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रामचंद्र गुहा ने धोनी, गांगुली और द्रविड़ के बारे में लिखी ये गंभीर बातें, क्रिकेट जगत में हड़कंप

नई दिल्ली, 2 जून | हाल ही में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की प्रशासक समिति से इस्तीफा देने वाले जाने-माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने कई दिग्गज क्रिकेट खिलाड़ियों के खिलाफ हितों के टकराव के मुद्दे को उठाया है। उन्होंने

Saurabh Sharma
By Saurabh Sharma June 02, 2017 • 18:45 PM
रामचंद्र गुहा ने धोनी, गांगुली और द्रविड़ के बारे में लिखी ये गंभीर बातें, क्
रामचंद्र गुहा ने धोनी, गांगुली और द्रविड़ के बारे में लिखी ये गंभीर बातें, क् ()
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नई दिल्ली, 2 जून | हाल ही में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) की प्रशासक समिति से इस्तीफा देने वाले जाने-माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने कई दिग्गज क्रिकेट खिलाड़ियों के खिलाफ हितों के टकराव के मुद्दे को उठाया है। उन्होंने हितों के टकराव के इस मामले में महेंद्र सिंह धौनी, सुनील गावस्कर और राहुल द्रविड़ जैसे खिलाड़ियों को हर मामले में प्राथमिकता दिए जाने की आलोचना भी की है। 

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प्रशासक समिति के चेयरमैन विनोद राय को भेजे अपने इस्तीफे में गुहा ने भारतीय टीम के पूर्व कप्तान और कमेंटेटर गावस्कर के हितों के टकराव के मुद्दे पर सवाल खड़े किए हैं। साथ ही इंडिया-ए और अंडर-19 टीम के कोच द्रविड़ के इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) फ्रेंचाइजी दिल्ली डेयरडेविल्स के साथ संबंध पर भी उंगली उठाई है।

गुहा ने कहा, "भारतीय टीम या राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी से करार से जुड़े किसी भी व्यक्ति को आईपीएल टीम के साथ जुड़ने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।"

उन्होंने कहा, "बीसीसीआई ने हो सकता है कि अपनी लापरवाही (या किसी अन्य कारण से) में कोचिंग/सपोर्ट स्टाफ को यह दोहरी प्रतिबद्धता का व्यवसाय करने की अनुमति दे दी हो। हो सकता है कि मौजूदा स्थिति में यह किसी तरह वैध साबित हो जाए, लेकिन यह अनैतिक है और इससे कोचिंग स्टॉफ और अन्य सदस्यों में आपसी मतभेद और ईष्र्या की स्थिति खड़ी हो सकती है। यह चलन बिल्कुल गलत है और भारतीय क्रिकेट के हितों के खिलाफ है।"

गुहा ने कहा, "बीसीसीआई प्रबंधन इन सुपरस्टार लोगों के रोब में इस हद तक दबा रहता है कि नियमों और प्रक्रियाओं के उल्लंघन पर सवाल नहीं उठाता। देखा जाए, तो बीसीसीआई पदाधिकारी अपनी विवेकाधीन शक्तियों का आनंद लेना चाहते हैं, ताकि जिन कोच और कमेंटेटर का वे पक्ष ले रहे हैं, वे इन पदाधिकारियों के ऋणी रहें और उनकी गलतियों और अनियमितताओं पर सवाल न उठाएं।"

भारतीय क्रिकेट के 'सुपरस्टारों' के हितों के टकराव के मुद्दे पर सवाल उठाते हुए गुहा ने कहा, "जब से प्रशासन समिति का कार्य शुरू हुआ है, तब से इस मुद्दे को संबोधित नहीं किया गया और मैंने अपनी नियुक्ति के बाद से ही इस मुद्दे को बार-बार उठाया था।"

गुहा ने कहा, "उदाहरण के लिए, बीसीसीआई कुछ राष्ट्रीय प्रशिक्षकों को प्राथमिकता दे रही है। उन्हें राष्ट्रीय सेवा के लिए 10 माह का कार्यकाल सौंपा गया और इस वजह से वे बाकी बचे दो माह में आईपीएल में कोच और मेंटर के तौर पर काम कर रहे हैं।"

गुहा ने कहा कि ये सब मनमाने ढंग से किया गया है। जितना अधिक कोई लोकप्रिय पूर्व खिलाड़ी कोच बनता है, उतना ही बीसीसीआई उसे खुद अपना अनुबंध बनाने की अनुमति देती है जिसमें ऐसे छेद छोड़ दिए जाते हैं जो हितों के टकराव के मुद्दे की अनदेखी में काम आते हैं।

उन्होंने कहा, "मैंने बार-बार इस बात को उठाया है कि ये सब कोच या राष्ट्रीय वरिष्ठ, जूनियर टीम के सपोर्ट स्टॉफ या राष्ट्रीय क्रिकेट समिति के स्टॉफ के लिए लोढ़ा समिति की भावना के विपरीत है। कोई भी व्यक्ति एक समय पर दोनों चीजें नहीं संभाल सकता और न ही दोनों कार्यो की जिम्मेदारी के प्रति न्याय कर सकता है। क्लबों से पहले राष्ट्रीय कार्य को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।"

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टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बावजूद धौनी को ग्रेड-ए अनुबंध में शामिल किए जाने पर सवाल उठाते हुए गुहा ने कहा, "दुर्भाग्य से इस सुपरस्टार सिंड्रोम ने भारतीय टीम अनुबंधों की प्रणाली को विकृत कर दिया है। अगर आपको याद हो, तो मैंने धौनी को टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने के बावजूद ग्रेड-ए अनुबंध में शामिल किए जाने को क्रिकेट के आधार पर समर्थन न करने योग्य करार दिया था और यह भी कहा था कि यह फैसला गलत संदेश देता है।"

इसके अलावा, गुहा ने गावस्कर के दोहरे व्यवसाय पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, "गावस्कर खिलाड़ी प्रबंधन वाली कंपनी के प्रमुख हैं और साथ ही बीसीसीआई के अनुबंध पर बतौर कमेंटेटर भी काम कर रहे हैं।" PHOTOS: ललित मोदी की बेटी आलिया मोदी है काफी बिंदास, फोटो देखकर दिवाने हो जाएगे

गुहा ने कहा कि यह साफ तौर पर हितों के टकराव का मामला है। या तो गावस्कर को कंपनी से इस्तीफा दे देना चाहिए या फिर बीसीसीआई कमेंटेटर के पद से हट जाना चाहिए। 
उन्होंने कहा कि इस मामले पर तुरंत प्रभाव से कार्रवाई की जानी चाहिए। प्रशासक समिति की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता इस प्रकार के मामलों पर कड़े और सही फैसले लेने पर निर्भर है।


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