ये पासपोर्ट दक्षिण अफ्रीका जाने के लिए मान्य नहीं। ये सब दक्षिण अफ्रीका की रंग भेद पॉलिसी का कमाल था।  

भारत ने पहला टेस्ट 1932 में और दक्षिण अफ्रीका ने 1888-89 में खेला, तब भी दोनों टीम ने आपस में टेस्ट खेलना शुरू किया 1992-93 में जब भारत की टीम दक्षिण अफ्रीका टूर पर गई। ऐसा क्यों? रंगभेद पॉलिसी की वजह से- जिसके कारण दक्षिण अफ्रीका की टीम भारत क्या, इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के अतिरिक्त अन्य किसी टीम के साथ नहीं खेलती थी। 

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रंगभेद के विरुद्ध पूरी दुनिया में चले आंदोलन में भारत भी शामिल था-1946 में उनके साथ सभी व्यापार संबंध तोड़ लिए और हर मामले में प्रतिबंध लगा दिया। इतना ही नहीं, रंगभेद के विरुद्ध आंदोलन कर रही अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस को मान्यता दे दी। ऐसे में क्रिकेट कहाँ खेलते? 

11 फरवरी 1990 को केपटाउन में विक्टर रोस्टर जेल से नेल्सन मंडेला की रिहाई हुई और इसे दक्षिण अफ्रीका में रंगभेद (अपार्थेड) का अंत मान लिया गया। जब रंगभेद पॉलिसी हटी तो खेल संबंध खुले। इसका असर क्रिकेट में भी दिखाई दिया- सुलह की प्रक्रिया को तेज करने के लिए अली बॉकर ने अलग अलग काम करे क्रिकेट बोर्ड को जोड़ दिया। तभी तो-  क्लाइव राइस की टीम भारत के ऐतिहासिक टूर पर आई। 

रंगभेद के कारण इंटरनेशनल क्रिकेट से अलग-थलग रहने के लगभग 22 साल बाद, 1992 में, दक्षिण अफ्रीकी टीम ने भारत में तीन वन डे मैचों की  सीरीज खेली। ये टीम दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट में बदलाव का प्रतीक बनी। जो काम राजनीति ने नहीं किया- क्रिकेट ने कर दिया। पोलक भाइयों, बैरी रिचर्ड्स और माइक प्रोक्टर जैसे खिलाड़ियों को भारत में किसी ने खेलते नहीं देखा क्योंकि दक्षिण अफ्रीका के इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने पर प्रतिबंध था पर जो आए वे हार के बावजूद बेहद चर्चित हो गए और कई अच्छी यादों के साथ घर लौटे। 

इस टूर को संभव बनाने के लिए जिम्मेदार अली बॉकर ने भारत को दक्षिण अफ्रीका में सीरीज खेलने के लिए बुलाने में देरी नहीं लगाई- वे असल में दक्षिण अफ्रीका की पूरे तौर पर, इंटरनेशनल क्रिकेट में वापसी की स्कीम पर काम कर रहे थे। जहां जाने के लिए 'ब्लू' पासपोर्ट मान्य नहीं- वहां क्रिकेट सीरीज ! ये फैसला लेना आसान नहीं था और लंबी चर्चा के बाद भारत  सरकार ने भारत की टीम के दक्षिण अफ्रीका टूर को हरी झंडी दिखाई।  

इस तरह, 1992-93 में भारत, 1970 के बाद से दक्षिण अफ्रीका में टेस्ट खेलने वाली पहली टीम बना। दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेट या उसके खिलाड़ियों के बारे में बिना ख़ास जानकारी टीम वहां खेलने गई। 

मोहम्मद अजहरुद्दीन की टीम के लिए यह पूरा ट्रिप' फ्रेंडशिप टूर' था। पहला पड़ाव जिम्बाब्वे था- वहां  रॉबर्ट मुगाबे से हाथ मिलाने के साथ साथ टेस्ट खेले। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका गए।  

कोई प्लेइंग कंडीशंस तय नहीं हुईं और सारी जिम्मेदारी बोर्ड ने टूर मैनेजर अमृत माथुर और कोच अजीत वाडेकर पर डाल दी। अली बॉकर कुछ ख़ास करना चाहते थे और सनसनखेज सुझाव रखे -1. लाइन कॉल के लिए टेलीविजन रिप्ले और 2. थकान कम करने के लिए हर दिन, दो के बजाय तीन अंपायर। अजहर और अजीत वाडेकर अंपायरिंग वाले प्रयोग पर राजी नहीं हुए जबकि टीवी रिप्ले वाले सुझाव को मान गए। बाद में ये माना कि उन्हें इसका विरोध करने की कोई वजह नहीं मिली।

डरबन में पहले टेस्ट में ही नई शुरुआत हुई :

  • टेस्ट में कपिल देव ने पहली गेंद पर जिमी कुक को आउट कर दिया। इससे सनसनीखेज शुरुआत और क्या हो सकती थी?
  • प्रवीण आमरे ने डेब्यू पर सेंचुरी बनाई।  
  • सचिन तेंदुलकर टीवी रिप्ले से आउट होने वाले पहले बल्लेबाज बने- जोंटी रोड्स की नॉन-स्ट्राइकर सिरे पर थ्रो स्टंप्स पर लगी- वे आउट नहीं लग रहे थे पर टीवी कैमरों ने पकड़ लिया।

कुल मिलाकर, भारत ने बहुत अच्छी क्रिकेट नहीं खेली। 4 टेस्ट की सीरीज 1-0 से हारे। स्थानीय भारतीय इस पर बड़े  निराश थे। 

फिर भी ये एक यादगार टूर था और पहले दिन से क्रिकेट इसमें बैक-फुट पर थी। ट्रिप को नाम ही 'फ्रेंडशिप टूर' का दिया था। डरबन पहुंचे तो भारतीय टीम का जोरदार स्वागत किया गया। खिलाड़ी हवाई अड्डे से होटल तक खुली-टॉप कारों में निकले और सीधे एक पब्लिक रिसेप्शन में शामिल हुए। टीम के लौटने पर ट्रिप का सबसे यादगार क्षण नेल्सन मंडेला से मुलाकात को माना गया। उनसे जोहान्सबर्ग में मिले थे- टीम ने उन्हें अपने ऑटोग्राफ वाला एक क्रिकेट बैट भेंट किया। इसे उन्होंने एक मेंटलपीस पर अपने ऑफिस में रखा। यहां तक कि वे वांडरर्स टेस्ट के दौरान, एक दोपहर क्रिकेट देखने भी आए।

इन यादों ने भारत और दक्षिण अफ्रीका के क्रिकेट सम्बन्ध और बेहतर किए। मौजूदा क्रिकेट सीरीज उसी का एक हिस्सा है।


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